झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 19 जनवरी 2023 को राज्य में संचालित जल जीवन मिशन (हर घर नल-जल योजना ) एवं स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्य प्रगति की समीक्षा बैठक में कहा था कि वर्तमान राज्य सरकार के गठन के पहले तक झारखंड में केवल 3.45 लाख (05%) घरों में नल से जल उपलब्ध हो पाया था। जबकि हमारी सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल में 14.12 लाख परिवारों को हर घर नल से जल के तहत जोड़ा गया है। यानी अब तक लगभग राज्य के 17.57 लाख (28.73%) ग्रामीण परिवारों तक नल से जल पहुंचाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की माने तो झारखंड के 630 गांव, 105 ग्राम पंचायत तथा एक प्रखंड में यह योजना शत-प्रतिशत पहुंची है। झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में हुई इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की थी, जिसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी उपस्थित थे।
हर घर नल-जल योजना के सफलता के दावों के बीच राज्य जिस तरह का जल संकट से जूझ रहा है वह सरकार की घोषणाओं और दावों की पोल खोल रहा है। पानी के संकट की स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत तिसरी प्रखंड मुख्यालय से सटा तिसरी चौक से लेकर चिलगीली, केन्वटाटांड, भुराई रोड तक की लगभग दो हजार से अधिक जनसंख्या जल संकट से जूझ रही है। स्थिति यह है कि काफी दूर से पुरूषों को साइकिल से और महिलाओं को सिर पर बर्तन रखकर पानी ढोना पड़ रहा है। वैसे तो यहां लाखों की लागत से बनी पानी की एक भव्य टंकी है लेकिन वह केवल शोभा की वस्तु है, उसमें कभी पानी रहा ही नहीं।
वैसे तो यहां सालों भर पानी की किल्लत रहती है लेकिन गर्मी में यह समस्या विकराल रूप ले लेती है। उक्त क्षेत्र के लोग जमुनियाटांड़ स्थित एक कुआं से पानी लाते हैं। कुआं एक किमी दूर है। क्षेत्र के लगभग दो ढाई सौ घर के लोग उसी कुआं से पानी लाते हैं। पुरूष साइकिल से और महिलाएं सिर पर रखकर लाती हैं।
20 साल पहले टंकी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 10 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनवायी थी। ग्रामीण बताते हैं कि टंकी निर्माण कार्य में घोर अनियमितता व लापरवाही बरती गयी। जिसके कारण टंकी लीक कर गयी।
पानी सप्लाई के लिए जब-जब उक्त टंकी में पानी भरा जाता था, तो पानी गिर जाता था। विभाग ने उक्त अनियमितता को छिपाने के लिए पूर्व में बने रीजनल अस्पताल की एक टंकीनुमा बने कुआं से पानी की सप्लाई शुरू की। कुआं जमीन पर रहने के कारण पानी का प्रेशर नहीं रहता है। इसके कारण उक्त क्षेत्र के आधे हिस्से में पानी नहीं जाता है। इधर कुछ दिन पूर्व क्षेत्र में नल जल योजना के तहत लगभग नौ बड़ी बोरिंग की गयी, लेकिन चूंकि यह क्षेत्र पूर्णरुपेण ड्राई क्षेत्र है। इसके कारण पानी नहीं निकला।
ग्रामीण बताते हैं कि तिसरी इलाके के आधे हिस्से में पानी की स्थिति लगभग ठीक है, लेकिन बाकी के आधे हिस्से में पानी की किल्लत सालों से है। बावजूद इस ओर न तो स्थानीय प्रशासन का है और न ही जनप्रतिनिधियों का कोई ध्यान है। हम लोग एक किमी दूर से पानी लाते हैं। विनीता देवी बताती है कि तिसरी में पानी का संकट आजकल और भी गहरा गया है यहां के जनप्रतिनिधि को केवल वोट से मतलब है हम लोगों की समस्या से नहीं। यही कारण है कि यहां बनी पानी टंकी से जलापूर्ति के बाद भी उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है।
सोनी देवी बताती है कि जमुनियाटांड में एक कुआं है जहां से हम लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। भंडारी रोड में एक तालाब है जहां लोग स्नान आदि करते हैं। इसके लिए लोगों को दूर जाना पड़ता है। वर्षों से पानी की घोर किल्लत है, इसपर किसी का ध्यान नहीं है। समाजसेवी प्रकाश विश्वकर्मा ने कहते हैं कि तिसरी पुल के पास बनी पानी टंकी के निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच व दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। यदि लाखों की लागत से बनी उक्त पानी टंकी लीक नहीं करती तो काफी सहूलियत होती।
इन तमाम समस्याओं पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता मणिकांत कुमार ने कहते हैं कि तिसरी का आधा हिस्सा ड्राई जोन है। इसलिए उस क्षेत्र में पानी की समस्या है। इसी समस्या के समाधान के लिए नल-जल योजना के तहत तीन बड़ी बोरिंग की जगह पर नौ बोरिंग की गयी, लेकिन दुर्भाग्यवश पानी नहीं निकला है। फिर भी इस क्षेत्र के लोगों के लिए हर संभव पानी की व्यवस्था की जायेगी।
उन्होंने कहा कि पुरानी पानी की टंकी की मरम्मत का कोई प्रावधान विभाग में अभी तक नहीं आया है। यदि टंकी मरम्मती की अनुमति मिलेगी तो इसे भी दुरुस्त करने का प्रयास किया जायेगा।
(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं।)