Wednesday, April 24, 2024

सिलगेर, गांगलूर के बाद दूसरे स्थानों पर पहुंचा आदिवासियों का आंदोलन

बस्तर। बस्तर में स्थानीय आदिवासी लगातार सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। एक ओर जहां सुकमा-बीजापुर के सीमावर्ती गांव सिलगेर में 5 महीने से आदिवासी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर बीजापुर जिले के गंगालूर में अपनी मांगों को लेकर आदिवासी प्रदर्शन के लिए बाध्य हैं। अब आदिवासियों का संघर्ष बस्तर के बीजापुर जिले से शुरू होकर दंतेवाड़ा की तरफ भी पहुंच रहा है। 11 नवम्बर को दंतेवाड़ा जिले के नहाड़ी पंचायत में हजारों की संख्या में आदिवासी एकजुट हुए। ये आदिवासी ग्रामीण मूलनिवासी बचाओ मंच और जेल बंदी रिहाई समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए थे। ग्रामीणों का आरोप था कि सरकार स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाएं नहीं दे पा रही है। 

बस्तर में लगातार फर्जी मुठभेड़, फर्जी गिरिफ्तारी हो रही है जिसे बन्द किया जाना चाहिए, ग्रामीणों की यह भी मांग थी कि बेरोजगारी भत्ता, धान का उचित समर्थन मूल्य सरकार नहीं दे रही है। 

इसके अतिरिक्त हिडमे मरकाम जिसे दंतेवाड़ा पुलिस द्वारा 1 लाख ईनामी नक्सली के नाम के आरोपी के तौर पर गिरिफ्तार कर जेल भेजा गया है उनकी रिहाई की भी मांग ग्रामीण कर रहे थे। 

 बतातें चले कि सिलेगर, गंगालूर, नहाड़ी आदि जिन स्थानों पर आदिवासी प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल के अलावा नक्सली उन्मूलन के नाम पर फर्जी गिरफ्तारियां, मुठभेड़ से लेकर सुरक्षा बलों के कैम्प बैठाने तक का ग्रामीणों का मुद्दा शामिल है। 

हालांकि बस्तर के पुलिस अधिकारियों ने आदिवासियों के इन आंदोलन को नक्सल दबाव में ग्रामीणों के सामने आने की बात कहते रहते हैं। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने मीडिया को  दिए कई बयान में सिलगेर जैसे आंदोलनों को नक्सली दबाव में आने की बात कहते रहते हैं। 

पिछले दो साल में ऐसे कई मौके आए जब जल, जंगल और जमीन के लिए आदिवासियों को आंदोलन का रुख करना पड़ा। कभी पहाड़ियों पर माइनिंग, कभी देवी-देवताओं के स्थल, कभी कैंप के विरोध में बस्तर के आदिवासियों ने मुखर होकर प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। 

सिलेगर के आंदोलन को समझिए 

बता दें कि सिलगेर में कैम्प खुलने के बाद से ही ग्रामीण लगातार कैम्प का विरोध कर रहे हैं। आंदोलनरत ग्रामीणों पर पुलिस द्वारा फायरिंग किए जाने का मामला भी सामने आया था। जिसमें 3 लोगों की मौत भी हुई थी। वहीं भगदड़ में एक गर्भवती महिला ने भी दम तोड़ दिया था। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने अपना बयान जारी करते हुए बताया था कि नक्सलियों ने कैम्प पर हमला किया था। जवाबी कार्रवाई में 3 नक्सलियों की मौत हुई है। वहीं जिन लोगों की मौत हुई है, ग्रामीण उन्हें गांव के ही रहने वाले लोग बता रहे हैं। इस आन्दोलन में अब तक कुल 4 लोगों की मौत हो चुकी है।

हिडमे मरकाम की अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ आदिवासी उठा रहे आवाज 

बीते 9 मार्च, 2021 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन छत्तीसगढ़ की युवा सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ता हिडमे मरकाम को दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी को तब अंजाम दिया गया जब वे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर समेली, जिला दंतेवाडा में दो युवा आदिवासी महिलाओं के साथ हिरासत में की गई शारीरिक और यौन हिंसा के विरोध में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। हिडमे मरकाम पर बलवा, हत्या, अवैध हथियार रखने और नक्सली गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप पुलिस द्वारा लगाए गए हैं। जबकि उन्हें रिहा करने व सारे मामले वापस लेने के लिए एक हजार की संख्या में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। वहीं इस मामले में पुलिस पर यह आरोप भी है कि उसने कवासी हिडमे नामक एक दूसरे व्यक्ति पर दर्ज मामले में हिडमे मरकाम को गिरफ्तार किया है। 

बता दें कि बस्तर संभाग के सुकमा-बीजापुर ज़िले के सीमावर्ती गांव सिलगेर  में सीआरपीएफ के कैंप के विरोध में खड़े हुए जनांदोलन को दबाने और माओवादी बताने की कोशिशें लगातार हो रही हैं, लेकिन इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन के इतनी आसानी से ख़त्म हो जाने के आसार नज़र नहीं आते। अब यह आंदोलन सिलगेर से निकल कर बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।) 

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