सनातन धर्म की सांस्कृतिक नगरी काशी में नवरात्रि के दिनों में देवियों से पूछा जा रहा है -“वापस लौटेंगी या रेप करवाने तक यहीं रुकेंगी।”
कल (शुक्रवार) से बनारस पर नजर थी इसलिए भी कि लड़कियों का साहसी और मुखर होना भविष्य के प्रति उम्मीद जगाता है।
प्रधानमंत्री जी, आपसे बड़ी उम्मीद थी लेकिन…
प्रधानमंत्री जी का समर्थक न होने के बावजूद इंसानियत और पद की गरिमा के नाते एक उम्मीद सी थी कि आप लड़कियों से मिलेंगे लेकिन आपने कमाल की बेशर्मी दिखाई और हिन्दू संस्कृति के प्रतीक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सिंहद्वार पर खड़ी लड़कियों से मुँह चुराकर रास्ता बदल लिया।
किसका नेतृत्व कर रहे हैं आप। क्या सिर्फ पार्टी पालित गुंडों और लठैतों का।
आप जानते हैं, लड़कियां कितनी मुश्किल से विश्वविद्यालय पहुंचती हैं?
मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और जानती हूँ कि किन मुश्किलों से ये लड़कियाँ विश्वविद्यालय की चौखट तक पहुँच पाती हैं। आप उच्च शिक्षण संस्थाओं पर ऐसा माहौल देंगे तो कैसे पढ़ेंगी बेटियाँ?
सेल्फी विद डॉटर,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और सबसे बड़ा तो नारी के सम्मान में बीजेपी मैदान में.प्रधानमंत्री जी ये सारे स्लोगन किस देश की महिलाओं और बेटियों को ध्यान में रखकर गढ़े गए थे.चन्द गुण्डों और मवालियों से त्रस्त बच्चियाँ सड़क पर खड़ी आपकी बाट जोहती रहीं और आप अपने सुविख्यात छप्पन इंची सीने के साथ मुँह चुराकर चलते बने,इन बच्चियों को आश्वस्त करने तक की हिम्मत नही जुटा सके?
कहां गया आपका एंटी रोमियो स्क्वायड?
आपका एंटी रोमियो स्क्वायड जिसकी एक जमाने मे बड़ी तारीफ़ सुनी थी क्या सिर्फ प्रेमी जोड़ों को उठक बैठक लगवाने के लिए ही बना है।
गुण्डे मवालियों पर आपका कोई जोर नही चलता लेकिन प्रोटेस्ट के लिए खड़ी लड़कियों के लिए आप बीस तरह की फोर्स इकट्ठी कर लेते हैं।
आपके ट्विट का इंतज़ार
मैं जानती हूँ आपके समर्थक आकर मुझे पाकिस्तान चले जाने की सलाह देने आते ही होंगे पर मैं आपको बताना चाहती हूँ कि यह मेरा देश है मैं यहीं रहना चाहती हूँ पूरी सुरक्षा के साथ।
लड़कियों ने,औरतों ने आपको वोट किया था,आपको सिर आँखों पर बिठाया था। आप उन्हें न शिक्षा दे पा रहे हैं न सुरक्षा और तो और आप उनसे मिलकर उनकी बात तक नही सुन पा रहे। आप अपनी जनता से इतना दूर और गुण्डों के इतना करीब क्यों हैं।
सवाल और भी हैं लेकिन फिर कभी।
मैं चाहती हूँ कि आप लड़कियों से न मिलने के लिए शर्मिन्दा हों और इस शर्मिंदगी की जानकारी हम सबको अपने ट्विटर एकाउंट पर दीजिए।
(मधुलिका चौधरी की फेसबुक वॉल से। मधुलिका जी महिला और सामाजिक विषयों पर लगातार लिख रही हैं।)