Thursday, April 18, 2024

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पांच प्रोफेसर के ख़िलाफ़ कैंट थाने में दी तहरीर

दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्री पीएचडी के 14 छात्र-छात्राओं ने प्रॉक्टर सहित पांच प्रोफेसरों के ख़िलाफ़ कैंट थाने में तहरीर दी है। छात्रों ने तहरीर में आरोप लगाया है कि प्री पीएचडी परीक्षा के दौरान इन लोगों ने अभद्रता की, जाति सूचक अपशब्द कहे तथा भविष्य बर्बाद करने की धमकी दी और धोखा देने के उद्देश्य से कूटरचित पाठ्यक्रम वेबसाइट पर अपलोड किया है।

छात्रों द्वारा जिन लोगों के ख़िलाफ़ तहरीर दी गई है उनमें प्रोफेसर एस के सिंह, प्रो अजय सिंह (विज्ञान संकायाध्यक्ष), प्रो विनय सिंह, नियन्ता प्रो सतीश चन्द्र पाण्डेय, डा सुषमा पाण्डेय शामिल हैं।

कैंट थाने में प्रॉक्टर समेत पांच प्रोफेसर के ख़िलाफ़ जिन छात्रों ने थाने में तहरीर दी है उनमें प्री पीएचडी के छात्र कमलकांत राव, कृतिका सिंह, राधा विश्वकर्मा, अन्नू जायसवाल, अंजनी पांडेय, दीप्ति राय, मंदीप राय, प्रशांत मौर्य, आनन्द मिश्र, रामभरोसे तिवारी, अमित चौहान, राजन दुबे, सुधीर मद्धेशिया, राजन विश्वकर्मा शामिल हैं।

छात्रों द्वारा थाने में दी गई तहरीर में बताया गया है कि वे दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में सत्र 2019-2020 के शोध छात्र हैं। उनकी प्री पीएच0डी0 के प्रथम प्रश्नपत्र की परीक्षा 7 जनवरी को होनी थी, जिसमें 45 अंक की लिखित परीक्षा व आंतरिक मूल्यांकन 55 अंक कराने की पूर्व सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी गयी थी। जब हम लोग निर्धारित समयानुसार परीक्षा कक्ष में गए तो हमें जो प्रश्नपत्र मिला तो उसमें बताये गये प्रारूप के विपरीत 45 अंक का बहुविकल्पीय तथा 20 अंक का लिखित परीक्षा के दो अलग-अलग प्रश्नपत्र थे। इसके पूर्व में जानकारी हम शोधार्थियों को और न ही सम्बन्धित विभागाध्यक्षों को थी

तहरीर में छात्रों द्वारा आगे कहा गया है कि प्रश्नपुस्तिका परीक्षा कक्ष में आने से पूर्व ही उसके लिफाफे का सील पूर्णतया क्षतिग्रस्त होकर खुला हुआ था। इसकी शिक़ायत करने जब हम जाने लगे तो हमें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गेट पर ताला जड़कर एक कमरे में बंद कर दिया गया। कुछ देर बाद जब हम केंद्राध्यक्ष प्रोफेसर एस के सिंह से शिक़ायत करने व मिलने जा रहे थे, तभी सीढ़ी पर ही प्रो एसके सिंह, प्रो अजय सिंह (विज्ञान संकायाध्यक्ष), प्रो विनय सिंह, नियन्ता प्रो सतीश चन्द्र पाण्डेय, डॉ. सुषमा पाण्डेय व अन्य लोगों द्वारा हम लोगों को रोक लिया गया और गाली दी गई।

कमलकांत राव को जाति सूचक गालियां दी गईं। शोध छात्रा दीप्ति राय, कृतिका सिंह के साथ अभद्र हरकत कर अपमानित किया गया और भविष्य बर्बाद करने व पंजीकरण निरस्त करने की धमकी दी गई। इस तरह आरोपियों ने दुर्भावना ग्रस्त होकर धोखे से मिथ्या दस्तावेज़ रचकर प्रश्नपत्र बदले जाने, फर्जी व कूटरचित पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर अपलोड करने का कार्य किया।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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