सेंगोल इफेक्ट: जालौन में दलित परिवार के घर के सामने खड़ी की दीवार, कहा-ये रास्ता ब्राह्मणों के लिए है

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श्रीराम वर्मा और सियारानी जब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने जर्जर कच्चे घर को गिराकर नया पक्का मकान बनाने लगे तो ब्रहामण और ओबीसी समाज को इतना नागवार गुज़रा कि उन्होंने न सिर्फ़ लिंटर डालने के लिए मशीन को लौटा दिया बल्कि दीवार खड़ी करके उनका रास्ता बंद कर दिया।

मामला उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का है। पीड़ित का घर जालौन नगर पालिका में आता है। यहां नेहा मित्तल पार्षद हैं और नरेश सोनी मेम्बर हैं। जालौन नगर पालिका के वार्ड नंबर 4 में सियारानी वर्मा और श्रीराम वर्मा अपने परिवार संग कई पीढ़ियों से रहते आ रहे हैं। उनके तीन बेटे हैं महेंद्र, धर्मेंद्र और राघवन। बेटे रिक्शा चलाने और दिहाड़ी मज़दूरी का काम काम करते हैं। सियारानी का कच्चा मकान बेहद जर्जर हालात में था। और परिवार की आमदनी भी इतनी नहीं है कि वो लोग एक पक्का घर बना पाते। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सियारानी वर्मा को कॉलोनी बनाने के लिए फंड मिला। पहली किस्त के तौर पर 50 हजार रुपये बैंक खाते में आ गये तो सियारानी का परिवार एक किराये के मकान में शिफ्ट हो गया और फटाफट मकान बनाने का काम शुरु हो गया। लेकिन यह बात मोहल्ले के ही लल्लूराम पाठक और कमलेश बाथम को नागवार गुज़री। और उन लोगों ने सियारानी के परिवार को इंटरलॉक रोड से ईंट बालू गिट्टी आदि सामान लाने से मना कर दिया।

यहां एक बात स्पष्ट कर दें कि सियारानी जिस ज़मीन पर मकान बनवा रही हैं वो उनकी पुश्तैनी ज़मीन है। उनके पुरखे यहां यहां क़रीब चार-पांच पीढ़ियों से यानि 100 साल से भी ज़्यादा समय से रहते आ रहे हैं। जबकि रिटायर्ड लेखपाल लल्लूराम पाठक और रिटायर्ड फौजी कमलेश बाथम अभी कुछ साल पहले ही यहां ज़मीन ख़रीदकर बसे हैं।

नये संसद में राजदंड सेंगोल स्थापित होने का असर सामज में दिखने लगा है। ब्राह्मणवाद शहरों में भी सिर उठाने लगा है। हालत यह है कि सियारानी वर्मा के निर्माणाधीन घर के दरवाजे से सटाकर लल्लूराम पाठक और कमलेश बाथम ने मिलकर पक्की दीवार खड़ी करके उनका रास्ता बंद कर दिया। लल्लूराम पाठक का सीधा सीधा कहना है कि यह पंडितों का रास्ता है आप लोग यहां से नहीं निकलेंगे।

सियारानी वर्मा तीन बार एसडीएम सुरेश कुमार पाल को अप्लीकेशऩ दे चुकी हैं। पूछने पर प्रशासन का जवाब होता है कि कागज़ी कार्रवाई कर रहे हैं। सियारानी का परिवार एसपी हीराराजा के पास तीन-चार बार गया। लेकिन वहां से भी कुछ नहीं हासिल हुआ। सियारानी के पड़ोसी राघवेंद्र बताते हैं कि उनके सामने की घटना है और अभी भी वही हो रहा है। यह परिवार पांच महीने से परेशान है। डीएम एसडीएम हर जगह जहां जहां जाना था वहां गये।

पीड़ित श्रीराम वर्मा और सियारानी

वो आगे बताते हैं कि लेखपाल वैभव कुमार त्रिपाठी हैं। जो कि लल्लूराम पाठक के रिश्तेदार हैं। लेखपाल ग़लत रिपोर्ट लगाता है। सियरानी ने अपने मामले को सीएम पोर्टल पर डाला था तो चौकी इंचार्ज ने आवेदक विपक्षी पार्टी को बना दिया। क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से आरोपितों के हाथ में है।

लिंटर डालने के लिए दूसरी किश्त के तहत डेढ़ लाख रुपये सियारानी जी के खाते में आये। तो उन्होंने लिंटर डालने के लिए मशीन बुलवाया। लेकिन ब्राह्मण और ओबीसी दबंगों ने सड़क से लिंटर मशीन नहीं जाने दिया। मशीन लौट गयी तब से 5 महीने बीत गये हैं। सियारानी कोर्ट कचेहरी, थाना चौकी, डीएम एसडीएम के दफ़्तरों में चक्कर काट रही हैं। वो बताती हैं प्रधानमंत्री आवास का बहुत सा पैसा तो इन चक्करों में खर्च हो गया है।

पड़ोसी बताते हैं कि कई बार दबंग लल्लूराम पाठक और कमलेश बाथम अपने लड़कों रोहित पाठक, संदीप बाथम, संजय बाथम, शिव बालक बाथम, करन बाथम, अंशुल बाथम आदि को लेकर सियारानी के निर्माणाधीन घर में घुसकर सियारानी के आधे अधूरे प्रधानमंत्री आवास की दीवार तोड़ने और मारने की धमकी देते रहते हैं। परिवार के बच्चों को उठा ले जाते हैं। धमकी देते हैं कि कहीं पर कार्रवाई के लिए अप्लीकेशन लगवाया तो तेरे बच्चे का करियर बर्बाद कर देंगे।

घूसखोर पुलिस ब्राह्मण पक्ष की ओर खड़ी है। वो लोग भी आते हैं तो दलित परिवार को ही प्रताड़ित करते हैं गालियां देते हैं। पीड़ित पक्ष का हाल यह है कि वो पुलिस के सामने मुंह तक नहीं खोल पाते हैं। पुलिस आती है तो उनसे आप दो शब्द नहीं कह सकते कि आप दलित हैं और प्रधानमंत्री आवास योजना में मिला घर बनाना चाहते हैं। इतना कहते ही पुलिस टांगकर ले जाती है और दिन दिन भर थाने में बैठाकर रखती है।

सियारानी आरोप लगाती हैं कि महिला पुलिसकर्मी उन्हें चिढ़ाते हुए कहती है तुम्हारे घर की छत में माल डालने के लिए सीएम साहेब का हेलीकॉप्टर आएगा। श्रीराम वर्मा असहाय होकर कहते हैं दीवार तो किसी तरह खड़ा कर लिया दूर से ईंट सीमेंट बालू ढो ढोकर। लेकिन बिना मशीन के लिंटर कैसे पड़े। सियारानी रोने लगती है। और रुआंसे गले से कहती हैं बरसात आने वाली है। रहने का ठिकाना नहीं है। जो पड़ोसी उनका साथ दे रहे हैं उन पर भी प्रेशर बनाया जा रहा है। बता दें कि कुलदीप कुमार तिवारी कोतवाल है और अतुल कुमार राजपूत चौंकी इंचार्ज है। कोतवाल कुलदीप तिवारी पीड़ित परिवार को धमकी देकर कहता है कि इतने मुकदमें लगाएंगे कि तुम्हारे समझ में आ जाएगा ऐसा पीड़ित पक्ष का आरोप है।

उसी इंटरलॉकिंग रास्ते से दबंगों का ट्रैक्टर आ जा रहा है। उनका सब कुछ आ रहा है पर सियारानी के परिवार को सड़क पर निकलने तक नहीं दिया जा रहा है। सियारानी वर्मा हाथ जोड़कर कहती हैं कि बरसात आने वाला है। पानी में छोटे छोटे बच्चे कहां जाएंगे पांच-छः महीने हो गये। जो घर था वो भी गिरा दिया कि पक्का मकान बना लेंगे। पर लेखपाल और फौजी मिलकर बनाने नहीं दे रहे हैं।

लल्लूराम पाठक (रिटायर्ड लेखपाल) और कमलेश बाथम (रिटायर्ड फौजी) ने मिलकर छः फुट की दीवार खड़ी कर दी और सड़क पर निकलने नहीं दिया जा रहा है। सियारानी बताती हैं कि वो लोग उन्हें बहुत परेशान कर रहे हैं। वो कहते हैं कि तुम लोगों को निकलने नहीं देंगे। निकलोगे तो मारकर फेंक देंगे। ज़िन्दग़ी भर घर नहीं बनाने देंगे। वो बताती हैं कि उनका कई साल पुराना घर है। जबकि इन दोनों लोगें ने अभी कुछ साल पहले ही घर लिया है वहां पर।

सियारानी एक साजिश एक घटना के बारे में बताती हैं कि एक डेढ़ महीने पहले अपने बीमार भाई को देखकर वह अपने मझले बेटे के साथ मोटरसाईकिल से लौट रही थी तो उरई में पीछे से एक तेज रफ्तार वाहन टक्कर मारकर भाग गया। एक्सीडेंट में उन्हें और उनके बेटे को गंभीर चोट आयी। बेटा अभी भी सही से उठ बैठ नहीं पा रहा है। हालांकि एक्सीडेंट को लेकर उन्होंने किसी के ख़िलाफ़ केस नहीं दर्ज़ करवाया। कहती हैं जब किसी को देखा नहीं तो क्या केस लिखवायें। पड़ोसी शक़ जाहिर करते हैं, हो न हो इन्हीं दबंगों ने ही मां-बेटे का एक्सीडेंट करवाया है।

सियारानी कहती हैं पंडितै लोगन की सरकार चल रही है साहेब। नेता, कोतवाल, सीओ, एसडीएम, डीएम कुल हो आये साहेब! कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। दौड़ते दौड़ते छः महीने हो गये। एसएसपी जालौन फोन पर बताते हैं कि दीवार और रास्ते का विवाद है तो राजस्व विभाग का मामला है। पुलिस का मामला नहीं है। कौन सा रास्ता किसका है, कौन सी ज़मीन किसकी है ये तो राजस्व विभाग ही तय करेगा। एक बार राजस्व विभाग निर्णय ले फिर पुलिस की जहां आवश्यकता होगी अवैध क़ब्ज़ा होगा तो पुलिस हटवा देगी। इसमें राजस्व विभाग को निर्णय लेना है कि किसका पक्ष सही है किसका पक्ष ग़लत है।

लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर रविकान्त इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं सियारानी को घर नहीं बनाने दिया जा रहा है। दलितों के सम्मान और स्वाभिमान से छेड़छाड़ कब तक बर्दाश्त किया जाएगा। जबकि देश में बाबा साहेब के संविधान का राज है।

(सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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