Friday, March 29, 2024

अररिया गैंगरेप मामले में पीड़िता के मददगारों को मिली जमानत

जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों तनवी और कल्‍याणी को अंतरिम जमानत मिल गई है। उच्चतम न्यायालय के जस्टिस अरुण मिश्रा जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने उनकी जमानत याचिका स्वीकार कर ली। बिहार के अररिया में अदालत का कामकाज बाधित करने के आरोप में उन्हें जेल भेज दिया गया था।

पीठ ने बिहार पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दोनों को अररिया गैंगरेप मामले में अदालती कार्यवाही को बाधित करने के लिए जेल भेजा गया था। उच्चतम न्यायालय ने दोनों को तुरंत रिहा करने को भी कहा है। जस्टिस मिश्रा ने मौखिक रूप से कहा कि यह आदेश पूरी तरह से अनुचित है जिसके द्वारा उन्हें हिरासत में भेजा गया था।

इससे पहले पीड़िता को बिहार की स्थानीय अदालत द्वारा 18 जुलाई को जमानत मिल गई थी, लेकिन कल्याणी और तन्मय की जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था। पीड़िता ने सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट सात जुलाई को अररिया महिला थाने में दर्ज कराई थी।

महिला थाने में दर्ज FIR में जिक्र है कि मोटरसाइकिल सिखाने के बहाने उनको एक परिचित लड़के ने बुलाया। एफआईआर में कहा गया है कि उसे एक सुनसान जगह ले जाया गया जहां मौजूद चार लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। पीड़िता ने अपने परिचित से मदद मांगी, लेकिन वो वहां से भाग गया।

इसके बाद पीड़िता अररिया में काम करने वाले जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों की मदद से अपने घर पहुंची। दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने किया।


S U P R E M E C O U R T O F I N D I A

Petition(s)(Criminal) No(s). 210/2020

KALYANI BADOLA & ANR. Petitioner(s) VERSUSTHE STATE OF BIHAR & ORS.

O R D E R

Issue notice.Until further orders, we direct the release of the petitioners on bail on furnishing personal bond for a sum of Rs.10,000/-(Rupees Ten Thousand) each, forthwith, to the satisfaction of the concerned Authorities.

बाद में पीड़िता अपना घर छोड़ कर जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों के साथ ही रहने लगी। सात और आठ जुलाई को उसकी मेडिकल जांच हुई और 10 जुलाई को बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाया गया। पीड़िता अपने मददगार की मौजूदगी में लिखित बयान पढ़वाना चाहती थी, जो मजिस्ट्रेट को नागवार गुजरा और उन्होंने उल्टे पीड़िता और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी।

न्यायालय में जज  के कार्य में बाधा डालने एवं अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने के मामले को लेकर कोर्ट स्टॉफ ने महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद पीड़िता सहित उनको जेल भेज दिया गया था।

मजिस्ट्रेट का आरोप है कि महिला ने उनके स्टॉफ से बदतमीजी की और कानून की प्रक्रिया में बाधा डाली। इसलिए पीड़ित महिला, तन्मय और कल्याणी तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।) 

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