कोरोना वैक्सीन आने से पहले हो सकती है 20 लाख लोगों की मौतः डब्लूएचओ

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कोविड-19 से होने वाली मौतों का वैश्विक आंकड़ा 10 लाख के करीब (9,93,555) पहुंच गया है। शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस में कोविड-19 से होने वाली मौतों पर बोलते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन डायरेक्टर माइकल रायन ने कहा है कि 10 लाख भयावह संख्या है। कोरोना की प्रभावी वैक्सीन व्यापक रूप से इस्तेमाल में लाए जाने से पहले दुनिया भर में कोरोनो वायरस से मरने वालों की संख्या 20 लाख तक पहुंच सकती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए जाने की स्थिति में यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।

माइकल रेयान ने दुनिया के तमाम देशों को चेताते हुए कहा, “अगर महामारी से जंग में दुनिया भर के देश साथ मिलकर काम नहीं करेंगे तो मरने वालों की संख्या 20 लाख से ज़्यादा भी हो सकती है।” कोविड-19 से मरने वाले सबसे ज़्यादा लोग अमेरिका, ब्राजील और भारत से हैं। दुनिया भर में कोविड-19 से हुई कुल मौतों का 44 प्रतिशत यानि 4.4 लाख मौतें केवल तीन देशों यूएसए, ब्राजील और भारत में दर्ज की गई हैं।

बता दें कि इस बीच दुनिया भर में कोरोना वायरस मामलों की संख्या 3.28 करोड़ के पार पहुंच गई हैं। अभी तक संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और भारत में सबसे ज्यादा लोग कोविड-19 संक्रमित पाए गए हैं। इन तीन देशों में संक्रमितों का आंकड़ा 1.7 करोड़ से ज्यादा है। तीनों देशों में अब तक सबसे ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं और सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं हुई हैं।

दुनिया में सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 72.44 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हैं और लगभग 2.08 लाख लोगों की इससे मौत हुई है। वहीं भारत में 59.03 लाख कोरोना संक्रमितों में से 93,410 लोग कोविड-19 के कारण जान गंवा चुके हैं। कोविड-19 संक्रमण संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर ब्राजील में 47 लाख संक्रमितों में से लगभग 1,40,709 लोगों की मौत हुई है।

मेक्सिको में 7.20 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 75,844 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। फ्रांस में 51.30 लाख संक्रमित लोगों में से 31,661 लोगों की मौत हुई है। यूनाइटेड किंगडम में 4.23 लाख संक्रमितों में से 41,936 लोगों की मौत हुई है। इटली में 3.06 लाख कोरोना संक्रमितों में से 35,801 लोगों की मौत हुई है।

हालांकि, पिछले कुछ दिनों से यूरोप के कई देशों में कोविड-19 के सेकंड वेब देखी जा रही है। कोविड-19 के पहली लहर में यूरोप में विशेषकर फ्रांस, इटली, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम में कोविड-19 से होने वाली मौत दर दुनिया के अन्य देशों की तुलना में अधिक थी। माइकल रेयान ने यूरोपीय देशों का जिक्र करते हुए कहा कि उस इलाके में महामारी के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

युवा आबादी का बचाव
माइकल रेयान ने युवा आबादी का बचाव करते हुए कहा, “हालिया दिनों में संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के लिए युवा आबादी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।” असल में कोविड-19 की पहली लहर में दुनिया भर में लगाए गए लॉकडाउन और अन्य पाबंदियां लगाने से पस्त हुई दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को वापिस ढर्रे पर लाने के लिए लॉकडाउन हटाए जाने के बाद वर्क फोर्स का बड़ा हिस्सा रही युवा आबादी की आवाजाही बढ़ी है और कई विशेषज्ञ बढ़ते संक्रमण के पीछे युवाओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

माइकल रेयान ने युवा आबादी के खिलाफ़ बनी धारणा का काउंटर करते हुए कहा, “इसकी जगह सभी उम्र के लोगों का किसी इंडोर जगह पर इकट्ठा होना महामारी को रफ्तार दे रहा है।” सीएसएसई के आंकड़ों ने दर्शाया कि अधिकतम कोरोना मामले वाले अन्य शीर्ष 15 देशों में ब्राजील (4,689,613), रूस (1,131,088), कोलंबिया (798,317), पेरू (794,584), मैक्सिको (720,858), स्पेन (716,481), अर्जेंटीना (691,235), दक्षिण अफ्रीका (668,529), फ्रांस (552,421), चिली (453,868), ईरान (439,882), ब्रिटेन (425,766), बांग्लादेश (356,767), इराक (341,699) और सऊदी अरब (332,329) हैं।

मौत दर और भारत 
कोविड-19 से होने वाली मौत दर यूरोप की अपेक्षा एशिया में कम थी, लेकिन ये भी बात साथ में कही गई कि उस समय यूरोप के ठंडे मौसम की तुलना में एशिया में गर्म मौसम और युवा आयु वर्ग के चलते ऐसा देखा गया है, लेकिन आने वाला समय यानि अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर भारत में भी सर्दी का मौसम होगा। सर्द मौसम में वायरस के फैलने की संभावना ज़्यादा होती है। ऐसी स्थिति में भारत में होने वाली मौत दर में भी इजाफा होगा। भारत में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

24 घंटे में नए संक्रमितों की संख्या 85,468 है, जबकि कोरोना से रोजाना होने वाली मौत का आंकड़ा 1,093 है। सच तो ये है कि भारत में केंद्र सरकार की प्राथमिकता में कोविड-19 वैश्विक महामारी कभी थी ही नहीं। लॉकडाउन लगाने और मीडिया से हो हल्ला मचवाने और जनता से ताली-थाली पिटवाने के सिवा सरकार ने गंभीरता से कोई भी कदम नहीं उठाया। लॉकडाउन हटाने के बाद से तो सरकार का पूरा फोकस सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने और राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने पर लगा हुआ है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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