जौनपुर। रविवार को जौनपुर में दिशा फाउंडेशन, कबीर पीस सेंटर, अवध यूथ कलेक्ट्यू, तारा एजूकेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में साझा विरासत और विचार विषय संगोष्ठी में किशोर-किशोरियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश की साझी विरासत को संजोकर चलने से ही नहीं बल्कि उन्हें आत्मसात करने की भी जरुरत है। साझी विरासतों को संजोकर चलने से देश में अमन-चैन का माहौल होगा, न कि इन्हें तोड़ने से।”
इस दौरान धर्म-मजहब, जाति जैसी कुव्यवस्थाओं पर करारा प्रहार करते हुए आपसी सौहार्द और साझी विरासतों को संजोकर चलने पर जोर दिया गया।
यह कार्यक्रम देश की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस पखवारा सप्ताह अन्तर्गत आयोजित किया गया था।
एक साथ जौनपुर जनपद के चार विकास खंडों के पांच ग्राम सभाओं में प्रथम शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले व फातिमा शेख के जन्मदिन को साझी विरासत के रूप में मनाया जा रहा है।
यह कार्यक्रम क्रम सह गोपालापुर ब्लाक धर्मापुर, सकरा ब्लाक मुफ्तीगंज, छितौना ब्लाक केराकत, पारापट्टी ब्लाक करंजाकला, आजाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय आजाद नगर ब्लाक मुफ्तीगंज में आयोजित किया गया।
इसी कड़ी में दिशा लर्निंग सेंटर में ग्राम सभाओं में समुदाय की महिलाओं-किशोरियों, युवाओं के साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के साथ मिलकर भारत की प्रथम शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले के साथ फातिमा शेख के जन्मदिन को हिन्दू-मुस्लिम एकता और साझी विरासत के में रूप में दोनों समाज सुधारकों, शिक्षिकाओं के जन्मदिन मनाया गया। कार्यक्रम में सभी ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
महिला समानता व उनके अधिकारों को स्थापित करने पर जोर
जयंती कार्यक्रम में जिले के सामाजिक कार्यकताओं, बुद्धिजीवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के जीवन संघर्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही महिला समानता की चुनौतियों को चिन्हित कर उसके समाधान में समाज की भूमिका तैयार करने पर पर बल दिया।
साथी वक्ताओं ने महिला समानता व उनके अधिकारों को स्थापित करने के लिए महिला नेतृत्व को बढ़ाने व महिलाओं को हर क्षेत्र में अपने अधिकार के लिए संघर्ष तेज करने पर बल दिया गया। अलग-अलग कार्यक्रमों में संविधान के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करने के सतत प्रयास करने की जरूरत को महसूस किया जा रहा है।
दिशा फाउंडेशन के निदेशक लाल प्रकाश ‘राही’ ने कार्यक्रम में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के जन्मदिन को साझी विरासत और हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में भी देखा जाना चाहिए।
जब फुले दंपत्ति को उनके घर और गांव से निकाल दिया गया तो फातिमा शेख ने उन्हें सिर्फ अपने घर में रहने की जगह ही नहीं दी, बल्कि स्कूल चलाने के लिए भी जगह दी और हर मुसीबत में उनके भाई उस्मान शेख बहन फातिमा शेख एक साथ खड़े भी रहे हैं।
उनकी इस भूमिका को कभी नकारा नहीं जा सकता है। जब भी सावित्री बाई फुले और ज्योतिराव फुले को याद किया जाएगा तब-तब फातिमा शेख और उस्मान शेख को याद करना पड़ेगा, नहीं तो यह उनके प्रति ही अन्याय नहीं होगा बल्कि फुले के संघर्षों और उनके सामाजिक कार्यों के प्रति भी अन्याय होगा।
कुरीतियों से बचने साझी विरासतों को बचाने पर जोर
संगोष्ठी में कुरीतियों, नशे के सेवन से बचने व शिक्षा संस्कार से खुद को जोड़ने और दूसरों को भी जागरूक करने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में डॉ अंगद राही, आफताब, नगीना देवी, जाह्नवी, पायल, साधना सिंह, हदिशुन निशा, सुरेन्द्र प्रताप, वीरेंद्र कुमार यादव, विवेक शर्मा, शुभम शर्मा, पूनम इत्यादि ने भी अपने विचारों को व्यक्त करते हुए समानता की खाई को पाटने और सावित्री बाई फुले एवं फातिमा शेख के जीवन संघर्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला है।
कहा देश की प्रथम शिक्षिका को महज़ उनके जन्मदिन पर ही याद न किया जाए बल्कि उनके जीवन संघर्षों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में भी बदलाव लाने की खानें, ताकि समाज के अंतिम पायदान के लोगों को भी जीने का अधिकार मिले सभी को शिक्षा और उनका अधिकार मिले यह प्रण करें और लोगों को जागरूक करें।
इस दौरान कड़ाके की ठिठुरती ठंड के बीच सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों को 10 जनवरी तक सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के जीवन स्मरण से रुबरु कराने और जीवन संघर्षों को घर-घर, गांव-गांव पहुंचाने, समाज के दबे-कुचले शोषित वंचित समाज के लोगों को जोड़ने का संकल्प दिलाया गया।
(संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)
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