Thursday, April 25, 2024

आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में अमृतपाल, पंजाब में माहौल सामान्य

18 मार्च से फरार चल रहा ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ गया। उसे पंजाब के मोगा जिला के रोडे गांव से गिरफ्तार किया गया है। यहीं से उसने अलगाववाद का अपना सफर शुरू किया था।

रोडे संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला का गांव है। बीते साल यहीं के गुरुद्वारे में अमृतपाल सिंह की ‘दस्तारबंदी’ हुई थी। उसके बाद उसने खुलेआम अलगाववाद की राह अख्तियार कर ली। वह खालिस्तान का हिमायती बन गया।

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर अमृतपाल सिंह आत्मसमर्पण करना चाहता था। लेकिन पंजाब पुलिस की ओर से उसकी गिरफ्तारी का दावा किया गया है। गिरफ्तारी से पहले उसने गुरुद्वारे से संबोधन भी किया। कहा कि हुकूमत के अत्याचारों को दुनिया देख रही है। मैं अदालत में झूठे मुकदमों का सामना करूंगा। वह बोला कि उसकी गिरफ्तारी पहले भी हो सकती थी, लेकिन तब सरकार का दमनकारी चेहरा दुनिया के सामने नहीं आता।

गौरतलब है कि तीन दिन पहले उसकी पत्नी किरणदीप कौर को अमृतसर एयरपोर्ट पर फौरी हिरासत में लिया गया था। वह विदेश जा रही थी। इस घटनाक्रम के बाद सरगोशियां थीं कि अमृतपाल सिंह खालसा किसी भी वक्त पुलिस की गिरफ्त में आ सकता है। इन पंक्तियों को लिखे जाने तक जानकारी यह है कि उसे मुक्तसर जिले की पुलिस ने गिरफ्तार किया है और फिलवक्त बठिंडा में रखा गया है। वहां से उसे असम भेजा जा रहा है। उस पर रासुका लगाया गया है।

अजनाला प्रकरण के बाद अमृतपाल सिंह खालसा हौवा बन गया था। उसने पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब की आड़ लेकर अजनाला थाने पर कब्जा किया। समूची पंजाब पुलिस का इकबाल तार-तार हो गया था। आला पुलिस अधिकारी उसके आगे झुकते अथवा गिड़गिड़ाते नजर आए। भारी किरकिरी के बाद भगवंत मान सरकार ने फैसला किया कि अमृतपाल के खिलाफ कड़ा एक्शन होना चाहिए।

पुलिस ने 18 मार्च को बाकायदा ‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह’ शुरू किया। वह खुद तो तब बच निकला लेकिन उसके कई साथी और समर्थक गिरफ्तार कर लिए गए। सैकड़ों हिरासत में लिए गए जिनमें से अधिकांश को छोड़ दिया गया।

अमृतपाल सिंह हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पनाह ढूंढता रहा लेकिन अंततः पंजाब आ गया। गिरफ्तारी से पहले उसके तीन वीडियो चर्चित हुए। वह कुछ शर्तों के साथ आत्मसमर्पण करना चाहता था। लेकिन सरकार को उसकी शर्तें नामंजूर थीं। सर्वोच्च सिख संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी उसे आत्मसमर्पण करने की सलाह सार्वजनिक तौर पर दी थी। कयास थे कि वह बैसाखी के दिन किसी बड़े धर्मस्थल से खुद को पुलिस के हवाले कर देगा। इसी के मद्देनजर डीजीपी गौरव यादव ने अमृतसर और तलवंडी सबो का दौरा किया था।

दरअसल, पुलिस इस कवायद में थी कि वह ‘पोस्टर बॉय’ न बन पाए। ‘हीरो’ से ‘जीरो’ हो जाए। आखिरकार वही हुआ। आज सुबह तड़के चार बजे अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार किया गया है। पंजाब का माहौल सामान्य है। लोगबाग इस घटनाक्रम को लेकर चर्चा जरूर कर रहे हैं। पंजाब पुलिस ने अमन और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है।

गिरफ्तारी कुछ घंटे पहले की अमृतपाल की तस्वीर

अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद भी यह रहस्य बरकरार है कि किसके इशारे पर उसने पंजाब को फिर से काले दिनों में लाने की मुहिम शुरू की? पहले-पहल सूबे में चर्चा थी कि वह केंद्रीय एजेंसियों की शह पर यहां आया और जब हाथों से निकल गया तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने पड़े। केंद्र और राज्य सरकार ने यह कहकर संयुक्त अभियान चलाया कि वह पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहा है।

दरअसल, 18 मार्च के बाद फरार हुआ अमृतपाल सिंह खालसा उस तबके में भी अपना वजूद खोता जा रहा था जो उसको ‘नायक’ मान रहा था। पहले वह खुलेआम कहा करता था कि अलहदा मुल्क खालिस्तान के लिए संघर्ष में अगर जान भी चली जाए तो परवाह नहीं। जब उसके खिलाफ अभियान चला तो वह छिपता फिरता रहा।

‘वारिस पंजाब दे’ के स्वयंभू मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा ने धर्मांतरण के मुद्दे पर ईसाई संगठनों के खिलाफ हिंसक तेवर अख्तियार किए। उसके बाद अमृत संचार के नाम पर खालिस्तान का प्रचार शुरू किया। बेशक उसकी कारगुज़ारियों से सिख संस्थाएं भी नाराज थीं। अमृतपाल का पूरा जोर खुद को दूसरा भिंडरांवाला साबित करने में रहा। यक्ष प्रश्न यह भी है कि संत जरनैल सिंह भिंडरांवाला जिस गांव रोडे के मूल बाशिंदे थे उसी के गुरुद्वारे को उसने गिरफ्तारी से ऐन पहले अपनी पनाहगार क्यों बनाया!

(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)                                                 

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