Thursday, March 28, 2024

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झारखंड का एक ऐसा गांव जहां अभी भी खेतों में बने गड्ढों का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

झारखंड। आजादी के बाद राज्य में कितना विकास हुआ यह उतना उल्लेखनीय नहीं है, जितना कि अलग राज्य गठन के बाद हुए विकास का। आजादी के बाद से ही एकीकृत बिहार में सरकार द्वारा छोटानागपुर क्षेत्र के विकास को...

गांधी की दांडी यात्रा-12: गांधी के नमक कानून तोड़ने के साथ ही बौखला गयी ब्रिटिश सत्ता

5 अप्रैल 1930 को, गांधी और उनके सत्याग्रही सहयात्री, दांडी गांव पहुंच गए थे। दांडी में, उनका स्वागत करने के लिए, सरोजिनी नायडू, वहां पहले ही, पहुंच चुकी थीं। सरोजिनी नायडू (13 फरवरी 1879 - 2 मार्च 1949) का...

गांधी की दांडी यात्रा-11: दांडी पहुंचे गांधी

गांधी अब दांडी के बहुत नजदीक आ गए थे। सागर तट करीब आता जा रहा था। 1 अप्रैल को, गांधी प्राचीन व्यापारिक शहर सूरत में प्रवेश कर गए थे। सूरत भारत का एक व्यापारिक शहर है। ईस्ट इंडिया कंपनी...

गांधी की दांडी यात्रा-10: यात्रा का अंतिम चरण

गांधी जी ने अपने जीवनकाल में जो भी आंदोलन चलाया, उसे एक योजनाबद्ध रूप से, पूरी तैयारी के बाद ही शुरू किया और उसे जनता के बीच लेकर गए। वे अपने साध्य और साधन, दोनों के ही प्रति स्पष्ट...

गांधी की दांडी यात्रा-9: देशव्यापी आंदोलन के लिये कांग्रेस की तैयारी

ऐसा नहीं था कि, गांधी की दांडी यात्रा का असर, जनता पर, पहली बार पड़ रहा था। भारत का आम जनमानस, गांधी के चंपारण सत्याग्रह से ही, उनके साथ जुड़ने लगा था और फिर तो जनता और गांधी जी...

गांधी की दांडी यात्रा-8: गांधी की गिरफ्तारी और ब्रिटिश सरकार का द्वंद्व 

जैसे-जैसे दांडी यात्रा के प्रारंभ होने का दिन नजदीक आता गया, लॉर्ड इरविन नमक सत्याग्रह को लेकर, अभी भी इसी मत के थे कि, यह सत्याग्रह, देर सबेर विफल हो जाएगा और, नमक जैसी साधारण सी वस्तु पर, लगाया...

गांधी की दांडी यात्रा-6: छात्रों, व्यापारियों और जनता को युद्ध में शामिल होने का आह्वान

इकतीस हजार की आबादी वाले शहर नदियाड में गांधी लोगों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं,  "मैं अक्सर नदियाड आया हूं और यहां कई भाषण दिए हैं, लेकिन इससे पहले मैंने जनता का इतना बड़ा जनसमूह कभी नहीं...

गांधी की दांडी यात्रा-5: जैसे-जैसे यात्रा बढ़ती गई, कारवां बनता गया

दांडी यात्रा के दूसरे दिन, 13 मार्च को गांधी और उनके सहयात्री, बवेजा गांव पहुंचे और वहां उनका पड़ाव था। गांधी ने यात्रा की तैयारी के दौरान, रास्ते में पड़ने वाले गांवों से, कुछ जरूरी सूचनाएं मंगवाई थी। उन्होंने...

गांधी की दांडी यात्रा-4: देशवासियों की रगों में खून बनकर दौड़ने लगा नमक सत्याग्रह

12 मार्च, 1930 को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर, गांधी, प्रभाशंकर पटानी, महादेव देसाई और अपने सचिव प्यारेलाल के साथ, अपने कमरे से बाहर आए। वे शांत और आत्मविश्वास से भरे दिख रहे थे। उन्होंने प्रार्थना की, अपनी...

गांधी की दांडी यात्रा-3: यात्रा की एक रात पहले

वाइसरॉय और उनका पूरा सूचना तंत्र, इस बात पर निश्चिंत था कि, नमक कर के विरुद्ध होने वाला गांधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन की तरह न तो व्यापक होगा और न ही, उससे ब्रिटिश सरकार को...

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