Thursday, March 28, 2024

सोनभद्र में आयोजित मजदूर-किसान मंच के सम्मेलन में उठी भूमि आयोग के गठन की मांग

सोनभद्र। आज यदि आरएसएस-भाजपा इतनी ताकतवर होकर उभरी हैं और देश में तानाशाही थोप रही हैं तो इसकी जिम्मेदारी सपा-बसपा-लालू मार्का कॉरपोरेट-सामंत परस्त बहुजन राजनीति को भी जाती है। 90 के दशक से शुरू हुई इस बहुजन राजनीति ने कभी भी मजदूर किसान को उठने नहीं दिया। इनके एजेण्डे में कभी भी लोगों की जिदंगी के लिए अहम जमीन जैसे सवाल को हल करना नहीं रहा। इस बहुजन राजनीति ने डा. अम्बेडकर, लोहिया, पेरियार और ज्योति बा फुले के जातीय विनाश के सिद्धांत पर काम करने की जगह जातीय पहचान को मजबूत करने का काम किया और कभी नागरिक बोध पैदा होने नहीं दिया। इसलिए देश में महज सभी दलों का गठबंधन बनाकर आरएसएस-भाजपा की फासीवादी राजनीति का मुकाबला नहीं किया जा सकता।

इसके लिए उन नीतियों को बदलने की जरूरत है जिनके कारण भाजपा-आरएसएस आज सत्ता तक पहुंची हैं और तानाशाही थोपने में लगी हैं। जनपक्षधर नीतियों पर खड़ी जन राजनीति ही आरएसएस-भाजपा की फासीवादी राजनीति का मुकाबला करेगी। सामाजिक न्याय के मुलायम, मायावती, लालू मार्का कारपोरेट-सामंत परस्त मॉडल की जगह मजदूर किसान माडल को विकसित किया जायेगा। जिसके केन्द्र में जमीन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सहकारी खेती, पर्यावरण समेत कोल व अन्य आदिवासियों की पहचान के सवाल होंगे। ये बातें शनिवार को विवेकानंद सभागार में मजदूर किसान मंच की ओर से ‘बहुजन राजनीति की दशा व दिशा‘ पर आयोजित सम्मेलन को मुख्य वक्ता के बतौर सम्बोधित करते हुए स्वराज अभियान के राष्ट्रीय नेता अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहीं। 

सम्मेलन में मौजूद लोग।

उन्होंने कहा कि जमीन के सवाल को हल करके ही जातिवाद को इस देश से खत्म किया जा सकता है। इस क्षेत्र में भी भूमि सम्बंधों में बदलाव आना चाहिए, जो जमीन को जोत रहा है उसका जमीन पर अधिकार होना चाहिए। उभ्भा कांड पर घड़ियाली आंसू बहाने की जगह सरकार को जमीन के सवाल के हल के लिए भूमि आयोग का गठन करना चाहिए और वनाधिकार कानून में जिन लोगों ने दावा किया है उन्हें जमीन पर अधिकार देना चाहिए। यहां ट्रस्ट, मठों और सोसाइटी की जमीनें जब्त करनी चाहिए कम से कम दो एकड़ जमीन हर गरीब को आवंटित करनी चाहिए। 

सम्मेलन के विशिष्ट वक्ता मजदूर किसान मंच के कार्यवाहक अध्यक्ष व पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने कहा कि काशीराम और मायावती की भ्रष्ट राजनीति ने दलितों और समाज के कमजोर तबकों का बड़ा नुकसान किया है। उनके बुनियादी अधिकार भी बसपा के कार्यकाल में नहीं मिले। वनाधिकार कानून में ही बिना दावों पर सुनवाई किए मायावती राज में अस्सी प्रतिशत दावे निरस्त कर दिए गए। अखिलेश राज में भी हाईकोर्ट के निर्णय के बावजूद वनाधिकार में सुनवाई नहीं की गयी। आज मोदी और योगी की इच्छा के विरूद्ध हमने सुप्रीम कोर्ट तक लड़कर वनाधिकार के तहत दावों के पुनः परीक्षण को चालू कराया है। इसलिए दलितों, आदिवासियों को आज मुद्दों पर आधारित जन राजनीति के साथ मजबूती से खड़ा होना होगा, यही राजनीति उनका भला करेगी। 

सम्मेलन को संबोधित करते एसआर दारापुरी।

सम्मेलन की अध्यक्षता स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल की अध्यक्षता में बने अध्यक्ष मंडल ने की और संचालन कृपाशंकर पनिका व मजदूर किसान मंच के जिला सचिव राजेन्द्र सिंह गोंड़ ने किया। सम्मेलन को स्वराज इंडिया के नेता दिनकर कपूर, युवा मंच संयोजक राजेश सचान, मजदूर किसान मंच के अजय राय, रामेश्वर प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़ ने संबोधित किया।

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