Friday, April 19, 2024

बिहार की निर्भया को 25 साल बाद इंसाफ, पूर्व विधायक समेत चार को मिली उम्र कैद

सुपौल गैंगरेप कांड के आरोपी पूर्व विधायक योगेंद्र सरदार और तीन अन्य दोषिओं को अदालत ने घटना के 25 साल बाद आजीवन कारावास की सजा दी है। इसके अतिरिक्त इन सब पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। दो धाराओं में सभी को एक-एक लाख का अर्थ दंड दिया गया है, जिसकी राशि राज्य सरकार के कोष में जमा करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है।

ये मामला त्रिवेणीगंज में साल 1994 में हुआ था। जब बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि मामला 24 साल पुराना है, इसलिए इसमें राहत दी जाए तो कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। योगेंद्र सरदार जनता दल से त्रिवेणीगंज के विधायक थे। इस मामले में बीते सोमवार को एडीजे थ्री रविरंजन मिश्र की अदालत ने पूर्व विधायक योगेन्द्र नारायण सरदार समेत चार अन्य आरोपी को दोषी माना था। कोर्ट ने सजा के बिंदु पर बहस के लिए 31 जनवरी का समय दिया था। 

निर्भया को इंसाफ मिलने में सात साल लगे, लेकिन एक ऐसी भी निर्भया है जिसने अपने साथ हुए गैंगरेप के इंसाफ के लिए 25 वर्षों का इंतजार किया और अब जाकर उसे इंसाफ मिला है। इस निर्भया का गैंगरेप किसी आम इंसान ने नहीं बल्कि एक विधायक ने किया था। 

इस मामले में सुपौल कोर्ट ने त्रिवेणीगंज के पूर्व विधायक योगेन्द्र नारायण सरदार समेत चार लोगों को दोषी करार दिया था। बिहार के सुपौल में आरोपी जनप्रतिनिधि के अपराध से पूरा समाज हिल गया था। 

16 नवंबर 1994 की रात पीड़िता अपनी मां के साथ सोई हुई थी। इसी बीच पूर्व विधायक योगेन्द्र नारायण सरदार, शंभू सिंह, उमा सरदार और भूपेंद्र यादव सहित दो-तीन अज्ञात मिलकर रात करीब 12 बजे पीड़िता के घर आए और लड़की का हाथ-मुंह बांधकर जीप से लेकर चले गए। आरोपियों ने एक कमरे में ले जाकर बारी-बारी से उसका रेप किया। दुष्कर्म के दौरान लड़की ने पूर्व विधायक के प्राइवेट पार्ट को काट लिया था। इसके बाद दुष्कर्मियों के चंगुल से भागकर किसी तरह अपने घर आई और परिजनों को आपबीती सुनाई।

जख्मी हालत में लड़की की मेडिकल जांच कराई गई। 19 नवंबर 1994 को पीड़िता के बयान पर त्रिवेणीगंज थाना में केस दर्ज कराया था। उस समय हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच हुई थी। इसमें डॉक्टरों ने रिपोर्ट में धारदार हथियार से नाजुक अंग को जख्मी करने की बात कही थी।  

बिहार में उस समय जनता दल की सरकार थी और लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। गैंगरेप को अंजाम देने वाला विधायक योगेन्द्र नारायण सरदार भी जनता दल का त्रिवेणीगंज से विधायक था। लालू प्रसाद यादव उस समय विपक्ष के निशाने पर थे। लालू प्रसाद यादव डैमेज कंट्रोल में करने में लगे रहे। भारी दबाव के बाद 19 नवंबर 1994 को त्रिवेणीगंज थाने में गैंगरेप का मामला दर्ज हुआ, जिसके बाद जख्मी हालत में लड़की का मेडिकल कराया गया और पुलिस ने अपनी जांच शुरू की। लालू प्रसाद यादव ने पीड़ित लड़की को बिहार पुलिस में भर्ती करवाया, तब जाकर मामला शांत हुआ।

एडीजे थ्री रविरंजन मिश्र की अदालत ने 27 जनवरी को सत्रवाद संख्या 36/95 की सुनवाई करते हुए सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित शंभू सिंह, भूपेन्द्र यादव, योगेन्द्र नारायण सरदार (पूर्व विधायक) और उमा सरदार को दोषी करार दिया था। त्रिवेणीगंज थाना में दर्ज केस में सभी आरोपियों पर एक लड़की से सामूहिक दुष्कर्म का आरोप है।

मामले में पीड़िता ने त्रिवेणीगंज थाना में केस दर्ज कर शंभू सिंह, भूपेंद्र सरदार, योगेंद्र नारायण सरदार, उमा सरदार, रामफल यादव और हरिलाल शर्मा उर्फ हरिनारायण शर्मा को नामजद किया था। इसमें से एक आरोपी रामफल यादव की मौत हो चुकी है। हरिलाल शर्मा उर्फ हरिनारायण शर्मा फरार चल रहा है। मामले में अभियोजन पक्ष से 11 और बचाव पक्ष से सात लोगों की गवाही हुई थी।

इस मामले में अपना गुप्तांग कटवाने वाले त्रिवेणीगंज के पूर्व विधायक योगेंद्र सरदार तीन साल जेल की हवा भी खा चुके हैं। इस घटना के बाद बिहार में भारी मूचाल मचा था और 1995 में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। बाद में वे लोजपा से चुनाव भी लड़े और हार गए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और कानून मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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