सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम फ़हराया। महज 105 साल में ही पूंजीवाद ने अपने पसीने की महक से विश्व का निर्माण करने वाले मेहनतकश...
भले ही देश की ट्रेड यूनियनें श्रम कानून के संशोधन के खिलाफ 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने जा रही हों पर मोदी सरकार है कि जैसे उसने श्रमिकों को कंपनी मालिकों के यहां बंधुआ बनाने की ठान ली...