Saturday, April 20, 2024

अर्नब के खिलाफ एक और एफआईआर, महिला पुलिस अफसर के साथ मारपीट का आरोप

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मुंबई पुुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है। उन पर गिरफ्तारी के दौरान एक महिला पुलिस अफसर से मारपीट का आरोप है। उधर, रायगढ़ पुलिस ने अर्नब की 14 दिन की रिमांड मांगी है।

आत्महत्या के लिए विवश करने के दो साल पुराने एक मामले में आज बुधवार को रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के बाद बीजेपी के तमाम नेताओं, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री समेत मोदी कैबिनेट के तमाम मंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पीड़ा और बेचैनी देख कर पहली बार लगा कि बीजेपी को प्रेस की आज़ादी की बड़ी चिंता है। बीजेपी के तमाम नेताओं ने इस गिरफ़्तारी के लिए कांग्रेस और शिवसेना विशेषकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर प्रेस की आज़ादी को कुचलने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ और व्यक्तिगत आजादी पर हमला है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अर्नब की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताया है और इस गिरफ़्तारी के लिए कांग्रेस और शिवसेना को दोषी करार दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अर्नब की गिरफ़्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताया है!

बीते सालों में उत्तर प्रदेश में कितने पत्रकार गिरफ्तार हुए?

कुल मिलाकर मामला यह है कि पूरी बीजेपी में शायद ही कोई ऐसा बाकी रहा हो, जिसने अर्नब की गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति पर हमला करार न दिया हो। एडिटर्स गिल्ड ने भी अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की है। गिल्ड ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से गोस्वामी के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित करने की मांग भी की।

आल इंडिया बार असोसिएशन ने भी अर्नब की गिरफ्तारी की निंदा की है।

प्रेस की आज़ादी के लिए बीजेपी की यह चिंता देख कर बहुत सुखद अनुभव हुआ! पर रुकिए, आपको याद है गौरी लंकेश की हत्या के बाद क्या हुआ था? कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद वहां प्रेस और तमाम मीडिया पर लंबे समय का प्रतिबंध याद है?

बीते साल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए आंदोलनों को कवर करने गए 14 पत्रकारों पर हमले हुए थे। बीते छह सालों में पत्रकारों पर हुए हमले की कई रिपोर्ट्स हैं CAAJ के पेज पर।

अर्नब की गिरफ़्तारी किस मामले में हुई?
दरअसल 5 मई 2018 को अवन्य नाइक ने आलीबाग में सुसाइड कर लिया था, जो महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है। साथ ही उनकी मां कुमुद नाइक भी घर पर मृत अवस्था में पाई गईं थीं। पुलिस को घर से जो सुसाइड नोट मिला, उसमें नाइक ने लिखा था कि वो और उनकी मां पैसों की तंगी से जूझ रहे थे, इसीलिए आखिर में उन्होंने खुदकुशी करने का फैसला किया। सुसाइड नोट में बताया गया था कि उनकी कंपनी कॉनकोर्ड डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड को उनकी तीन क्लाइंट्स ने काम के बाद बड़ी रकम देने से इनकार कर दिया। इन तीनों क्लाइंट्स में- अर्नब गोस्वामी (एआरजी आउटलियर/रिपब्लिक टीवी) को कंपनी के 83 लाख रुपये चुकाने थे। नीतीश शारदा (स्मार्टवर्क्स) को 55 लाख रुपये, फिरोज शेख (स्काइ मीडिया) को चार करोड़ की पेमेंट करनी थी।

इस पूरे मामले को लेकर 2018 में मुंबई पुलिस के पास एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। नाइक की पत्नी अक्षता की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. इस दौरान नाइक की पत्नी ने आरोप लगाया था कि मुंबई में रिपब्लिक टीवी के ऑफिस का पूरा काम करने के बाद अर्नब गोस्वामी ने कॉन्ट्रैक्ट में लिखी अमाउंट को देने से साफ इनकार कर दिया था, जबकि काम पूरा हो चुका था। अब अर्णब गोस्वामी को इसी मामले को लेकर गिरफ्तार किया गया है।

बीते कुछ सालों में कितने पत्रकार गिरफ्तार हुए या मारे गए?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी पत्रकार को गिरफ्तार किया गया है। सवाल यह है कि अर्नब की गिरफ़्तारी कितना सही है और कितना गलत है?

अर्नब को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया है वह दो साल पुराना मामला है और जब उन पर इस मामले में केस दर्ज हुआ था तब महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़णवीस की सरकार थी।

पुलिस ने इस केस को बंद कर दिया था। साल 2019 में बीजेपी की फड़णवीस सरकार के दौरान पुलिस ने केस को ये कहते हुए बंद कर दिया था कि उन्हें पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं, किंतु नाइक परिवार इस केस को दुबारा खुलवाना चाहती थी और महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद मामले को फिर से खोलने और जांच की मांग की थी। महाराष्ट्र सरकार ने उसे स्वीकार करते हुए अप्रैल में ही पुलिस को जांच करने का आदेश दिया था।

शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा था कि उन्होंने इस मामले की सीआईडी से दोबारा जांच कराने के आदेश जारी किए हैं, क्योंकि नाइक की बेटी ने उन्हें इसके लिए शिकायत की है।

गौरतलब है कि बीते कुछ समय से अर्नब गोस्वामी, कांग्रेस और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी करते रहे हैं। वहीं अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को लेकर गलत रिपोर्टिंग और हाल ही में टीआरपी धोखाधड़ी मामले में वे चर्चित रहे हैं। बॉलीवुड के कई फिल्म निर्माता कंपनियों ने भी उनके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दी है। वहीं महाराष्ट्र हाई कोर्ट में भी उनके खिलाफ कई मामलों की सुनवाई बाकी है।

याद रहे कि अर्नब हमेशा फ़र्ज़ी कार्रवाइयों और गिरफ़्तारियों का समर्थन करते रहे हैं। भीमा कोरेगांव हो या दिल्ली दंगे या शाहीन बाग़, वह नफ़रत और झूठ फैलाते रहे। अब इस केस में मामला अदालत के फैसले पर निर्भर होगा। अर्नब जिस केस में गिरफ्तार किए गए हैं, इसमें दोषी साबित होने पर 10 तक की सज़ा का प्रावधान और जुर्माना शामिल है।

सवाल है कि क्या सिर्फ अर्नब की गिरफ़्तारी ही अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र पर हमला है? अच्छी बात यह है कि अर्नब की गिरफ़्तारी के बहाने सत्ता पक्ष से लेकर एडिटर्स गिल्ड समेत तमाम संगठन और नामचीन लोगों को पत्रकार, प्रेस, अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र की चिंता एक साथ हो रही है।

(पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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