वाराणसी। बनारस में बढ़ते प्रशासनिक दमन और आम जनता पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आज विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने और बनारस को पुलिसिया राज में बदलने का आरोप लगाया।
इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, जिससे झड़प की स्थिति बनी, लेकिन इसके बावजूद विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष अपना 26 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
पुलिस की दमनकारी कार्रवाई, गांधी जी की तस्वीर फाड़ी
रविंद्रपुरी स्थित डॉ. आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद प्रदर्शनकारी जुलूस की शक्ल में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर बढ़े, लेकिन पुलिस ने रविंद्रपुरी चौराहे पर भारी पुलिस बल तैनात कर उन्हें रोकने की कोशिश की। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने दमनकारी रवैया अपनाया और महात्मा गांधी की तस्वीर तक फाड़ दी। इसके बावजूद विपक्षी नेता नहीं रुके और विरोध मार्च जारी रखा।
बनारस में जमीन लूट, व्यापारियों और गरीबों का उत्पीड़न
सभा को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकार गरीबों और ठेला-पटरी व्यापारियों को उजाड़कर बनारस के असली निवासियों को बेघर करने में जुटी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दमन बंद नहीं हुआ तो विपक्ष बनारस बंद का ऐलान करेगा।

कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने सरकार पर किसानों की जमीन जबरन हड़पने और सर्किल रेट पर रोक लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गरीबों और किसानों को बर्बाद करने की इस नीति के खिलाफ विपक्ष पूरी ताकत से लड़ेगा।
‘डरेंगे नहीं, चुप नहीं रहेंगे, सब मिलकर लड़ेंगे’
नागरिक आंदोलन के नेता एस.पी. राय ने कहा कि मोदी-योगी सरकार विपक्ष की एकता तोड़ना चाहती थी, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव करके विपक्षी दलों और संगठनों ने एकजुटता का संदेश दिया है। उन्होंने ऐलान किया कि यह आंदोलन रुकने वाला नहीं है और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो पूरा बनारस बंद कर दिया जाएगा।

विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर 30 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो बनारस में बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा और ‘बनारस बंद’ का ऐलान किया जा सकता है।
26 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया, महाकुंभ में मृतकों को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्ञापन सौंपने के बाद प्रदर्शनकारियों ने महाकुंभ हादसे में जान गंवाने वालों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
इस विरोध प्रदर्शन और घेराव में सामाजिक संगठनों, विपक्षी दलों और नागरिक नेताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, कम्युनिस्ट फ्रंट, सीपीआई, भाकपा माले, स्वराज अभियान, समाजवादी जनपरिषद, पीएस4, सांझा सांस्कृतिक मंच, एपवा, बीएसएम और एनएसयूआई के कार्यकर्ता शामिल थे।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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