Friday, April 19, 2024

गाजीपुर में गिरफ्तार सत्याग्रहियों ने जेल में शुरू किया अनशन

नई दिल्ली। गाजीपुर में गिरफ्तार सत्याग्रहियों ने जेल में अनशन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनका अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक प्रशासन उन्हें बिना शर्त छोड़ नहीं देता। गौरतलब है कि 10 युवक-युवतियों ने सीएए कानून और देश में हो रहे मानवाधिकारों पर हमले के खिलाफ गोरखपुर के चौरीचौरा से यात्रा निकाली थी। लेकिन अभी ये लोग गाजीपुर पहुंचे थे कि तभी उन्हें प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया। और उन पर तमाम धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया। और जब जमानत की बारी आयी तो एसडीएम ने उनके सामने ढेर सारी कड़ी शर्तें रख दीं। जिनको पूरा कर पाना किसी भी सत्याग्रही के लिए मुश्किल है। आपको बता दें कि चौरीचौरा से शुरू हुई यह यात्रा राजधानी दिल्ली में राजघाट पर समाप्त होनी थी।

अपने अनशन के बारे में सत्याग्रहियों ने गाजीपुर के कलेक्टर को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को न केवल मानवाधिकारों पर हमला करार दिया है बल्कि उनका कहना है कि ऐसा करके प्रशासन संवैधानिक अधिकारों की धज्जियां उड़ा रहा है। शांतिपूर्ण जुलूस और प्रदर्शन करना हर नागरिक का बुनियादी अधिकार है उसको कहीं का भी पुलिस या प्रशासन नहीं छीन सकता है। इन सत्याग्रहियों में एक युवती भी शामिल है जिसका नाम प्रदीपिका सारस्वत है।

हालांकि घटना सामने आने के बाद कानून बिरादरी से जुड़े लोग सक्रिय हो गए हैं। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान यूपी में हुए पुलिसिया उत्पीड़न मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्याय मित्र रमेश यादव ने मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में कहा है कि

“SDM द्वारा पारित उक्त आदेश मनमानापूर्ण है। पीठासीन अधिकारी ने अपने न्याययिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। 107/116 दंड प्रक्रिया संहिता का प्रावधान प्रीवेंटिव नेचर निवारक प्रकृति का नकि दंडात्मक प्राकृति है। सो, उन्हें इतनी कठोर शर्तें व उच्च प्रतिभू की मांग नहीं करना चाहिए। यह संविधान के अनुच्छेद 14,19 व 21 का अतिलंघन है तो है साथ क्रिमिनल लॉ के मान्य सिद्धान्तों के भी विरुद्ध है। उनका जेल भेजा जाना राज्य द्वारा गैरकानूनी निरोध इल्लीगल डेटिशन के समान है”।

उन्होंने आगे कहा कि ‘अतः इस मामले में अपने आका के दबावपूर्ण निर्देश के बावजूद इस अधिकारी को रूल ऑफ लॉ और विधि द्वारा विहित प्रक्रिया का उल्लंघन करके आदेश नही पारित करना चाहिए था। क्योंकि उच्च न्यायालय के समक्ष मामला जाने पर व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे और इनके खिलाफ स्ट्रक्चर पास किया जा सकता है। Chanchal Bhu सर, हम लोग इस मामले को माननीय उच्च न्यायालय के सामने उठाने जा रहे हैं’। 

गौरतलब है कि बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा समय में कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे चंचल ने इस मामले को बढ़-चढ़ कर उठाया है। उन्होंने अपनी गाजीपुर इकाई से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की है।

इसके साथ ही इन सत्याग्रहियों के पक्ष में सोशल मीडिया पर भी अभियान शुरू हो गया है। यूपी की योगी सरकार जिस तरह से आंदोलनों से निपटने की कोशिश कर रही है उसका पूरे देश में विरोध हो रहा है। इस नई घटना ने एक बार फिर योगी सरकार के लोकतंत्र और जन विरोधी चेहरे को उजागर कर दिया है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।