प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र में आगजनी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शनिवार को एक बार फिर सेक्टर 18 और 19 के बीच आग लगने से अफरातफरी मच गई। देखते ही देखते कई टेंट जलकर राख हो गए। राहत की बात यह रही कि किसी प्रकार की जनहानि की सूचना नहीं मिली है। घटना की जानकारी मिलते ही दमकल की गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं और आग बुझाने के प्रयास में जुट गईं।
आग लगने की खबर मिलते ही दमकल विभाग की टीमें सक्रिय हो गईं। बताया जा रहा है कि महज 10 मिनट के अंदर फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंच गईं और स्थिति को नियंत्रण में ले लिया। डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने घटना पर जानकारी देते हुए बताया, “आग पूरी तरह काबू में है। यह सेक्टर 19 में कल्पवासियों द्वारा खाली किए गए कुछ पुराने टेंटों में लगी थी। किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है।”
नोटों से भरे बैग भी जले चश्मदीद ने बताया कि श्रीराम चरित मानस सेवा प्रवचन मंडल के शिविर में भी आग लगी। यहां से सभी लोग जा चुके थे। कुर्सी, टेंट, खाने का सामान जल गया। शिविर में नोटों के 3 बैग रखे थे, बताया जा रहा है कि एक बैग सुरक्षित रख लिया गया है। दो बैग के जलने की आशंका है।
आग की घटनाएं लगातार जारी
महाकुंभ में यह पहली आग की घटना नहीं है। 9 फरवरी को भी सेक्टर 19 में एक कल्पवासी के टेंट में गैस सिलेंडर लीक होने के कारण आग लग गई थी। उस समय भी दमकल कर्मियों ने 10 मिनट के भीतर आग पर काबू पा लिया था। इसी तरह, 7 फरवरी को महाकुंभ नगर के सेक्टर-18 में इस्कॉन (अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) के शिविर में आग लगने से करीब 20-22 टेंट जलकर खाक हो गए थे।
लगातार हो रही आगजनी की घटनाओं ने मेला प्रशासन और श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ा दी है। इन घटनाओं से यह सवाल उठ रहा है कि क्या सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त है? क्या इन हादसों को रोका जा सकता था? महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में जहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं, वहां बार-बार आग लगना निश्चित रूप से प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
7 फरवरी को सेक्टर-18 स्थित शंकराचार्य मार्ग पर भीषण आग लगी। यहां संत हरिहरानंद का पंडाल स्थापित था। सुबह करीब 11 बजे हुए इस हादसे में आग लगने के बाद सिलेंडर फटने जैसी तेज़ आवाज़ें सुनाई दीं। आग इतनी विकराल थी कि दमकल के पहुंचने से पहले ही पूरा पंडाल जलकर राख हो गया।
करीब 40 मिनट की मशक्कत के बाद दमकल टीम ने आग पर काबू पाया। राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। 30 जनवरी को सेक्टर-22 में भीषण आग लग गई थी, जिसमें कई पंडाल जलकर खाक हो गए थे। फायर ब्रिगेड की टीम ने 20 मिनट में आग पर काबू पा लिया था, लेकिन तब तक बड़ा नुकसान हो चुका था।
महाकुंभ मेला क्षेत्र में इस साल की सबसे भीषण आग 19 जनवरी को लगी थी। शास्त्री ब्रिज के पास सेक्टर-19 में गीता प्रेस के कैंप में आग लग गई थी। इस हादसे में 180 कॉटेज जलकर राख हो गए थे। महाकुंभ प्रशासन के अनुसार, गीता प्रेस की रसोई में एक छोटे गैस सिलेंडर से चाय बनाते समय गैस लीक हुई और आग लग गई। आग ने रसोई को पूरी तरह घेर लिया और वहां रखे दो सिलेंडर ब्लास्ट हो गए। इस घटना में भी कोई जनहानि नहीं हुई थी, लेकिन संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था।
फायर ऑपरेशन के लिए 50 फायर फाइटिंग पोस्ट
महाकुंभ नगरी को आग से सुरक्षित रखने के लिए अत्याधुनिक अग्निशमन प्रणाली तैनात की गई है। फायर ऑपरेशन के लिए 4 आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर (AWT) लगाए गए हैं, जिनमें वीडियो-थर्मल इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीक है। इसका उपयोग ऊंचे टेंट और बहुमंज़िला संरचनाओं में लगी आग बुझाने के लिए किया जाता है। ये टावर 35 मीटर की ऊंचाई तक आग पर नियंत्रण कर सकते हैं।
इसके अलावा, महाकुंभ मेला क्षेत्र को फायर फ्री ज़ोन बनाने के लिए
✅ 350 से अधिक फायर ब्रिगेड वाहन
✅ 2000 से अधिक प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मी
✅ 50 अग्निशमन केंद्र
✅ 20 फायर पोस्ट
✅ अखाड़ों और टेंटों में फायर प्रोटेक्शन उपकरण लगाए गए हैं।
फिर भी सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
इन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद महाकुंभ में आग लगने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। मेला क्षेत्र में बढ़ती आगजनी की घटनाओं ने सुरक्षा प्रबंधों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या फायर प्रोटेक्शन इक्विपमेंट पर्याप्त रूप से काम कर रहे हैं? क्या सुरक्षा उपायों को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए? प्रशासन के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन चुकी है कि आख़िर बार-बार आग क्यों लग रही है और इसे पूरी तरह रोका क्यों नहीं जा रहा?
अगलगीः एक नजर में
- 19 जनवरी: सेक्टर 19 में गीता प्रेस के कैंप में आग लगी थी, हादसे में 180 कॉटेज जल गए।
- 30 जनवरी: सेक्टर 22 में आग लगी थी, जिसमें 15 टेंट जले थे।
- 7 फरवरी: सेक्टर-18 में आग लगी थी। हादसा शंकराचार्य मार्ग पर हुआ था, जिसमें 22 पंडाल जल गए।
- 15 फरवरी: सेक्टर 18-19 में आग लगी। इसे बुझा लिया गया है।
(आराधना पांडेय स्वतंत्र पत्रकार हैं)
+ There are no comments
Add yours