पंजाब : नगर निगम और निकाय के चुनाव परिणाम के राजनीतिक संकेत क्या हैं ?

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पंजाब के स्थानीय निकाय, नगर निगम, नगर पंचायत के हुए चुनाव में राज्य की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट उभर आई है। पंजाब में लगभग 3 साल के आम आदमी पार्टी के शासन का प्रभाव किस किस क्षेत्र में किस प्रकार का है इन चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है।  

पंजाब में कुल 167 स्थानीय निकाय हैं। 2016 के परिसीमन के आधार पर  नगर निगम 10 नगर परिषद प्रथम श्रेणी-28 द्वितीय श्रेणी-47 तृतीय श्रेणी-25 नगर पंचायत-57 हैं। पंजाब में नगर निकाय के चुनाव काफी समय लगभग पिछले 2 साल से लंबित पड़े थे।

जुलाई 2022 में आम आदमी पार्टी सरकार के स्थानीय निकाय मंत्री डा इंद्रबीर निज्जर ने कहा था कि परिसीमन का काम जल्द पूरा कर लिया जायेगा और स्थानीय निकाय के चुनाव वर्ष अंत तक करवाए जा सकते हैं। विपक्षी पार्टियों द्वारा बार-बार सरकार को निकाय चुनावों के मुद्दे पर घेरने के बाद भी आम आदमी सरकार टालमटोल करती रही।   

आम आदमी पार्टी की सरकार सभी वार्डों की पुनः परिसीमन करवाए जाने को आधार बनाकर चुनाव टालती रही थी लेकिन पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2024 में एक आदेश पंजाब सरकार और पंजाब चुनाव आयोग को दिया था कि स्थानीय निकायों के चुनाव ‘सभी वार्डों की दुबारा नयी परिसीमन प्रक्रिया’ पूरी किये बिना ही तुरंत 15 दिनों के भीतर कराये जाएं जिसको नव 2024  में सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को लताड़ लगते हुए सभी बहनेबाजियों को एक तरफ करके तुरंत चुनाव करवाने के आदेश जारी किये।

कई निगमों और परिषदों के चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हुए थे और लगभग 2 साल का समय बीत जाने के बाद भी वहां स्थानीय निकाय अस्तित्व में नहीं थे। 2023 में पुनः परिसीमन की प्रक्रिया की गयी थी लेकिन सभी वार्डों की परिसमन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी।

न्यायलय के आदेश के अनुसार 5 नगर निगम अमृतसर जालंधर फगवाड़ा लुधियाना पटियाला और 42 नगर परिषद / नगर पंचायतों के चुनाव 19 दिसंबर को सम्पन हुए है। 

977 वार्ड में चुनाव हुए जिनमें से 961 वार्ड के परिणाम घोषित हो चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने 522 (55 %) वार्ड में जीत हासिल की जबकि कांग्रेस ने 191 वार्ड में (20 %)। भाजपा और अकाली दल को बुरी तरह नकार दिया गया है।

भाजपा केवल 69 (7 %) वार्ड ही जीत पाई और अकाली दल 31 (3 %)। बहुजन समाज पार्टी को मात्र 5 वार्ड में जीत मिली।  निर्दलीय उम्मीदवारों ने 143 (15 %) वार्ड में जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी ने इस बार 44 नगर परिषद में से 26 में जीत प्राप्त की है। 

लेकिन आम आदमी पार्टी 2022 में प्रदेश की विधान सभा में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बावजूद पांच बड़े नगर निगम  अमृतसर, फगवाड़ा, जालंधर, लुधियाना, पटियाला में से केवल एक में ही पूर्ण बहुमत हासिल कर सकी है। मतदाताओं ने चार नगर निगमों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया।  

आम आदमी पार्टी ने पटियाला में पूर्ण बहुमत हासिल किया लेकिन लुधियाना और जालंधर में पूर्ण बहुमत से कुछ सीटों के अंतर से कम रह गयी। हालांकि यहां सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी है। कांग्रेस ने अमृतसर में जीत हासिल की और फगवाड़ा में सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनी है। 37. 32 लाख वैध मतदाता चुनाव में मतदान के लिए पंजीकृत थे।

65.85% मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। फगवाड़ा में 55.21 % मतदान हुआ जालंधर में 50. 27 % अमृतसर में 44. 05 % लुधियाना में 46 .95 % पटियाला में 32. 95 % मतदान हुआ। 3300 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया।  

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के गढ़ पटियाला की 60 सदस्य नगर निगम में आम आदमी पार्टी ने पूर्ण बहुमत 31 के आंकड़े से अधिक 43 वार्ड में जीत हासिल की। कांग्रेस और भाजपा को केवल चार-चार सीट ही मिल पाई। शिरोमणि अकाली दल को 2 सीट पर ही जीत मिल सकी। यहां 7 अन्य वार्ड में चुनाव स्थगित किये गए हैं। 

लुधियाना में 95 वार्ड में से आम आदमी पार्टी को 41 में ही जीत मिली जो पूर्ण बहुमत से 7 सीट कम है। कांग्रेस ने 30 सीट पर जीत हासिल की और भाजपा को 19 वार्ड में जीत मिली।

शिरोमणि अकाली दल को केवल 2 वार्ड और निर्दलीय को 3 वार्ड में जीत मिली। आम आदमी पार्टी को यहां एक बड़ा धक्का लगा, जब लुधियाना पश्चिम के आम आदमी पार्टी विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी की पत्नी सुखचैन कौर गोगी चुनाव हार गयी और लुधियाना मध्य के विधायक अशोक पराशर की पत्नी मीनू पराशर भी चुनाव हार गयी। 

कांग्रेस के पूर्व विधायक भारत भूषण आशु की पत्नी ममता आशु भी चुनाव में मात खा गयी। भारतभूषण आशु को 2000 करोड़ के घोटाले में ED ने गिरफ्तार किया था। भाजपा द्वारा जिस प्रकार रवनीत सिंह बिट्टू को लुधियाना में एक खास पहचान दी गई उसका कोई बड़ा लाभ भाजपा को यहां हुआ नहीं। 

फगवाड़ा में 50 सदस्यीय निगम में कांग्रेस ने 22 वार्ड में जीत हासिल कर के आम आदमी पार्टी को 12 वार्ड की जीत तक ही रोक दिया। यहां भाजपा को 4 शिरोमणि अकाली दल को 3 और बहुजन समाज पार्टी को 3 वार्ड में ही जीत मिल सकी।

कांग्रेस यहां सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बन कर उभरी है। अन्य पार्टी के समर्थन से कांग्रेस निगम  में अपना बहुमत हासिल करने में कामयाब हो सकती है। 

अमृतसर में अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ है। कांग्रेस ने 85 वार्ड में से 43 पर जीत दर्ज की है। आम आदमी पार्टी 24 वार्ड पर ही अपनी जीत दर्ज कर सकी। भाजपा को 9 और शिरोमणि अकाली दल को 4 जबकि निर्दलीय ने ५ वार्ड में जीत दर्ज की है।  

जालंधर में हाल के विधानसभा उपचुनावों में बड़ी जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी निगम चुनाव में पूर्ण बहुत हासिल करने से 5 सीट और जीतने से चूक गई। 85 सदस्यीय निगम में आम आदमी पार्टी 38 सीटें ही जीत पाई।

कांग्रेस ने यहां काफी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 25 वार्ड में जीत दर्ज की। भाजपा ने 19 वार्ड में बहुजन समाज पार्टी ने 1 और निर्दलीय को 2 वार्ड में जीत  मिली। 

खनौरी के नगर पंचायत में भी आम आदमी पार्टी को बड़ा सेट बैक लगा है जहां 13 सीट में से केवल 3 सीट ही आम आदमी पार्टी को मिली अन्य 10 सीट निर्दलीय ने जीती है। किसान आंदोलन का सीधा प्रभाव यहां आम आदमी पार्टी की सरकार के कामकाज की वजह से दिखाई दिया है। 

आम आदमी को पार्टी को बड़ा झटका उनकी राजनीतिक राजधानी संगरूर में लगा जहां 29 वार्डस में से केवल 7 वार्ड पर ही आम आदमी पार्टी जीत हासिल कर सकी। बरनाला विधानसभा उपचुनाव के बाद ये दूसरा बड़ा झटका आम आदमी पार्टी के लिए अपने ही गढ़ में है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला संगरूर से ही आम आदमी पार्टी ने अमन अरोरा को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया है। प्रदेश के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा भी इसी क्षेत्र से आते हैं।

आम आदमी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने कहा की पार्टी ने पंजाब में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और अब कई नगर निगम में अपना मेयर बना सकेंगे। पहले आम आदमी पार्टी का कहीं कोई अध्यक्ष नगर परिषद में नहीं रहा।

(जगदीप सिंह सिंधु वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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