सुलह के सारे रास्ते बंद होने पर ही करें कोर्ट का रुख:चीफ जस्टिस रमना

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने कहा कि जब सुलह के रास्ते बंद हो जाएं, तभी लोग कोर्ट का रुख करें। उन्होंने कहा कि विवादित पक्षों को मुकदमे को अंतिम उपाय के रूप में मानने और मध्यस्थता और सुलह जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के तरीकों की खोज के बाद ही अदालतों से संपर्क करना चाहिए ।

चीफ जस्टिस रमना ने ये बातें हैदराबाद के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन एंड मध्यस्थता केंद्र के कर्टन रेजर एंड स्टेकहोल्डर्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कही। अपने संबोधन के दौरान चीफ जस्टिस ने महाभारत और भगवान श्री कृष्ण का भी जिक्र किया। चीफ जस्टिस ने कहा कि महाभारत में भी भगवान कृष्ण ने पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता के जरिए विवाद खत्म करने का प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं रहे। उन्होंने कहा कि यह याद रखना जरूरी है कि मध्यस्थता की विफलता के विनाशकारी परिणाम हुए हैं।

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से कम समय में समाधान पाया जा सकता है। वर्षों तक अदालतों के चक्कर में समय बर्बाद करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि संपत्ति का वितरण परिवार के सदस्यों द्वारा सौहार्दपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों के जल्द से जल्द निपटाने की बात पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि चालीस सालों तक कानूनी पेशे में विभिन्न पदों पर रहने के बाद मेरी सलाह है कि आपको अंतिम उपाय के रूप में ही अदालतों में जाने का विकल्प रखना चाहिए। एडीआर (वैकल्पिक विवाद समाधान) का विकल्प तलाशने के बाद ही इस अंतिम उपाय का उपयोग करना चाहिए।चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरा सही दृष्टिकोण से तात्पर्य है कि हमें अपने अहंकार, भावनाओं, अधीरता को छोड़कर व्यावहारिकता को अपनाना चाहिए। लेकिन, एक बार जब ये विवाद अदालत में आ जाते हैं, तो अभ्यास और प्रक्रिया में बहुत कुछ खो जाता है।

उन्होंने बताया कि देश में कुछ मध्यस्थता केंद्रों की मौजूदगी के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौते वाले मामलों के लिए भारतीय पक्ष अक्सर देश के बाहर के मध्यस्थता केंद्र का विकल्प चुनते हैं, जिससे भारी खर्च होता है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हैदराबाद केंद्र इस प्रवृत्ति को बदल देगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि केंद्र के पास सर्वश्रेष्ठ बुनियादी ढांचा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ इसके मध्यस्थ पैनल में हैं। उन्होंने आगे कहा कि हैदराबाद केंद्र भी जल्द ही दुनिया भर में प्रतिष्ठित सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र जैसे मध्यस्थ संस्थानों के बराबर खड़ा हो जाएगा।

चीफ जस्टिस ने कहा कि केंद्र के कुशल कामकाज को सुनिश्चित करने और नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए दुनिया भर से सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखा जा रहा है। साथ ही, उन्होंने हैदराबाद आर्बिट्रेशन सेंटर की तुलना सिंगापुर इंटरनेशनल सेंटर और लंदन इंटरनेशनल सेंटर जैसे मध्यस्थता संस्थानों से की।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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