Friday, March 29, 2024

अडानी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से झटका: कोयला मामले में बांबे हाईकोर्ट के फैसले पर लगायी रोक, डीआरआई जांच का रास्ता साफ

अडानी ग्रुप को उच्चतम न्यायालय ने झटका देते हुए  कोयला आयात मामले में रेवेन्यू निदेशालय (डीआरआई) की जांच का रास्ता साफ कर दिया है और  बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। इसे अडानी के मामले में केंद्र सरकार का यू टर्न माना जा रहा है, क्योंकि राजनीतिक तौर पर मोदी सरकार पर अडानी-अंबानी की सरकार का आरोप लगता रहा है और झारखंड चुनाव में इस भाजपा की पराजय को अडानी-अंबानी की पक्षधरता से भी जोड़ा जा रहा है। अभी तक अडानी के खिलफ मामलों में सरकार का रवैया लचर रहा है।

उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें राजस्व निदेशालय द्वारा अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडानी समूह की कंपनी अदानी पावर लिमिटेड द्वारा इंडोनेशियाई कोयले की खरीद और बिक्री के बारे में जानकारी के लिए सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स के अधिकारियों को जारी किए गए लेटर रोगेटरी को खारिज कर दिया गया था।

दरअसल, अक्तूबर 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे ने लेटर रोगेटरी को खारिज कर दिया था और कहा था कि डीआरआई ने मजिस्ट्रेट से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना एक गैर-संज्ञेय अपराध की जांच शुरू कर दी है और ऐसी परिस्थितियों में मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए लेटर रोगेटरी परीक्षण को पूरा नहीं करते और सीआरपीसी  के प्रावधानों  के अनुरूप नहीं हैं। जांच शुरू करने की अनिवार्य आवश्यकता पूरी नहीं की गई है, जैसा कि संहिता  में निर्धारित है।

उच्चतम न्यायालय ने इंडोनेशिया से कोयला आयात के मूल्य को कथित रूप से बढ़ाकर दिखाने के मामले में अडाणी समूह की एक कंपनी के खिलाफ जांच को फिर बहाल करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने डीआरआई द्वारा सिंगापुर और अन्य देशों को भेजे गए सभी अनुरोध पत्रों (एलआर) को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले पर स्थगन दे दिया है। विदेशी इकाइयों के खिलाफ जांच के दौरान जब किसी सूचना की जरूरत होती है तो अन्य देशों की जांच या न्यायिक एजेंसियों को अनुरोध पत्र भेजा जाता है।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस  बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कान्त की पीठ ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा रहे हैं। अडानी एंटरप्राइजेज ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अपील की थी कि उच्च न्यायालय के 18 अक्तूबर, 2019 के आदेश पर स्थगन नहीं दिया जाए और इस मामले की सुनवाई जल्द की जाए। उच्चतम न्यायालय ने अडानी एंटरप्राइजेज को नोटिस जारी करते हुए राजस्व सूचना निदेशालय की अपील पर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा।

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यदि उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन नहीं दिया जाता है तो इसे डीआरआई जांच से संबंधित सभी मामलों में कानून की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। तुषार मेहता ने दलील दी कि इंडोनेशियाई कोयले के आयात के लिए कथित ज्यादा कीमत की जांच जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।

दरअसल अडानी समूह की कंपनियों के साथ-साथ उनके बैंकों द्वारा लेन-देन से संबंधित दस्तावेजों/सूचनाओं को करने में असहयोग के चलते डीआरआई ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, मुंबई के समक्ष आवश्यक सूचनाओं को सुरक्षित करने के लिए सिंगापुर, यूएई, हांगकांग, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स के अधिकारियों को लेटर ऑफ रोगेटरी जारी करने के अनुरोध का आवेदन दाखिल किया। डीआरआई के अनुसार याचिकाकर्ता इंडोनेशियाई मूल के कोयले की अधिक कीमत में शामिल थे और यह आरोप लगाया गया है कि अक्तूबर 2010 से मार्च 2016 के बीच की अवधि में अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज ने इंडोनेशियाई कोयले की लगभग 1300 खेपों का आयात किया था और अधिकांश आयात उनके समूह की सहायक कंपनी यानी अडानी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, सिंगापुर और अडानी ग्लोबल, दुबई के माध्यम से आया था।

याचिकाकर्ताओं ने कथित रूप से कुछ व्यक्तियों और कंपनियों के साथ मिलकर कोयले के आयात मूल्य को वास्तविक निर्यात मूल्य की तुलना में कम करके और विदेशों में ज्यादा रुपयों के एक उच्चतर टैरिफ का लाभ उठाने के लिए ये रास्ता अपनाया था ताकि वो भारत में बिजली उपयोग करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेच सकें।

अडानी समूह की दो कंपनियों के खिलाफ सटीक आरोप यह है कि इंडोनेशियाई निर्यातकों द्वारा निर्यात के समय इंडोनेशियाई अधिकारियों के सामने घोषित और इंडोनेशियाई कोयले के मूल्य के बीच करोड़ों का अंतर था और यह अधिक मूल्य निर्धारण 231 खेपों में देखा गया था। डीआरआई के अनुसार, याचिकाकर्ता अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से इंडोनेशिया से कोयला आयात कर रहा था और एक तरफ शुल्क की रियायती दरों का लाभ उठा रहा था और दूसरी तरफ, कोयला आयात के मूल्य को कम करने में लगे हुए थे और मूल्यों में बेमेल से यह स्पष्ट था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles