Tuesday, April 23, 2024

अडानी के सेंट्रल एशिया प्लान पर किसानों का पलीता

किसान आन्दोलन ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के चहेते कारोबारी गौतम अडानी के सेन्ट्रल एशिया के देशों को पंजाब और हरियाणा के रास्ते निर्यात करने के लिए खेती किसानी भंडारण पर कब्जे की दीर्घकालिक रणनीति पर फ़िलहाल पलीता लगा दिया हैअडानी ग्रुप ने लुधियाना के लॉजिस्टिक्स पार्क को बंद करने का फैसला लिया है। सात माह से चल रहे किसानों के धरने की वजह से किला रायपुर के इनलैंड कंटेनर डिपो (आइसीडी) का परिचालन बंद कर दिया गया है।

दरअसल पूरी दुनिया में सभी देशों के अस्तित्व के लिए सीमाओं पर शांति और सौहार्द जरुरी हो गया है और समुद्री मार्ग से कारोबारी आयत निर्यात बहुत मंहगा पड़ रहा है। इसलिए आपस में सड़क और रेल मार्ग से परिवहन पर जोर दिया जा रहा है और चीन ने इस दिशा में बड़े कदम उठाए हैं ताकि उसके उत्पाद कम लागत और कम समय में यूरोप तक पहुंच सकें। आने वाले समय में भारत पाकिस्तान से मध्य एशिया और रूस, तजाकिस्तान, उक्रेन तक की सीमायें खुल सकती हैं। इस स्थिति में यूरेशिया पंजाब और हरियाणा सेन्ट्रल एशिया से व्यापार के लिए गेटवे आफ इण्डिया की भूमिका निभाएगा।

अडानी ग्रुप की निगाह इस पर लगी है इसलिए भविष्य की सम्भावनाओं को देखते हुए अडानी ग्रुप पंजाब और हरियाणा में बड़े-बड़े भंडारण केंद्र बनवा रहा है। अडानी ग्रुप खाद्यान्न के क्षेत्र में भारत का किंग बनना चाहता है। अडानी ने दाल, खाद्य तेल में अपनी बादशाहत कायम कर ली है और उसकी निगाह पंजाब और हरियाणा के चावल और गेहूं पर है। अडानी ग्रुप अपनी मंडी भी चाहता है जिसका रास्ता मोदी सरकार ने नये कृषि कानूनों से बनाया है। अडानी ग्रुप यह भली भलीभांति जानता है कि उपज निकलने के बाद किसान के पास भंडारण क्षमता न होने और कृषि आय पर ही जीवन यापन के लिए उसका अन्न मंडियों में जाना ही है इसलिए वर्ष 2007 से ही अडानी ग्रुप भंडारण क्षमता बनाने में लगा हुआ है।

इस तथ्य को किसान जानते हैं। सात माह से चल रहे किसानों के धरने की वजह से किला रायपुर के इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) का परिचालन बंद कर दिया गया है। कोर्ट भी समाधान नहीं निकाल सकी। किसानों के जत्थे इस साल जनवरी से किला रायपुर लाजिस्टिक्स पार्क के मुख्य द्वार पर बैठे थे। इस वजह से लाजिस्टिक्स पार्क में कामकाज पूरी तरह ठप हो गया था। धरने पर बैठे किसान लाजिस्टिक्स पार्क के कर्मचारियों को भी अंदर नहीं जाने दे रहे थे। किसानों को धरने से हटाने के संबंध में प्रबंधन की तरफ से पंजाब सरकार को कई शिकायतें की गईं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

कंपनी ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की। लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार के अधिकारी किसानों की नाकाबंदी हटाने में पूरी तरह से विफल रहे। अडानी ग्रुप ने थक हारकर इसे बंद करने का फैसला ले लिया। कंपनी का कहना है कि वो अब और ज्यादा नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है। उसे पहले ही काफी घाटा हुआ है।

ग्रुप ने पंजाब के औद्योगिक माल की आवाजाही को आसान करने के लिए किला रायपुर में अपने आईसीडी की शुरुआत 2017 में की थी। अडानी ग्रुप ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि पिछले सात महीनों में कोई भी राहत नहीं मिलने से वह अब और नुकसान उठाने की स्थिति में नहीं है।

गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान लगातार दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। पंजाब व हरियाणा के कई हिस्सों में भी वो लगातार आंदोलनरत हैं। इसी कड़ी में अडानी ग्रुप के लुधियाना स्थित लाजिस्टिक्स पार्क पर बीते सात माह से धरना चल रहा था, जिसकी परिणति बंदी के रूप में हुई।

अडानी लाजिस्टिक्स से पंजाब से कई अहम उत्पाद एक्सपोर्ट के लिए भेजे जाते थे। इंपोर्ट में भी कच्चे माल को लेकर इस पार्क की भूमिका अहम रही है। इंडस्ट्री का कई तरह का कच्चा माल इसके जरिए पंजाब पहुंच रहा था। कच्चे माल के जरिए ही फिनिश्ड गुड्स का निर्माण हो पा रहा था। यहां से स्क्रैप, मशीनरी, ड्राई फ्रूट्स, वेस्ट पेपर, ट्रैक्टर, वूलन, यार्न सहित कई अहम उत्पाद इंपोर्ट व एक्सपोर्ट के लिए आते जाते थे। अडानी ग्रुप के पास खुद का इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के चलते इसका किराया भी अन्य कंपनियों की तुलना में कम था।

इन दिनों अडानी को भारत के परिवहन, पोर्ट, एयरपोर्ट, रेल के जरिए जनता की बेसिक जरूरत पर मोनोपोली बनानी है तो वे भी दूसरे सेठों, सरकार से औने-पौने दामों में संपत्तियां खरीद रहे हैं। इस सबके पीछे खाने-पीने के सामान वाली खेती पर कब्जा करना इनका लक्ष्य है। वे खेती कराएं, फसल पैदा कर सीधे खरीदें, फिर भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और अपने शॉपिंग मॉल में, खुदरा सामान की दुकानों-स्टोर से बिक्री से लेकर अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार में सट्टे-सौदे के धंधे में भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को ढाल दें तो अपने आप बीस-तीस सालों में इस पृथ्वी की सबसे बड़ी आबादी के वे इतिहासजन्य खुदा होंगे!

‘द मिंट’ में 21 जनवरी 2015 में- अडानी का धीरे मगर सामरिक दांव कृषि में बढ़त बनवाने वाला शीषर्क से खबर थी। अडानी ग्रुप ने कृषि का इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक बैकबोन बना लिया है और सुधारों के इंतजार में है। उस खबर के अनुसार अस्सी के दशक में कॉमोडिटी धंधे में जमने के साथ गौतम अडानी ने विदेश में जमीन खरीद कर खेती कराने की सोची थी। ग्रुप के अनुसार कृषि बिजनेस दरअसल इंफ्रास्ट्रक्चर का खेल है। अनाज के स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क का धंधा अडानी ने सन् 2007 में शुरू किया। दस हजार करोड़ रुपए के निवेश से गोदाम बनाने की शुरुआत हुई।

अडानी एग्रीफ्रेस लिमिटेड व अडानी विलमर कंपनी के धंधे में खाने के तेल के देश के सबसे बड़े ब्रांड के साथ ताजा फलों और अनाज के लिए लॉजिस्टिक चेन का वह ढांचा, वह रोडमैप अडानी ग्रुप ने दस सालों से जो सोचा हुआ है उसी में पंजाब-हरियाणा, मध्य प्रदेश में उसके विशाल अनाज स्टोरेज बने हैं। ये फिलहाल सरकारी एफसीआई के ठेके में काम कर रहे हैं लेकिन ये पंजाब के मोगा, हरियाणा के कैथल से रेल रास्ते (अडानी के अपने रेल रैक, पटरी, डिपो के नेटवर्क) मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, कोयंबटूर, बेंगलुरू और बदंरगाहों तक अनाज पहुंचाने के बंदोबस्तों के साथ हैं। हिमाचल के सेब के लिए स्टोरेज बना उन्हें देशी-विदेशी बाजार में अपने ब्रांड से पहुंचाने का भी अडानी का ढांचा बना हुआ है।

अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह कंपनी भारतीय खाद्य निगम के साथ मिलकर 2007 से ही भारत में काम कर रही है। कंपनी की ओर से पंजाब के मोगा और हरियाणा के कैथल में अनाज भंडारण केंद्रों की स्थापना की गई है। सरकार ने अनाज भंडारण की आधुनिक सुविधा के लिए एफसीआई के साथ मिलकर साल 2000 में ग्लोबल टेंडर जारी किया था। ये टेंडर गुजरात के अडानी ग्रुप ने हासिल किया था। ये यूपीए एक का कार्यकाल था। साल 2007 से ही मोगा और कैथल में अडानी के इन आधुनिक अनाज गोदामों में किसान अपनी उपज पहुंचाते हैं और किसानों को उपज का भुगतान एफसीआई करता है। इन केंद्रों में अनाज को खराब होने से बचाने के लिए स्टील से बने बड़े बड़े टैंकों में रखा जाता है। बाद में एफसीआई के निर्देशों के अनुसार ये अनाज फील्ड डिपो भेजे जाते हैं जहां से इन्हें बाजार में भेजा जाता है।

फाइनेंशिल एक्सप्रेस’ की 18 अक्टूबर, 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एफसीआई ने 2005 में मोगा और कैथल में अनाज गोदाम स्थापित करने और चलाने के लिए अडानी एग्री के साथ समझौता किया था। ये समझौता 20 साल के लिए था। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के ऐसे पांच और गोदाम चेन्नई, कोयंबटूर, बेंगलुरु, नवी मुंबई और हुगली में हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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