Tuesday, May 30, 2023

स्वदेश में उत्पीड़नों से मलिन हुआ विश्व मंच पर भारत का चेहरा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मुद्दों पर, और “घरेलू मोर्चे पर” अपनी सरकार की “उपलब्धियां” रखने के लिए विश्व के अन्य नेताओं के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे।

लेकिन स्वदेश में, सरकारी तंत्र निगरानी करने, ​​​​राजनीति से प्रेरित अभियोजनों, उत्पीड़न, ऑनलाइन ट्रोलिंग और कर चोरी संबंधी छापेमारी के जरिए सरकार के आलोचकों को निशाना बना रहा है। वे कार्यकर्ता समूहों और अंतरराष्ट्रीय दाता संगठनों का काम-काज बंद करा रहे हैं।

इस तरह की आक्रामक कार्रवाइयां दिन प्रतिदिन व्यापक और निरंकुश हो रही हैं।

भ्रष्टाचार मुक्त, सुशासन के वादे पर विशाल जनादेश हासिल कर सत्ता में सात साल रहने के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला मोदी प्रशासन अपने मिशन को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। पिछले दशकों में बेरोजगारीमहंगाई और गरीबी कम करने में जो सफलता मिली थी, अब वह उलटी दिशा में चली गई है।

ऐसे समय में, जब आम नागरिक कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, सरकार अपनी दिखावटी परियोजनाओं पर खर्च कर रही है। सत्तारूढ़ दल के नेता संभवतः चुनावी वादे पूरा करने में अपनी विफलताओं को ढंकने की खातिर अपने हिंदू राष्ट्रवाद का प्रदर्शन करने के लिए भड़काऊ भाषण देते हैं जिनमें खास तौर से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है। इन भाषणों ने भाजपा समर्थकों के हिंसक घृणा अपराधों को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, सरकार ने ऐसे कानून और नीतियां भी बनाई हैं जो मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ बाकायदा भेदभाव करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी विभाजनकारी राजनीति की अक्सर आलोचना हुई है, और राज्य की नीतियों के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं जिनमें से कुछ किसानों और छात्रों के नेतृत्व में हुए हैं।

सरकारी तंत्र ने गलतियां स्वीकार करने, असमानता दूर करने की कठिन चुनौती हाथ में लेने और भेदभावपूर्ण नीतियां ख़त्म करने के बजाय, उलटे अगुआ तत्वों को चुप कराने और खुद को पीड़ित बताने का रास्ता चुना है।

सरकार पहले से ही आतंकवाद-निरोधी कानूनों, राजद्रोह और अन्य गंभीर आरोपों का इस्तेमाल शांतिप्रिय कार्यकर्ताओं को जेल में डालने के लिए कर रही थी। अब, उन लोगों की सूची लंबी हो गई है जिन्हें सरकार और उसके समर्थक संदेह की दृष्टि से देखते हैं। इस सूची में परोपकारी अभिनेताकविजौहरीपत्रकारसोशल मीडिया एग्जीक्यूटिवमनोरंजन कंपनियां और अन्य व्यवसाय भी शामिल हो गए हैं। वाणिज्य मंत्री ने हाल ही में भारतीय उद्योग जगत पर राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया, जबकि एक हिंदू राष्ट्रवादी पत्रिका ने नागरिक समाज समूहों को धन मुहैया कराने के लिए एक सॉफ्टवेयर कंपनी की आलोचना की।

मोदी प्रशासन को अभी भी लोकप्रिय समर्थन प्राप्त है क्योंकि लोगों को यह भरोसा है कि वह न्यायपूर्ण विकास का अपना वादा पूरा करेगी। लेकिन कामयाबी पाने के लिए, नेताओं को चाहिए कि दूसरों के कंधे पर जिम्मेदारी डालना बंद करें, आलोचकों को निशाना बनाने के लिए कानूनों और राज्य संस्थानों का दुरुपयोग करना बंद करें और तात्कालिक जरूरतें पूरी करने के लिए कठिन-कठोर मेहनत शुरू कर दें। और नहीं तो, मोदी प्रशासन जिस वैश्विक पहचान के लिए लालायित है, उसकी जगह सिर्फ उत्पीड़नकारी घटनाओं से भरी विरासत ही पीछे छोड़ जाएगा।

(ह्यूमन राइट्स वॉच से जुड़ी मीनाक्षी गांगुली का लेख।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

पहलवानों पर किन धाराओं में केस दर्ज, क्या हो सकती है सजा?

दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर हुई हाथापाई के मामले में प्रदर्शनकारी पहलवानों और अन्य...