हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अब अडानी ग्रुप पर नए आरोप लग रहे हैं। जिसका खुलासा फोर्ब्स ने किया है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने खुद अपने शेयर खरीदे थे। रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की दो कंपनियां निशाने पर हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च के अनुसार शेयरों के हेरफेर में अडानी ग्रुप की मदद करने वाली दोनों कंपनियां एक बार फिर अडानी एंटरप्राइजेज के 2.5 बिलियन डॉलर के शेयर की पेशकश में निशाने पर हैं। इसका मतलब है कि इन कंपनियों ने एफपीओ में पैसा लगाया था जिसे बुधवार को अचानक रद्द कर दिया गया।
निशाने पर हैं दो कंपनियां
लंदन स्थित निवेश फर्म एलारा कैपिटल की सहायक कंपनी एलारा कैपिटल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी कंपनी भारतीय ब्रोकरेज फर्म मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल है। जो अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा बिक्री के ऑफर एग्रीमेंट में बताए गए 10 अंडरराइटर्स में से दो थीं।
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के अनुसार, एलारा कैपिटल का इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, के पास अडानी एंटरप्राइजेज सहित अडानी कंपनियों में $3 बिलियन का सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाला शेयर है। जो कि भारतीय नियमों को दरकिनार करने के लिए अडानी की “स्टॉक पार्किंग एंटिटी” में से एक के रूप में कार्य करता है।
वहीं हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल, एक भारतीय ब्रोकरेज फर्म है जो 2016 से आंशिक रूप से निजी कंपनी अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में है। हिंडनबर्ग द्वारा अडानी के प्रॉक्सी के रूप में बताए जाने वाले एक ऑफशोर फंड अल्बुला के पास 2009 में मोनार्क में 10% स्वामित्व हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने ऑनरशिप रेकॉर्ड में इसका खुलासा किया था।
द इकोनॉमिक टाइम्स और फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अबूधाबी की आईएचसी निवेश फर्म ने गौतम अडानी के साथ फोन पर हुई बातचीत के बाद अंतिम समय में 400 मिलियन डॉलर का निवेश किया। दो और भारतीय टाइकून, स्टील कारोबारी सज्जन जिंदल और टेलीकॉम अरबपति सुनील मित्तल ने भी अंतिम समय में निवेश की पेशकश की।
हालांकि इलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल की भागीदारी से ये सवाल उठ खड़ा होता है कि क्या अडानी के किसी भी निजी फंड को 2.5 अरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने में मदद के लिए लगाया गया था।
सिटीग्रुप के पूर्व बैंकर और क्लाइमेट एनर्जी फाइनेंस के निदेशक टिम बकले जो कि अडानी ग्रुप पर एक दशक से अध्ययन कर रहे हैं का कहना है कि ” ये बता कर कि सभी शेयर किसने खरीदे, वास्तव में अडानी ही इस मुद्दे को हल कर सकते हैं।”
अमेरिकी हेज फंड अरबपति बिल एकमैन ने भी ट्वीट किया है कि “अगर अडानी ग्रुप के शेयर के संबंधित खरीदारों के साथ धांधली की गई तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।”
हालांकि अडानी ग्रुप, एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल ने अभी तक फोर्ब्स के प्रेस मिट के अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया है।