जिस मामले में गई थी विधायकी, अब उसी में बरी हुए आजम खान, स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला

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समाजवादी पार्टी नेता और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खान को हेट स्पीच केस में बड़ी राहत मिली है। स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनको बरी कर दिया है। जिस मामले में आजम खान की विधायकी गई थी, अब उसी मामले में बरी हो गए हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को बुधवार को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने 2019 के हेट स्पीच मामले में बरी कर दिया है। रामपुर के स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले को पलट दिया। निचली अदालत ने समाजवादी पार्टी के नेता को पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाते हुए की गई टिप्पणी के मामले में हेट स्पीच का दोषी पाया था। आजम ख़ान ने प्रधानमंत्री पर देश में ऐसा माहौल बनाने का आरोप लगाया था जिसमें मुसलमानों को रहना मुश्किल हो गया है।

अक्टूबर 2022 में रामपुर की एक अदालत ने नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में आजम ख़ान को तीन साल कैद और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। उनकी सजा के एक दिन बाद ही यूपी विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने उनकी अयोग्यता और रामपुर सदर सीट के खाली होने की घोषणा कर दी थी। आजम के ख़िलाफ़ उस मामले में वह कार्रवाई हुई थी जिसमें उन्होंने 7 अप्रैल, 2019 को ग्राम खटानगरिया में भाषण दिया था। एफआईआर के अनुसार आजम को हिंदी में कहते हुए उद्धृत किया गया है, ‘मोदीजी, आपने भारत में ऐसा माहौल बनाया है कि मुसलमानों के लिए जीना मुश्किल हो गया है। वे अवसाद में जी रहे हैं।’

चुनावी अभियान के दौरान आजम खां को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, ‘आप (मुसलमान) उन लोगों से बदला लीजिए जो आपको पिल्ला और कुत्ता कहते हैं।’ दरअसल गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से 2013 के एक साक्षात्कार में एक सवाल पूछा गया था कि क्या उन्हें 2002 की हिंसा पर खेद है, इस पर उन्होंने कहा था कि ‘अगर कोई और कार चला रहा है और हम पीछे बैठे हैं, तब भी अगर एक पिल्ला पहिया के नीचे आता है, दर्द होगा या नहीं?’

आजम खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव हुआ। बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने सपा के असीम रजा को हराया। असीम रजा आजम खान के करीबी सहयोगी थे। तो सवाल है कि क्या अब आजम की विधायकी बहाल होगी? अदालत से ताज़ा राहत मिलने के बावजूद आजम ख़ान की विधानसभा सदस्‍यता फिलहाल बहाल होना मुश्किल है, क्योंकि अवैध रूप से मार्ग जाम करने के मामले में मुरादाबाद की एक अदालत ने आजम और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम को इसी साल दो-दो वर्ष की सजा सुनाई है। इसके बाद अब्दुल्ला की भी विधानसभा सदस्‍यता खत्‍म हो गई है।

इस मामले में जब 27 अक्तूबर, 2022 को एमपी-एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल ने अपना फैसला सुनाया था तो उस वक्त आजम खां ने कहा था कि मै आपके इंसाफ का कायल हो गया हूं। यह अधिकतम सजा थी। जमानत मिलती है उसी बिना पर जमानत पर हूं, पर इंसाफ का कायल हूं। अकेला जेल काटकर आया हूं। पांच छह माह कोरोना में रहा। डेढ़ महीने में कई ऑपरेशन हुए। हिम्मत नहीं हारा हूं और अभी दरवाजे बंद नहीं हुए। लड़ाई जारी रहेगी। कानूनी रास्ते खुले हैं।

लेकिन बुधवार के दिन आजम खां निचली अदालत के फैसले के बाद भावुक हो गए और उन्होंने न्यायाधीश से अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि मुझे अदालत से इंसाफ मिला है। आजम खां कोर्ट रूम में दोपहर 12 बजे अपने दोनों बेटों के साथ दाखिल हुए। कोर्ट ने फैसला पढ़कर सुनाया जिसको आजम खां, उनके बड़े बेटे अदीब आजम और अब्दुल्ला आजम ने सुना। आजम खां ने कोर्ट के फैसले पर अपने हस्ताक्षर किए। करीब 20 मिनट रुकने के बाद वह अपने समर्थकों और सपा नेताओं के साथ चले गए।

2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर संसदीय सीट से सपा-बसपा गठबंधन उम्मीदवार आजम ने 7 अप्रैल, 2019 को खाता नगरिया गांव में जनसभा की थी। आरोप है कि आजम खां ने पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह को लेकर टिप्पणी की थी जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था। वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल चौहान ने मिलक कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप पत्र दाखिल किया था।

9 अप्रैल, 2019 को मुकदमा दर्ज हुआ।

17 मार्च, 2020 को पुलिस ने विवेचना के बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद कोर्ट ने संज्ञान लिया।

12 नंबवर, 2021 को आजम खां पर आरोप तय।

इन धाराओं में दर्ज हुए मुकदमें

धारा 153-ए आईपीसी यानी धार्मिक भावनाएं भड़काना।

धारा 505-ए आईपीसी यानी समुदायों में शत्रुता, घृणा पैदा करने के लिए गलत बयानी।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 चुनाव के लिए समुदायों में शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए भाषण देना।

27 अक्टूबर, 2022 को एमपी-एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल में आजम खां को दोषी करार देते हुए तीन साल की कैद और छह हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई।

9 नवंबर, 2022 को आजम खां ने जिला जज की कोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी। उसके बाद कोर्ट ने उनकी अपील को एमपी-एमएलए कोर्ट सेशन ट्रायल में स्थानांतरित कर दिया।

11 मई, 2023 को दोनों पक्षों की बहस पूरी-24 मई 2023 को निचली अदालत का फैसला निरस्त करते हुए आजम खां को बाइज्जत बरी कर दिया। साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आजम खां ने जुर्माने की धनारशि जो कोर्ट में जमा की है वह उसे प्राप्त करने के हकदार हैं।

कोर्ट का फैसला 66 पेज का है जिसमें निचली अदालत के अभियोजन और बचाव पक्ष के द्वारा पेश किए गए गवाहों के बयानों का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट की नजीर और आजम खां और अभियोजन की दलीलों का उल्लेख किया गया है। जबकि निचली अदालत का फैसला 32 पेज का था। जिसमें सभी गवाहों के बयान पुलिस द्वारा पेश किए गए दस्तावेज और सीडी का उल्लेख किया गया है।

सपा नेता आजम खां पर 90 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। जिनका ट्रायल कोर्ट में चल रहा है। 27 महीने तक सीतापुर की जेल में रहने के बाद मई माह में जमानत पर आजम खां बाहर आए थे। उन्होंने 26 फरवरी, 2020 को रामपुर की कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था जिसमें उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. तंजीम फातिमा और अब्दुल्ला आजम भी जेल गए थे। वर्तमान में तीनों जमानत पर चल रहे हैं।

उनके खिलाफ आलियागंज के किसानों ने जमीन कब्जाने के आरोप में 26, यतीमखाना प्रकरण में 12, डूंगरपुर में 12 और आचार संहिता उल्लंघन सहित अन्य मामलों में मुकदमें दर्ज हैं। जिनके ट्रायल कोर्ट में चल रहे हैं। अभी तक एक मामले में कोर्ट का फैसला आया है। 27 अक्तूबर को आजम खां को निचली अदालत ने तीन वर्ष की सजा और छह हजार रुपये जुर्माना लगाया था। 24 मई को यानी बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट सेशन ट्रायल में निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए आजम खां को बरी कर दिया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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