लखनऊ पर लगी योगी सरकार की वक्र दृष्टि

Estimated read time 1 min read

अकबरनगर लखनऊ से उजाड़े गये लोगों के आंसू रुकते ही नहीं हैं। अपने आशियाने को धूल में मिटता देख किसका कलेजा नहीं हिल जायेगा। आज एडवा की टीम ने शहर के बाहर बसे बसंत कुंज में अपने आशियाने के उजड़ जाने का दर्द समेटे छोट- छोटे कोठरीनुमा घरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की। तस्वीर में दिख रही सभी महिलाएं अकबरनगर के घरों में दुल्हन बन कर आईं थीं। किसी का दो मंजिला मकान था तो कोई चार से छह कमरों के घरों में रहता था। उनका कहना था कि उनके घर वाले वहां 60 साल से ज्यादा समय से रह रहे थे बिजली के बिल से लेकर हाउस टैक्स सब देते थे। चुनाव के समय नेता वोट मांगने आते थे और जब उनके घर गिराये गये तो किसी की शक्ल नहीं दिखाई दी। वे बार बार यही कह रहीं थीं कि यदि सब गैरकानूनी था तो पहले रोका क्यों नहीं गया और जब हमारी जड़ें मजबूत हो गईं तब हमें देश निकाला दे दिया गया। रुक्साना बतातीं हैं कि वे उस मंजर को याद करतीं हैं तो उनका कलेजा बैठने लगता है।

शमीम निशातगंज की बुटीक में काम करतीं थीं और शौहर पटरी दुकानदार थे।  अब वे कैसे इतनी दूर काम करने जा पायेंगी। रूबी निशातगंज में सिलाई का काम करतीं थीं। प्रीति फिटनेस सेंटर में आफिस का काम देखतीं थीं। कमला इंदिरा नगर में घरेलू कामगार थीं। गीता शुक्ला का बेटा अमीनाबाद की दुकान में काम करता था जिसे अब वहां जाने में बहुत परेशानी होती है। पति को सदमे से पैरालिसिस का अटैक हो गया है। इंशा क्लास 3 में पढ़तीं थीं, अब स्कूल नहीं जा पा रहीं हैं। आसपास स्कूल नहीं हैं। आसपास कोई अस्पताल भी नहीं है। 3-4 किमी पर प्राइवेट अस्पताल है जिसमें बहुत ज्यादा फीस लगती है। विवेक शुक्ला बताते हैं कि उनका 7 साल का बेटा उन्हें जबरन अपनी पुरानी जगह अकबर नगर ले गया और बस्ती की जगह मलबा देख फूट फूटकर रोने लगा।

शायद उसकी आंखें अपना घर और उसमें रखे खिलौने ढूंढ रहीं थीं। अभी तो बाबा का बुलडोजर जाने कितने आशियानों और उनमें रहने वाले सपनों को नेस्तनाबूद करने वाला है और इन सबके उजड़े आशियानों के मलबों और दफन हुए सपनों पर खूबसूरत महलों, तेज रफ्तार सड़कों , बड़े आलीशान बाजार और सफारी का निर्माण होगा। चलिए! लोगों की चीत्कार को अनसुना करते हुए विकास की रफ्तार देखिए …

यह पोस्ट आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव मधु गर्ग ने लखनऊ के अकबर नगर से उजड़े लोगों से बातचीत करने के बाद अपनी फेसबुक वाल पर लिखी है।

दरअसल इस समय योगी सरकार की वक्र दृष्टि लखनऊ के निवासियों पर लगी हुई है। इससे पहले धार्मिक और आस्था की नगरी अयोध्या और वाराणसी के मूल स्वरूप को बदलकर उन्हें पर्यटन केन्द्र में भाजपा-आरएसएस की सरकार ने बदल दिया है। इन शहरों में बड़े पैमाने पर तोड़ फोड़ की गई, शंकराचार्यो और धर्म गुरूओं की बात तक को अनसुनी कर प्राचीन मंदिरों व धार्मिक स्थलों को तहस नहस कर दिया गया लोगों को उनके आवास व व्यापार से बेदखल कर दिया गया। इस सरकारी तानीशाही के विरूद्ध नाराजगी हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में भी दिखाई पड़ा। अयोध्या की सीट भाजपा हार गई और वाराणसी की सीट किसी तरह ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जीत पाए थे।

अब निशाने पर तहजीब का शहर लखनऊ है। अकबरनगर जहां करीब 1600 परिवारों के मकानों, दुकानों और धार्मिक स्थलों को बुलडोजर लगा कर तहस-नहस कर दिया गया। आज वह परिवार बेहद बुरी हालत में शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर बसंत कुंज के अत्यधिक छोटे आवासों में रहने के लिए मजबूर है। जहां उन्हें 3300 प्रति माह की किस्त देनी पड़ रही है और बहुत सारी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

यह सारे लोग जो निशातगंज, इंदिरा नगर, महानगर जैसी जगहों पर काम करते थे आज अपने काम से वंचित हो गए हैं। अब सरकार की निगाह पंतनगर, रहीम नगर, खुर्रम नगर, स्कार्पियों क्लब और अबरार नगर की कॉलोनी और बस्ती पर भी है। इन पर भी नोटिस दी जा चुकी है और कल यानि सोमवार से सर्वे का काम शुरू कर दिया जाएगा। दरअसल गुजरात के बड़े रियल एस्टेट खिलाड़ियों और बिल्डरों के लिए सरकार कुकरैल नाले के सौन्दर्यीकरण के नाम पर लोगों को बेदखल कर रही है। इतना ही नहीं नरही में बने हुए पुराने चिड़ियाघर और संग्रहालय को कुकरैल नाइट सफारी की तरफ ले जाने के कारण वहां भी बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटना पड़ेगा। जिससे लखनऊ का इकोसिस्टम प्रभावित होगा और पर्यावरण को गहरा नुकसान पहुंचेगा। यह भी रिपोर्ट है कि सरकार की करीब 18 बस्तियों और कॉलोनी को उजाड़ने की योजना है।

यहीं नहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा पूरे लखनऊ को एलडीए में शामिल करने का प्रस्ताव परसों सम्पन्न हुई एलडीए की बैठक में लिया गया है। बैठक में प्रस्ताव लिया गया कि अब लखनऊ विकास प्राधिकरण का नाम बदलकर लखनऊ महानगर विकास प्राधिकरण किया जायेगा। इससे अब एलडीए लखनऊ जनपद के गांव की भी जमीनें एलडीए के अधीन आयेंगी और वहां भी मकान बनाने पर नक्शा एलडीए से पास कराना जरूरी होगा, जिसका मनमाना शुल्क देना होगा। एलडीए की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि ग्रीन कॉरिडोर, शहीद पथ, किसान पथ के 2.5 किलोमीटर के दायरे में बनने वाले आवासों के नक्शों पर रूपये 2245 प्रति वर्ग मीटर बाह्य विकास शुल्क और 200 रूपए प्रति वर्ग मीटर सुख सुविधा शुल्क लिया जाएगा। यह संपूर्ण विकास प्राधिकरण क्षेत्र में लागू होगा। स्पष्टतः यह आम नागरिकों के ऊपर करों का अत्याधिक बोझ डालना है।

7 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) अध्यादेश 2024 लाया है। इस अध्यादेश के तहत सरकार ने नजूल भूमि पर बसे लोगों को वह जमीन फ्री होल्ड पर देने पर रोक लगा दी है और जो लोग अभी बसे हैं और उनकी लीज है उस लीज की समाप्ति पर उसे वापस लेने का आदेश दिया है। साथ ही जो लोग नजूल भूमि पर बसे है पर उनकी लीज/पट्टा नहीं है उन्हें जमीन से बेदखल किया जायेगा। सभी लोग जानते हैं कि अंग्रेजों के जाने के बाद बड़े पैमाने पर जमीन खाली रह गई जिन पर तत्कालीन राजा रजवाड़े अपना स्वामित्व सिद्ध नहीं कर पाए ऐसी भूमि नजूल भूमि के रूप में दर्ज होती है। आजादी के बाद के विकास क्रम में लाखों लोग इन नजूल भूमियों पर बसे हुए हैं और कई शहरों के तो पूरें बाजार इन नजूल भूमियों पर है। साफ है कि इस तरह की कार्रवाई से लोगों की आजीविका छीन ली जायेगी।

लखनऊ को तबाह करने और आम नागरिकों के जीवन को संकट में डालने वाली योगी सरकार की कार्रवाहियों के खिलाफ लोग गोलबंद होने लगे है। अबरार नगर, पंतनगार, रहीम नगर, खुर्रम नगर, स्कार्पियों क्लब के निवासियों ने मिलकर ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति का गठन किया है। वहीं उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, मजदूर संगठनों और नागरिक समाज के गणमान्य लोगों की भी आज बैठक हो रही है। सीपीएम कार्यालय पर हो रही  इस बैठक में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस , सीपीएम, सीपीआई, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, सीपीआईएमएल, साझी दुनिया, एडवा, एटक, टीयूसीसी आदि सगठनों और बेदखल हो रही कालोनियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। पूरे लखनऊ में उत्पीड़न और बर्बादी की इस कार्यवाही के खिलाफ लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण संवाद अभियान चलाने की तैयारी है।

(दिनकर कपूर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव हैं और लखनऊ में रहते हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

You May Also Like

More From Author