Saturday, April 20, 2024

चन्दौली में कोरोना को लेकर हाहाकार! लाशों से पट गए हैं गांव के गांव

चन्दौली जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद हाहाकार मचा है और स्वास्थ्य विभाग जांच के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति कर रहा है गाँवों में न तो डाक्टर जा रहे हैं और न ही दवाई का वितरण और टेस्टिंग हो रही है। जनप्रतिनिधि घरों में आइसोलेटेड हैं। चन्दौली जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने चंदौली में कमलापति त्रिपाठी सरकारी अस्पताल व चकिया में चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय में कोविड -2 के मरीजों के लिए 150 बेढ़ की व्यवस्था किया है। गम्भीर कोविड के मरीजों के लिए कोविड की कोई व्यवस्था नहीं है। वेंटिलेटरों की संख्या बहुत कम है। मात्र तीन की जानकारी मिल रही है। वह भी चन्दौली के कमला पति त्रिपाठी जिला अस्पताल में है। चकिया के जिला संयुक्त चिकित्सालय में एक भी नहीं है। पंचायत चुनाव के बाद कोरोना का प्रभाव शहरों कस्बों के गाँव में बड़ी तेजी से फैल रहा है। कुछ गाँवों में तो एक ही परिवार के कई सदस्यों की मौत हो गयी है। चन्दौली जनपद के ही शहाबगंज ब्लॉक के डुमरी गाँव में करीब 15 दिनों के अंदर 11 मरीजों की मौत हो गयी। शुरुआत में नंदलाल मौर्या के पुत्र आनंद मौर्या की तेज बुखार व सांस लेने से दिक्कत हुयी समुचित इलाज न मिलने से मौत हुयी। फिर तो सिलसिला शुरू हो गया।

देखते देखते रामसेत मोर्या, शकुन्तला देवी, लालजी चौहान, मराछी, रामराज मौर्या , कामदेव पाण्डेय, प्रभु नारायण, बिन्दा चौबे, पुष्पा और कुमार की मौत हो गयी लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने जांच व दवाई वितरण के नाम पर केवल खानापूर्ति की। न तो जांच के लिए पूरे गाँव के लोगों की सैम्पलिंग लिया गया है और न ही गाँव में साफ सफाई, सेनेटाइजिंग की व्यवस्था की गयी है। उसी चकिया के सरफुद्दीन खान, साइमा खातून, महबूब आलम, शिवा पटेल, लल्लन, सहित कई लोगों की आक्सीजन व वेंटिलेटर की अभाव में मौत हुयी! चकिया ब्लॉक के ही कुशही गाँव में एक ही परिवार के रामसेवक यादव, रामजन्म यादव की मौत हुयी। यही हाल सभी ब्लॉक का है जहाँ मरीजों की संख्या की भरमार है। आक्सीजन दवाई इलाज के अभाव में लोगों की मौतों का सिलसिला शुरू है। और चन्दौली स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से पंगु है। अपने कोविड अस्पताल में न कोई व्यवस्था दे पा रहा है और न ही निजी अस्पतालों पर अंकुश है। निजी अस्पताल मरीजों को लूट रहे हैं।

वेंटिलेटर के अभाव में इस कोरोना ग्रस्त मरीज की मौत हो गयी।

एक एक बेड का चार्ज 25 हजार लिया जा रहा हैं। जांच के नाम रैपिड जांच हो रही है और उस जांच में ज्यादा तर निगेटिव रिपोर्ट आ रही है। वहीं मरीजों का आरटीपीसीआर जांच हो रही है तो पोजिटिव रिपोर्ट आ रही है। तब तक कोविड मरीजों की हालत खराब हो जा रही है। लाकडाउन है लेकिन मरीजों के परिवार वाले को खाने की व्यवस्था यह जिला प्रशासन नहीं कर रहा है। किचन कम्युनिटी चलाकर गरीबों को भोजन देने की बातें दूर हैं। गम्भीर कोविड के लक्षण दिखाई देने वाले मरीज अस्पताल आने में असमर्थ हैं उनकी तक घर जाकर RTPCR की जांच नहीं हो पा रही है। उदाहरण के रूप में समाजसेवी अजय राय की पत्नी गीता राय जो चकिया कस्बे की निवासी हैं का RTPCR जांच घर जाकर कर नहीं हो पायी है। कोविड -2 में मरीजों का इलाज नर्स व वार्ड ब्याय के द्वारा किया जा रहा है जबकि ओपीडी बंद है। वरिष्ठ डाक्टर की टीम बनाकर हो सकती है। गंदगी की भरमार है। क्योंकि चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय के सफाई कर्मचारी जो संविदा पर हैं, ने हड़ताल कर दिया। उनका कहना है कि वो इतना कम वेतन पर जान जोखिम में नहीं डालेंगे। जबकि स्थाई सफाई कर्मचारियों की कमी है।

अस्पताल में आक्सीजन की कमी लगातार बनी हुई है। जबकि रामनगर व मुगलसराय में छह आक्सीजन प्लांट निजी हैं जहां लगातार खुलेआम आक्सीजन की कालाबाजारी हो रही है। अभी जिला प्रशासन अधिग्रहण कर लेता तो आक्सीजन की किल्लत बनारस व चन्दौली में दूर हो जाती।सरकारी आंकड़ा यह है कि चन्दौली जनपद में कोविड मरीजों की संख्या 15422 है ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 13455 और एक्टिव मरीज की संख्या 1720 है। 251मरीज की मौत हुयी है। यह सरकारी आंकड़ा है जो जमीनी सच्चाई से परे है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चंदौली जिले की जनसंख्या 19.527 लाख है। (मरीजों की संख्या, एक्टिव केस, और मरने की संख्या में आज बढ़ोतरी हुई हैं आकड़े सरकारी अभी नहीं आए हैं) गंगा के किनारे के गाँव से रोजाना बहती लाशों के चील कौए और कुत्ते से नोचकर खाने की खबर आ रही है। इसका मतलब है कि लाशों का श्मशान में हिन्दू रीति रिवाज से क्रिया कर्म नहीं हो रहा है। सरकार यह आदेश का  उत्तर प्रदेश में कोई मतलब नहीं कि श्मशान व कब्रिस्तान में क्रिया क्रम कराने के लिए प्रधान व नगरीय प्रशासन पांच हजार तक व्यवस्था करें। यह काम कहीं नहीं हो रहा है। गांवों व नगरों में जांच की प्रक्रिया घटा कर सरकार कह रही है। जबकि बिना जांच कराये ही कोरोना के लक्षण देख कर बड़ी संख्या में लोग घर पर ही इलाज करा रहे हैं।

(समाजसेवी अजय राय की चंदौली से रिपोर्ट।)

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