Friday, April 19, 2024

अडानी के बाद अब अंबानी ने भी दी सफाई, कहा- खेती की जमीन न खरीदी है न खरीदेंगे

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध आंदोलन पर पहले अडानी ग्रुप ने बड़े-बड़े विज्ञापन जारी करके सफाई दी थी कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से उसका कोई लेना देना नहीं है। अब रिलांयस जियो ने स्पष्टीकरण जारी करके दावा किया है कि कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कोई लेना देना नहीं है। हमने कभी भी कॉरपोरेट फार्मिंग के लिए खेती की जमीन नहीं खरीदी है और भविष्य में भी रिलायंस खेती की जमीन नहीं खरीदेगी। रिलायंस ने तोड़फोड़ के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की है। रिलायंस ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि हमारे कर्मचारियों और संपत्तियों को नुकसान से बचाया जाए। कंपनी ने इस तोड़फोड़ के पीछे कारोबारी प्रतिद्वंदियों का हाथ बताया है।

पंजाब में रिलायंस जियो के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए रिलायंस ने किसानों के सामने अपना पक्ष रखा है। रिलायंस ने कहा है कि हमारा कॉरपोरेट फार्मिंग या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कोई लेना देना नहीं है। रिलायंस ने कहा है कि कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में हमारे दाखिल होने की कोई योजना नहीं है। कंपनी ने एक बयान जारी करके यह भी कहा है कि हमने कभी भी कॉरपोरेट फार्मिंग के लिए खेती की जमीन नहीं खरीदी है। कंपनी ने यहां तक कहा है कि वह खेती की जमीन नहीं खरीदेगी।

कंपनी ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रिलायंस रिटेल लिमिटेड, रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड और रिलायंस से जुड़ी कोई भी अन्य कंपनी न तो कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करती है और न ही करवाती है, और न ही भविष्य में इस बिजनेस में उतरने की कंपनी की कोई योजना है। कॉर्पोरेट या कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए रिलायंस या रिलायंस की सहायक किसी भी कंपनी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती की कोई भी जमीन हरियाणा/पंजाब अथवा देश के किसी दूसरे हिस्से नहीं खरीदी है। न ही भविष्य में भी ऐसा करने की हमारी कोई योजना है।

भारत में संगठित रिटेल कारोबार में रिलायंस रिटेल एक अग्रणी कंपनी है। यह देश में दूसरी कंपनियों, निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं के विभिन्न ब्रांडों के खाद्य, अनाज, फल, सब्जियां और दैनिक उपयोग की वस्तुएं, परिधान, दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स सहित सभी कटेगरी के प्रोडक्ट्स को बेचती है। यह किसानों से सीधी खरीद नहीं करती। किसानों से अनुचित लाभ लेने के लिए कंपनी ने कभी भी लंबी अवधि खरीद कॉन्ट्रैक्ट नहीं किए हैं, और न ही ऐसा कभी होगा।

130 करोड़ भारतीयों का पेट भरने वाले किसान अन्नदाता हैं और उनका हम सम्मान करते हैं। रिलायंस और उसके सहयोगी किसान को समृद्ध और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसलिए कंपनी और उसके सहयोगी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ पैदा की गई उनकी उपज का किसानों को उचित और लाभदायक मूल्य मिले इसका पूरा समर्थन करते हैं। रिलायंस स्थायी आधार पर किसानों की आय में वृद्धि चाहता है, और इस लक्ष्य के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है।

कंपनी ने कहा है कि रिलायंस रिटेल देश के संगठित खुदरा बाजार की एक प्रमुख कंपनी है। सभी तरह के रिटेल प्रोडक्ट्स में अनाज, फल, सब्जियों समेत रोजाना इस्तेमाल होने वाले कई उत्पाद शामिल हैं। ये सभी उत्पाद स्वतंत्र मैन्युफैक्चरर्स और सप्लायर्स के जरिए आते हैं। कंपनी कभी भी किसानों से सीधे तौर पर अनाज नहीं खरीदती है। कंपनी ने कभी भी किसानों का फायदा उठाने के लिए लंबी अवधि में खरीद को लेकर कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया है। कंपनी ने यह भी नहीं कहा है कि उसके सप्लायर्स किसानों से सीधे कम कीमत पर खरीदी करें। कंपनी ऐसा कभी नहीं करेगी।

कंपनी ने कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सभी किसानों के प्रति आभार और आदर व्यक्त किया है। ये किसान देश के 1.3 अरब आबादी के अन्नदाता हैं। रिलायंस और उसकी सहायक कंपनी किसानों के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी भारतीय किसानों के साथ समृद्धि, समावेशी विकास और न्यू इंडिया के लिए मजबूत भागीदारी में विश्वास करती है। कंपनी ने कहा कि वो अपने सप्लायर्स से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का पालन करने के लिए जोर देगी। यह सरकार द्वारा पूर्वनिर्धारित नियमों के आधार पर ही होगा।

कंपनी ने पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की पुलिस का शुक्रिया करते हुए कहा कि इससे हाल के दिनों में तोड़फोड़ की घटनाओं में कमी आई है। हालांकि कंपनी ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका के तहत उपद्रवियों और निहित स्वार्थी तत्वों के खिलाफ दंडात्मक और निवारक कार्रवाई की मांग की है, ताकि रिलायंस पंजाब और हरियाणा में एक बार फिर से अपने सभी कारोबार को सुचारु रूप से चला सके।

दरअसल पंजाब में पिछले कुछ हफ्तों में नए कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों ने रिलायंस जियो के करीब 1,500 मोबाइल टॉवर और टेलीकॉम गियर को काफी नुकसान पहुंचाया है। इतना ही नहीं नवंबर महीने में कई किसान संगठनों ने तो पंजाब के कई हिस्सों में रिलायंस फ्रेश स्टोर तक बंद कर दिए थे।

गौरतलब है कि पिछले बयान में आरआईएल ने टॉवर और टेलीकॉम सेवाओं को बाधित करने की घटनाओं की निंदा करते हुआ कहा था कि हमारे व्यापारिक प्रतिद्वंदी अपने निहित स्वार्थों के चलते ऐसा करने वालों को भड़का और उकसा रहे हैं। कंपनी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के पास चल रहे किसान आंदोलन का लाभ उठाते हुए, रिलायंस के खिलाफ लगातार, दुर्भावनापूर्ण और विद्रोह का अभियान चलाया गया, जिसका सच में कोई आधार नहीं है।

दरअसल नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का मानना है कि इन कानूनों से किसानों का कॉर्पोरेट शोषण बढ़ जाएगा। इसी के चलते हजारों किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 26 नवंबर से चल रहे इस आंदोलन में किसानों की मुख्य मांग हैं- तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी सिस्टम को बनाए रखने की गारंटी।

इस गतिरोध को खत्म करने के लिए केंद्र और किसान संघ के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है। किसानों को डर है कि नए कृषि सुधार कानून एमएसपी सिस्टम खत्म कर देंगे। हालांकि, केंद्र ने कहा है कि इन सुधारों से किसानों को लाभ होगा। इसी कड़ी में आज केंद्र और किसान यूनियन के नेताओं के बीच एक और दौर की बातचीत हो रही है। पिछली बैठक में केंद्र और किसान विद्युत अधिनियम और पर्यावरण से जुड़े कुछ मुद्दों पर आम सहमति पर पहुंच गए। हालांकि, दो प्रमुख मांगों पर सहमति तब भी नहीं हो पाई, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और तीन कृषि सुधार कानूनों की वापसी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में रहते हैं।)

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