अडानी घोटाले का असर: राजीव जैन की जीक्यूजी पार्टनर्स को निवेशकों ने लगाई बड़ी चपत

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नई दिल्ली। अडानी समूह पर लगे अमेरिकी जस्टिस विभाग के आरोपों का असर अब कंपनी के विदेशी निवेशकों पर पड़ने लगा है। स्विस निवेशक हाउस यूएसबी के मुताबिक फ्लोरिडा आधारित मनी मैनेजर जीक्यूजी पार्टनर्स को लाखों डालर की चपत लगी है।

यूएसबी ने गणना करके बताया है कि निवेशकों ने बिलेनयर राजीव जैन के जीसीक्यू पार्टनर्स से दो दिनों के व्यापार में कुल 600 मिलियन डॉलर खींच लिए हैं। गौरतलब है कि जस्टिस विभाग ने यह आरोप 21 नवंबर को लगाया था। उसके बाद से ही भारत में इसको लेकर बवाल चल रहा है। और शुरुआती कुछ दिनों तक अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों पर भी बुरा असर पड़ा था।

यूएसबी के इस्टीमेट के मुताबिक अभी बड़े स्तर पर क्लाइंट अपने फंड को निकालेंगे और यह लाखों डालर तक हो सकता है।

बताया जा रहा है कि जीक्यूजी अडानी समूह की कंपनियों का एक प्रमुख बैकिंग देने वाला है। अमेरिकी आरोपों के पहले उसने एनर्जी से लेकर पोर्ट में तकरीबन 10 बिलियन डॉलर का निवेश किया था।

इसके पहले अडानी समूह ने जस्टिस डिपार्टमेंट के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। इन आरोपों में तकरीबन 2000 करोड़ रुपये घूस देने की बात शामिल थी। जिससे इंडियन सोलर एनर्जी के ठेकों को हासिल किया जा सके। इनमें भारत की कई राज्य सरकारें और सत्ता से जुड़े कई नेता और नौकरशाह शामिल हैं। अडानी समूह ने कहा था कि सारे आरोप निराधार हैं और वह वैश्विक स्तर के रेगुलेशन का पालन करता है।

अडानी को उलझाने वाले नवीनतम घोटाले ने निवेश जोखिम लेने वाले के रूप में जाने जाने वाले भारतीय मूल के जैन को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

जीक्यूजी जो आस्ट्रेलियाई स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है यूबीएस द्वारा स्टॉक को खरीद से न्यूट्रल किए जाने के बाद ट्रेडिंग सप्ताह में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज किया। और इसके साथ ही प्राइस टारगेट के फ्रंट पर यह गिरावट 30 फीसदी दर्ज की गयी।

यूबीएस ने क्लाइंट्स को बताया कि हम देख रहे हैं कि कुछ सलाहकार और क्लाइंट्स अडानी के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के चलते अपने पैसे वापस ले रहे हैं। भारतीय मूल के उभरते बाजारों के निवेशक जैन ने शेयर बाजार में “विरोधाभासी” होने और लहर के खिलाफ जाने की प्रतिष्ठा बनाई है। फंड का बाहर जाना और स्टॉक में पोजीशन का गिरना कंपनी के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। लेकिन बिलेनयेर फंड मैनेजर को अडानी समूह पर पूरा भरोसा है। उनका कहना है कि अडानी समूह के पास भारत में बहुत ज्यादा संपत्ति मौजूद है।

लेकिन समूह की जांच बढ़ती जा रही है। पिछले सप्ताह फ्रांस की भीमकाय एनर्जी कंपनी टोटल एनर्जीज ने अडानी के साथ अपने निवेश को निलंबित कर दिया था जब तक कि वह अमेरिकी आरोपों से बाहर नहीं आती है। इसका अडानी ग्रीन में कुल 19.8 फीसदी का हिस्सा है। इसके साथ ही केनियाई सरकार ने अडानी के साथ अपने समझौते को रद्द कर दिया है और इसी के साथ उसने देश के साथ हुए सबसे बड़े एयरपोर्ट को चलाने का ठेका भी अडानी से वापस ले लिया है।

जीसीजी के फाउंडर जैन और चीफ इन्वेस्टमेंट आफिसर ने कहा कि उन्होंने अडानी की कंपनियों में बिल्कुल सोचे समझे तरीके से एक आक्रामक निवेश किया है जिसमें यह निहित है कि स्कैंडल के बाद शेयरों में उछाल आएगा। ऐसा माना जाता है कि जीसीजी ने करोड़ों डालर अडानी समूह में निवेश किए हैं।

( द टेलिग्राफ में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर।)

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