Friday, March 29, 2024

सिद्धू की संभावित रिहाई से पंजाब कांग्रेस में हलचल तेज

राहुल गांधी की अगुवाई वाली बहुचर्चित भारत जोड़ो यात्रा पंजाब से निकल गई और अब राज्य कांग्रेस में नई हलचल का आलम है। इसका सबब नवजोत सिंह सिद्धू हैं। रोड रेज के लगभग तीन दशक पुराने मामले में पटियाला जेल में एक साल की सजा काट रहे नवजोत सिंह सिद्धू 26 जनवरी को जेल से रिहा हो रहे हैं। जेल प्रशासन उनके अच्छे व्यवहार के मद्देनजर वक्त से पहले उनकी रिहाई सुनिश्चित कर रहा है और राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार को भी इस पर कोई एतराज नहीं है। उन कांग्रेसी खेमों में जरूर जबरदस्त हलचल है जो नवजोत सिंह सिद्धू की सक्रियता पार्टी की राज्य इकाई में नहीं देखना चाहते। लेकिन अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि सिद्धू पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ-साथ पार्टी आलाकमान का पूरा हाथ है।

शनिवार को नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉक्टर नवजोत कौर सिद्धू कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बुलावे पर दिल्ली गईं थीं। उनसे मुलाकात के वक्त केसी वेणुगोपाल भी उनके साथ थे। प्रियंका से मिलने के कुछ दिन पहले श्रीमती कौर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे तथा अन्य कुछ नेताओं से भी मिली थीं। तभी पंजाब कांग्रेस में हलचल देखने को मिल रही थी जबकि तमाम बड़े कांग्रेसी नेता एकजुटता का ‘दिखावा’ करते हुए राहुल गांधी के साथ कदमताल तथा मंच सांझा कर रहे थे।

पहले जब भारत जोड़ो यात्रा ने पंजाब में प्रवेश किया तो पहला पड़ाव पटियाला के पास फतेहगढ़ साहिब, सरहिंद और खन्ना था। सिद्धू दंपति मूल पटियाला के बाशिंदे हैं लेकिन नवजोत कौर सिद्धू ने राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा से एक निश्चित दूरी बनाए रखी। नवजोत सिंह सिद्धू तो खैर जेल में थे लेकिन उनकी पत्नी यात्रा से गायब थीं। उन्होंने जालंधर आकर यात्रा में शिरकत की और अलग से राहुल गांधी से मुलाकात भी की। अचानक उन्हें देखकर सिद्धू विरोधी खेमा हतप्रभ रह गया। क्योंकि माना जा रहा था कि सिद्धू परिवार खफा है और इसीलिए डॉ कौर यात्रा से परे हैं। अलबत्ता सिद्धू खेमे के कई कांग्रेसी जरूर जगह-जगह भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े। राहुल गांधी बाखुशी डॉक्टर नवजोत कौर सिद्धू से मिले और अलग से उनसे मुलाकात की।

जालंधर में शामिल होने के बाद श्रीमती सिद्धू पहले पटियाला की केंद्रीय जेल में बंद नवजोत सिंह सिद्धू से मिलीं और उसके बाद दिल्ली चली गईं। वहां उनकी मुलाकात खड़गे और प्रियंका सहित कुछ अन्य नेताओं से हुई। उससे पहले यह खबर भी बाहर आई कि राहुल गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को रिहाई के बाद श्रीनगर रैली में शिरकत के लिए खुद न्योता दिया है। लगभग एक महीने पहले इस खबर को भी खासी सुर्खियां हासिल हुईं थीं कि प्रियंका गांधी ने जेल में बंद नवजोत सिंह सिद्धू को चिट्ठी लिखकर उनका हौसला बढ़ाया है और कहा है कि सजा की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें पार्टी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपेगी। तब सिद्धू के विरोधियों ने इसे महज एक ‘शिगूफा’ बताया था। इस पर सिद्धू खेमा और श्रीमती सिद्धू पूरी तरह खामोश रहे थे।

हलचल ज्यादा तेज तब हुई जब दिल्ली में प्रियंका गांधी के साथ मुलाकात की नवजोत कौर सिद्धू की फोटो लीक हुईं। मुलाकात के बाद डॉ सिद्धू ने सोशल मीडिया पर खुद फोटो डालकर पुष्टि की कि नवजोत राहुल की यात्रा के कश्मीर पड़ाव में हिस्सा लेंगे और आखिरी रैली को भी संबोधित करेंगे। इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है कि राहुल गांधी ने उन्हें 30 जनवरी को श्रीनगर में होने जा रही रैली के लिए आमंत्रित किया है।

तय हुए कार्यक्रम के मुताबिक (अगर आकस्मिक कोई बाधा नहीं आती तो) तो 26 जनवरी की दोपहर नवजोत सिंह सिद्धू जेल से बाहर होंगे और उसके बाद दिल्ली जाएंगे। वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी से मिलेंगे। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक 29 जनवरी को ही वह प्रियंका गांधी तथा अन्य नेताओं के साथ एक विशेष विमान में श्रीनगर पहुंचेंगे। यह खबरें कांग्रेस में सिद्धू विरोधियों की पेशानी पर बल डाल रही हैं। अब शक की कोई गुंजाइश नहीं बची कि जेल यात्रा और हार के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू की गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान के साथ नज़दीकियां कायम हैं।

यह भी सच है कि जबरदस्त शिकस्त के बावजूद पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कोई सबक नहीं सीखा और न राहुल गांधी की नसीहत काम आ रही है कि गुटों में बंटी पार्टी की राज्य इकाई एकजुट होकर काम करे क्योंकि साल भर बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले पंजाब में दो सीटों जालंधर और पटियाला के लिए लोकसभा उपचुनाव हो सकते हैं। जालंधर सीट चौधरी संतोख सिंह के आकस्मिक निधन के बाद रिक्त हुई है और पटियाला से सांसद, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी भाजपा में जा रही हैं और इससे पहले वह कांग्रेस से इस्तीफा देंगीं और पटियाला सीट भी छोड़ेंगीं, जहां से फिलहाल वह सांसद हैं।

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार के गठन के तीन महीने बाद ही संगरूर लोकसभा उपचुनाव हुआ था। यहां से पहले मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान सांसद थे। आप और अरविंद केजरीवाल एवं भगवंत मान को पूरी उम्मीद थी कि यह सीट उन्हीं की झोली में जाएगी लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए गरमपंथी अकाली दल नेता सिमरनजीत सिंह मान यहां से विजयी रहे। अब आप पूरे मंथन के बाद दोनों उपचुनावों के लिए अभी से तैयारियां कर रही है। उसका मुख्य मुकाबला कांग्रेस से होगा। क्योंकि जालंधर और पटियाला लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का अच्छा प्रभाव है और दोनों सीटों को पार्टी की परंपरागत सीटें माना जाता है। राहुल गांधी के लिए चिंता का सबब यह है कि राज्य की लुंज-पुंज और विघटन का शिकार कांग्रेस विपक्ष का मुकाबला कैसे करेगी? सरगोशियां हैं कि वक्त रहते अगर पटियाला सीट रिक्त होती है तो नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस यहां से लड़ाएगी।

फौरी आलम यह है कि कांग्रेस में एक खेमा प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का है, दूसरा नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा का, तीसरा सुखजिंदर सिंह रंधावा का और चौथा कपूरथला से विधायक प्रभावशाली नेता राणा गुरजीत सिंह का। पांचवां खेमा खुद नवजोत सिंह सिद्धू का है।

26 जनवरी को नवजोत सिंह सिद्धू की जेल से रिहाई के लिए उनका खेमा तैयारियों में मशगूल है। देखना होगा कि उनकी रिहाई के वक्त कितने कांग्रेसी नेता वहां होंगे। जो खेमे ऊपर बताए गए हैं, उनमें अब सन्नाटा पसर गया है। सिद्धू को अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, प्रताप सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और राणा गुरजीत सिंह सिरे से नापसंद करते हैं।

प्रताप सिंह बाजवा ने तो मंच से राहुल गांधी की उपस्थिति में कह ही दिया था कि पंजाब कांग्रेस का बेड़ा ‘बाहरी और दागी’ नेताओं ने डुबोया। एक तरफ उनका इशारा नवजोत सिंह सिद्धू की ओर था तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी उनके अपरोक्ष निशाने पर थे। बाजवा जब यह बोल रहे थे तब राहुल मुस्कुरा रहे थे यानी संकेत दे रहे थे कि उन्हें सब बखूबी मालूम है। कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चौधरी भी सिद्धू को पसंद नहीं करते और उन्होंने एकाधिक बार खुलकर कहा भी कि जेल से रिहाई के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी लेकिन अब सब कुछ बदल गया है।

राहुल गांधी का सिद्धू को बाकायदा निमंत्रण और प्रियंका गांधी से श्रीमती सिद्धू की सुखद मुलाकात ने समीकरण बदल दिए हैं। 30 जनवरी के बाद जाहिर होगा कि नवजोत सिंह सिद्धू नए अवतार के साथ कांग्रेस में किस भूमिका में होंगे? यकीनन यह भूमिका महत्वपूर्ण होगी, संकेत तो यही बताते हैं! प्रसंगवश, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस आलाकमान इसलिए भी श्रीनगर में यात्रा की समाप्ति रैली पर नवजोत सिंह सिद्धू की शमूलियत चाहता है कि फारूख अब्दुल्ला परिवार से नवजोत सिंह सिद्धू के अच्छे संबंध हैं और मुफ्ती परिवार से भी।

(पंजाब से अमरीक की रिपोर्ट।)

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