कन्नड़ अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता चेतन कुमार अहिंसा का ‘प्रवासी भारतीय’ (ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया, यानि ओआईसी) कार्ड केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया। ‘फॉरेनर्स रिजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस’ ने 2022 में उन्हें एक नोटिस दिया था, जिसका जवाब चेतन ने दिया था, किंतु उनके जवाब को संतोषजनक नहीं मानते हुए, उनके ऊपर “भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल” होने का आरोप लगाकर उनका कार्ड रद्द कर दिया गया है। 14 अप्रैल को उन्हें दी गयी नोटिस में 15 दिनों के भीतर उन्हें कार्ड वापस करने को कहा गया है। इस नोटिस में कहा गया है कि “केंद्र सरकार के संज्ञान में यह बात आयी है कि चेतन कुमार अहिंसा सार्वजनिक संस्थानों के खिलाफ भद्दे, अपमान –जनक और आपत्तिजनक टिप्पणियां करने तथा खास समुदाय के प्रति वैमनस्य और घृणा फैलाने तथा सौहार्द बिगाड़ने जैसी बहुत सारी ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में शामिल हैं।”
चेतन ने कहा है कि इस नोटिस पर स्थगन आदेश के लिए वे हाईकोर्ट जाएंगे। ज्ञातव्य है कि 40 वर्षीय चेतन कन्नड़ मूल के अमरीकी नागरिक हैं और उन्हें भारत में अनिश्चित काल तक रहने के लिए ‘प्रवासी भारतीय नागरिकता’ कार्ड मिला हुआ है। येल विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बद 2005-06 में वे फुलब्राइट स्कॉलरशिप के तहत थिएटर पर रिसर्च करने के लिए भारत आए और बैंगलुरू के ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ के साथ काम करने लगे। इस बीच उन्होंने फिल्मों में काम शुरू कर दिया।
लेकिन ढेर सारे सामाजिक मुद्दों के लिए एक सतत संघर्षशील कार्यकर्ता के रूप में चेतन का क़द उनके फिल्मी कैरियर से कई गुना बड़ा है। वे मुखर जातिवाद विरोधी अम्बेडकरवादी हैं। वे हर कमजोर-मजलूम की आवाज और उसके संघर्ष के हमसफर हैं। जहां कहीं भी अन्याय दिखेगा, उसके खिलाफ चेतन की निडर आवाज जरूर सुनाई देगी। अपनी अंतश्चेतना की आवाज सुनने और अंजाम की परवाह किये बिना हर ग़लत बात के खिलाफ़ विरोध दर्ज कराने और टकराने का हौसला रखने वाले चेतन कुमार अहिंसा हमारे समाज के युवाओं के लिए एक आदर्श स्थापित करते हैं और वे फुले-अम्बेडकर-पेरियार-भगतसिंह की विरासत को आगे ले जाने की उम्मीद पैदा कर रहे हैं।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कर्नाटक हिंदुत्व की नवीनतम प्रयोगशाला बना हुआ है। संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों के छोटे-बड़े, हर दर्जे के कार्यकर्ताओं में सांप्रदायिकता फैलाने वाले और अल्पसंख्यकों को चिढ़ाने वाले नफरती बयान देने की होड़ लगी हुई है। हिंदुत्व की परियोजना को लेकर देश के अन्य इलाक़ों की तरह वहां भी सवर्ण संगठन खासे रोमांचित हैं। ऐसे में उनके हर क़दम का प्रतिरोध करने के कारण संविधानवादी- अम्बेडकरवादी चेतन कुमार उनकी आंखों की किरकिरी बने हुए हैं।
चेतन के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्तमान कार्रवाई प्रतिक्रियावाद के सामने सांवैधानिक सत्ता के समर्पण की एक और बानगी है।
( शैलेश स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)