स्वर काफी धीमा था पर आवाज अरुण की ही थी, वो अस्पताल से लौटे थे पहली बार, कमल भाई, समय लगेगा मगर मैं ठीक हो जाऊँगा। अपने पर घनघोर विश्वास ही अरुण की ताकत थी। यह अक़ीदा उनमें बार-बार...
जीवित है तू आज मरा सा, पर मेरी यह अभिलाषाचिता निकट भी पहुंच सकूं अपने पैरों-पैरों चलकरयह पक्तियां दर्शाती हैं कि हरिवंश राय बच्चन किस जिजीविषा, जीवटता के कवि-गीतकार थे। छायावाद के बाद जब प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना...
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने आइसा की तीन मांगों में से एक को स्वीकार कर लिया है। प्रथम और द्वितीय वर्ष की जनवरी में प्रस्तावित परीक्षा को कार्यकारिणी की मीटिंग में रद्द कर उन्हें बिना परीक्षा अगली कक्षा में प्रोन्नत करने...