सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम फ़हराया। महज 105 साल में ही पूंजीवाद ने अपने पसीने की महक से विश्व का निर्माण करने वाले मेहनतकश...
जितने लोग दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गये थे, उससे कहीं ज़्यादा लोग ‘तीसरे विश्वयुद्ध’ में मारे गये। यह तीसरा विश्वयुद्ध नज़र नहीं आया, लेकिन यह चार दशकों तक चलता रहा। पूंजीवाद की यही सबसे बड़ी ख़ासियत है कि वह...
अगर यह सवाल, सरकार या नीति आयोग, जो उसका थिंकटैंक है, से पूछा जाए कि 2014 के बाद सरकार की आर्थिक नीति क्या है? तो उसका उत्तर होगा आर्थिक सुधार लागू करने की। फिर सवाल उठता है कि यह...
भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ पूंजीवाद का संबंध उपनिवेश और औपनिवेशिक शक्ति के बीच के संबंध का रूप ले चुका है। पिछले तमाम वर्षों में गांवों में निवेश और गांवों से धन की निकासी के बीच भारी फ़र्क़...
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के शुरू से ही केंद्र की भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला चल रहा है। किसान संगठनों द्वारा 8 दिसंबर को...
रंगकर्म माध्यम है, यह सोचने या मानने वाले अधूरे हैं। वो रंगकर्म को किसी शोध विषय की तरह पढ़ते हैं या किसी एजेंडे की तरह इस्तेमाल करते हैं, पर वो रंगकर्म को न समझते हैं न ही रंगकर्म को...
‘आप भले मेरी किताबें और यूरोप के सबसे उन्नत मस्तिष्कों की किताबें जला देंगे, लेकिन उन विचारों का क्या जो उन किताबों में समाई थीं और जो करोड़ों रास्तों से आगे बढ़ चुका है और बढ़ता ही रहेगा।’’-हेलेन केलर,...
हिंदी-उर्दू साहित्य में कथाकार मुंशी प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी धारा ही बदल कर रख दी। देश में वे ऐसे पहले शख्स थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को रोमांस, तिलिस्म,...
देश की अर्थव्यवस्था में हो रही गिरावट को समझने के लिए अर्थ सूचकांकों के अध्ययन करने की बहुत आवश्यकता नहीं है। बाजार और इंडस्ट्रियल एरिया का एक भ्रमण ही यह संकेत देने के लिए पर्याप्त है कि आर्थिक मोर्चे...
संकटग्रस्त पूंजीवाद अब दुनिया के कुछ हिस्सों में फटने को तैयार है, और भारत जैसे देश में खुद को तैयार कर रहा है, जहां पूरी दुनिया में असंतोष की लहर व्याप्त है वहीं लातिन अमरीका असंतोष के ज्वालामुखी के...