पटना। यौन उत्पीड़न के मामले में बिहार भी पीछे नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाख महिलाओं के पक्षधरता की बात करें लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। सूबे में मानो संस्थागत यौन उत्पीड़न की घटनाओं की बाढ़ आ गई है। मुजफ्फरपुर रिमांड होम के हालिया प्रकरण के बाद सारण में पिछले सात महीने से लगातार 18 लोगों के द्वारा एक छात्रा से बलात्कार का जघन्य अपराध सामने आया है। इस मामले में बलात्कारी स्कूल के प्रिंसिपल, शिक्षक व सहपाठी हैं, जहां वह छात्रा पढ़ती थी। जिन लोगों पर छात्राओं की सुरक्षा का दायित्व था, उन्हीं लोगों ने उसे पल-पल प्रताड़ित व अपानित किया।
महिला संगठन एपवा की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। और पीड़िता के परिजनों से मुलाकात कर उनसे पूरे मामले की जानकारी हासिल की। संगठन की महासचिव मीना तिवारी के नेतृत्व में गयी जांच टीम ने लौट कर रिपोर्ट जारी की।
टीम एकमा थाना क्षेत्र के परसागढ़ स्थित उस प्राइवेट स्कूल में भी गयी जहां 10 वीं क्लास की इस छात्रा के साथ पिछले सात महीने से गैंग रेप किया जा रहा था।
जांच टीम ने पाया कि पीड़िता के साथ अक्तूबर महीने से ही बलात्कार शुरू हो गया था। जिस स्कूल में वह पढ़ती है, उसे महज आठवीं तक ही क्लास चलाने की अनुमति है लेकिन दूसरी जगह से रजिस्ट्रेशन करवाकर वहां दसवीं तक पढ़ाई का गोरखधंधा चल रहा था।
पहली बार अक्तूबर महीने में छात्रा के साथ एक लड़के ने डरा-धमकाकर बलात्कार किया। इस घटना को और दो सहपाठियों ने देखा और उन्होंने भी उस लड़की को धमकाया और उसके साथ बलात्कार किया। जब छात्रा ने इसकी शिकायत प्रिंसिपल से की तो प्रिंसिपल ने इस घटना का उल्लेख न करने की हिदायत दी। उसके बाद प्रिंसिपल विभिन्न बहानों के जरिए छात्रा को अपने पास बुलाने लगा और फिर प्रिंसिपल ने छात्रा के साथ लगातार बलात्कार किया। फिर स्कूल के दूसरे शिक्षक भी इस दरिंदगी में शामिल हो गए। चूंकि छात्रा के पिता किसी मामले में जेल में बंद थे, इसलिए वह घर पर भी अकेली पड़ गई। प्रिंसिपल अक्सर उसे धमकी देता कि बाप तो जेल में है ही यदि उसने मुंह खोला तो उसके भाई को मरवा देंगे। पिछले दिनों जब छात्रा के पिता जेल से छूटकर आए तो उन्हें सारा घटनाक्रम पता चला और फिर यह मामला प्रकाश में आया।
जांच टीम ने बताया कि इस मामले में 18 लोग शामिल हैं। प्रिंसिपल, कुछ शिक्षक व छात्रों को तो गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन अभी भी कई अपराधी इस पहुंच से बाहर हैं। प्रशासन अब इस मामले में बेरुखी दिखला रहा है अन्यथा सारे अपराधी अब तक जेल की सींखचों के पीछे होते।
जांच टीम ने सभी बलात्कारियों की गिरफ्तारी, उस संस्थान में पढ़ने वाले अन्य छात्रों व पीड़िता के भविष्य की रक्षा व पढ़ाई की व्यवस्था जारी रखने की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर संगठन ने आगामी 10 जुलाई को सारण जिलाधिकारी के सामने प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
जांच टीम का नेतृत्व कर रहीं संगठन की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा आज पूरी तरह बेटियों के साथ बलात्कार व उत्पीड़न के नारे में तब्दील हो गया है। उन्होंने नीतीश कुमार से कहा कि इस तरह की घटनाओं की जवाबदेही वे खुद लें। ऐसी घटनाओं में निर्णायक कदम नहीं उठाने की वजह से ही आज बलात्कारी मानसकिता हर जगह अपना पांव पसार रही है। वैशाली का डीका हत्याकांड हो या फिर मुजफ्फरपुर रिमांड होम का मामला, इन मामलों में सरकार ने हद दर्जे की उपेक्षा ही दिखलाई है। जांच टीम में ऐपवा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य सोहिला गुप्ता व माले नेता राम पुकार राय शामिल थे।
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