पीएमसी बैंक के आठवें ग्राहक की आज अकाल मृत्यु हो गयी मृतक के परिजन कह रहे हैं कि मौत का कारण इलाज का खर्च नहीं उठा पाना है। मृतक के पोते क्रिस ने बताया कि 74 वर्षीय एंड्रयू लोबो का गुरुवार देर शाम ठाणे के पास काशेली में उनके घर पर निधन हो गया। क्रिस ने बताया कि लोबो के बैंक खाते में 26 लाख से अधिक रुपये जमा थे। लोबो इस जमा राशि के ब्याज से अपना गुजारा करते थे। क्रिस ने कहा, दो महीने पहले उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया जिसके लिए उन्हें नियमित दवाओं और डॉक्टरों के इलाज की जरूरत थी। उनका पैसा बैंक में अटका हुआ था जिसके कारण उनकी चिकित्सा जरुरतें पूरी नहीं हो पाईं।’
इसी हफ्ते में पीएमसी की एक और ग्राहक 64 साल की कुलदीप कौर की मौत हो गई। वह पीएमसी प्रकरण के बाद से अवसाद में थीं। बैंक में उनके करीब 15 लाख रुपये जमा थे और वह इन्हें नहीं निकाल पाने के चलते काफी परेशान थीं। खाते से पैसा नहीं निकलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। इसके पहले पिछले गुरुवार को केशुमल हिंदुजा नाम के खाताधारक की मौत हो गई थी। वह भी पैसे फंसे होने की वजह से तनाव में थे। समझा जा रहा है कि इसी कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा और मौत हो गई।
अब यह खबरें हमें परेशान नहीं करतीं। वो कहते हैं न कि ‘दर्द का हद से गुजर जाना है दवा हो जाना’ अब यही हमारी दवा है। अब हमने एक जागे हुए राजनीतिक समाज के रूप में सोचना बिल्कुल बन्द कर दिया है।
आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि पीएमसी बैंक के ज्यादातर प्रभावित लोग मुंबई और आस-पास के क्षेत्र से ही ताल्लुक रखते हैं। और लग रहा था कि इस बार बृहन्न मुंबई की 60 सीटों पर आर्थिक मंदी, बेरोजगारी पीएमसी बैंक, आरे के जंगल का काटा जाना प्रमुख मुद्दे रहेंगे और इसका नुकसान केंद्र और राज्य दोनों में सत्ताधारी दल भाजपा को झेलना पड़ेगा! लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ और 60 सीटों में से 47 सीटों पर शिवसेना भाजपा गठबंधन को जीत मिली और इसी जीत से वह सरकार बनाने के कगार पर खड़े हुए हैं।
अगर वह यहां से अपनी सीट हार जाते तो उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ती। क्योंकि विदर्भ जो भाजपा का गढ़ माना जाता है जहां से फडनवीस आते हैं उस विदर्भ की 2014 में 62 सीटों में 50 सीटें भगवा खेमे ने जीती थी। इस बार वह लगभग आधे पर ही सिमट गई। इस गठबंधन के खाते में विदर्भ की मात्र 27 सीटें ही आई हैं।
साफ है कि मुंबई जैसे बड़े शहरों में बैठा शहरी मध्यवर्ग आज भी भाजपा की आर्थिक नीतियों को सही मानते हुए वोट कर रहा है। लेकिन गांवों में किसान उनका कड़ा विरोध कर रहा है। हरियाणा में भी उनकी सीटों का कम होना यही संकेत दे रहा है।
यह देखकर लगता है कि चाहे पीएमसी बैंक जैसे 50 बैंक भी डूब जाएं जनता अंटा गाफिल होकर थोथे राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर भाजपा को वोट देती रहेगी।
(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आजकल इंदौर में रहते हैं।)