पटना। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुक्रवार को राजधानी के कंकड़बाग सब्जी मंडी में ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम ‘किसानों के साथ हम पटना के लोग’ में चौथे दिन भी नागरिक समाज के अनेक प्रबुद्ध जन जुटे और कृषि कानूनों के दुष्प्रभावों से लोगों को अवगत कराते हुए इनके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवसागर शर्मा ने केंद्र की कॉरपोरेट परस्त मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर किसान इस देश की 135 करोड़ आबादी को दाना मुहैया करा सकते हैं तो वे इस अनाज पर डाका डालने वाले का जीना मुहाल भी कर सकते हैं। सरकार के साथ ग्यारह दौर की वार्ता के बाद भी किसानों का अपनी मांगों पर अडिग रहना इस बात को साफ करता है कि अनाज पर डाका डालने वालों की अब खैर नहीं है, चाहे वह अडानी-अंबानी जैसे पूंजीपति हों या उनकी सरमायेदार मोदी सरकार।
उन्होंने कहा कि केंद्र की जुमलेबाज सरकार जहां एक-एक कर तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त कर रही है, वहीं देश के किसान तमाम बाधाओं के बावजूद आज़ादी और जम्हूरियत बनाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें इस लड़ाई को एक साथ मिलकर जीतना होगा।

भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केडी यादव ने किसान आंदोलन के दौरान अब तक 147 किसानों की मौत को शहादत बताते हुए जोरदार शब्दों में कहा कि हम संकल्प लेते हैं कि किसानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी और जब तक मोदी सरकार कृषि विरोधी ये तीन काले कानून रद्द नहीं करती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून देश को गुलामी की ओर धकेलने के लिए हैं, जिनके खिलाफ खड़ा होना हर भारतवासी का फर्ज बनता है।
इसके पहले आइसा नेता प्रियंका प्रियदर्शिनी ने दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल का एक हिस्सा, कहां तो तय था चरांगां हर एक घर के लिए/कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए से अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि ‘अच्छे दिन’ और ‘सुशासन’ का वादा कर सत्ता में आई केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार के कामधाम जनविरोधी और विकास विरोधी साबित हो रहे हैं।
शायर संजय कुमार कुंदन ने अपनी गजलों और नज्मों से देश-समाज की वर्तमान स्थिति का वर्णन करते हुए हुकूमत को खबरदार किया कि अगर वह अपने तानाशाही रवैये से बाज नहीं आई तो जनता उसे उखाड़ फेंकेगी।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए इस नागरिक अभियान के संयोजक एआइपीएफ से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब ने कहा कि व्यापक समाज को आंदोलन से जोड़ना हम सबकी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। इसी मकसद से यह अभियान चलाया जा रहा है। ‘किसानों के साथ हम पटना के लोग’ नामक इस नागरिक अभियान का यह चौथा दिन था जो पटना के विभिन्न मुहल्लों, बाजारों, इलाकों में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) तक चलेगा। इसमें सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि-साहित्यकार, प्राध्यापक-चिकित्सक, कवि, गायक, रंगकर्मी, युवा-मजदूर आदि समाज के सभी तबके भाग ले रहे हैं। गीत, कविता, नुक्कड़ नाटक और वक्तव्यों से किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया जा रहा है।
उक्त वक्ताओं के अलावा कार्यक्रम को अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सह सचिव उमेश सिंह, इंसाफ मंच की आसमा खान, डॉ. प्रकाश और अनुराधा सिंह ने भी संबोधित किया। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव, जन संस्कृति मंच के संयोजक राजेश कमल, पन्नालाल सिंह, अशोक कुमार, आइसा नेता विकास यादव, ददन प्रसाद, बबलू साहनी और मो. सोनू समेत प्रबुद्ध नागरिक समाज के दर्जनों लोग मौजूद रहे। अभियान के पांचवे दिन 23 जनवरी को दोपहर दो बजे से यह कार्यक्रम मीठापुर (बस स्टैंड) में आयोजित किया जाएगा।
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