उत्तराखंड: जनवादी नेताओं के हमलावरों को आठ साल बाद सजा, स्टोन क्रेशर मालिक ने गांव में मचाया था उत्पात

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नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले की रामनगर तहसील स्थित बुक्सा जनजाति बहुल्य गांव वीरपुर लच्छी में आठ साल पहले हुए जनवादी नेताओं पर जानलेवा हमले के आरोपी सोमवार 24 अप्रैल को बतौर मुजरिम जेल पहुंच गए। पिछले साल स्थानीय कोर्ट से सजा पाए सभी आरोपियों ने सेशन कोर्ट में निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई।

साल 2015 के मार्च महीने की आखिरी तारीख को हुए इस जानलेवा हमले और लूट के मामले में स्थानीय कोर्ट ने एक महिला समेत 10 को दोषी करार देते हुए 9 आरोपियों को एक साल तो एक को 6 माह कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी।

कुछ इस तरह रहा विवाद

इस विवाद के मूल में वीरपुर लच्छी गांव स्थित ढिल्लन स्टोन क्रेशर मालिक सोहन सिंह था। दरअसल गांव की सड़क पर जबरन उपखनिज से लदे वाहन चलाने का विरोध करने पर 1 मई, 2013 को सोहन सिंह ने अपने आदमियों के साथ मिलकर गांव में तांडव मचाते हुए ग्रामीण महिलाओं के साथ जबरदस्त मारपीट की थी।

इस मारपीट में कई ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हुए थे। कई घरों में आगजनी भी की गई थी। समाजवादी लोकमंच व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी सहित कई संगठनों के लोग ग्रामीणों की मदद के लिए आगे आए तो दहशत के साए में जी रहे गांव वालों की घुटती आवाज को जुबान मिली।

आंदोलन पर ग्रामीण (फाइल)

हौसला पाकर ग्रामीणों ने क्रेशर मालिक के खिलाफ लंबे आंदोलन का सूत्रपात किया था। इस आंदोलन की वजह से गांव की सड़क पर उपखनिज लाने वाले डंपरों की आवाजाही ठप्प हो गई थी। जिससे स्टोन क्रेशर को बड़ा नुकसान हो रहा था। इसी वजह से इस आंदोलन के नेता स्टोन क्रेशर स्वामी के निशाने पर थे।

आठ साल पहले हुए था हमला

31 मार्च, 2015 को इसी वीरपुर गांव से रामनगर लौटते समय स्टोन क्रेशर मालिकान के दर्जन भर गुर्गों ने थारी गांव में प्रभात ध्यानी व मुनीष कुमार की मोटर साइकिल रोककर उनपर लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर दिया था। इस घटना में मुनीष कुमार का टेबलेट व प्रभात ध्यानी का मोबाइल फोन भी लूट लिया था। दोनों को घायल अवस्था में रामनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

प्रभात ध्यानी की स्थिति अत्यधिक खराब होने के कारण उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया गया था। मामले में मुनीष कुमार की तरफ से हमला करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था। जहां साढ़े सात लंबी सुनवाई के दौरान कई उतार-चढ़ाव से होता हुआ यह मुकदमा अपनी परिणति तक पहुंचा था।

गांव में प्रशासन से बहस करते ग्रामीण (फाइल)

यह मिली थी सजा

अभियोजन पक्ष के अकाट्य तर्कों, साक्ष्यों और ठोस गवाही की बुनियाद पर न्यायिक मजिस्ट्रेट सिविल जज रामनगर ने अभियुक्तगण प्रीति कौर, करनैल सिंह, जसवीर सिंह, देशराज, शेर सिंह, सुखविन्दर सिंह उर्फ सुक्खी उर्फ सुखवन्त सिंह, देवू सिंह उर्फ देवू उर्फ बलदेव सिंह, मुन्ना सिंह, होरी सिंह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 148, 323, 341 एवं 120 बी के आरोप में दोषी पाते हुए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147 में छः-छः माह के सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपये जुर्माना, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 148 में एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास एवम् 500-500 रुपये जुर्माना, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 में एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपये जुर्माना, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 341 में एक-एक माह के साधारण कारावास एवम् 500-500 रुपये जुर्माना तथा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120 में छः-छः माह के सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपये जुर्माने से तथा अभियुक्त बचन सिंह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120 बी में छः माह के सश्रम कारावास व 500-500 रुपये जुर्माने से दण्डित किए जाने का आदेश सुनाया था।

हालांकि अभियुक्तगण प्रीति कौर, करनैल सिंह, जसवीर सिंह, देशराज, शेर सिह, सुखविन्दर सिंह उर्फ सुक्खी उर्फ सुखवन्त सिंह, देवू सिंह उर्फ देवू उर्फ बलदेव सिंह, मुन्ना सिंह, होरी सिंह को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 392 से दोष-मुक्त किया गया।

सत्र न्यायालय से हुई अपील खारिज

लेकिन सभी सजायाफ्ता लोग इस फैसले के खिलाफ जिला सत्र कोर्ट में अपील पर चले गए थे। जहां सत्र न्यायाधीश सुजाता सिंह की कोर्ट से आरोपियों को कोई राहत नहीं मिल सकी। कोर्ट ने स्थानीय अदालत द्वारा 30 अगस्त 2022 को दिए गए फैसले को ठीक माना। सत्र कोर्ट से सजा की पुष्टि के बाद सभी आठ आरोपियों (एक आरोपी की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी स्वास्थ्य खराब होने के कारण कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ) ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।

फैसले के बाद बोले पीड़ित

न्यायालय का निर्णय आने के बाद प्रभात ध्यानी व मुनीष कुमार ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए इसे संघर्षाें की जीत बताते हुए सभी सहयोगी संगठनों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनका सड़क एवं न्यायालय में संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।

(उत्तराखंड से सलीम मलिक की रिपोर्ट)

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