पंजाब के राज्यसभा सांसद और पूर्व पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने खुद को सर्व शक्तिमान मानने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुली बगावत कर दी है। इससे पंजाब कांग्रेस में घमासान उफान पर आ गया है। वैसे बाजवा और अमरिंदर में पुरानी प्रतिद्वंदिता है लेकिन इतनी ‘तीखी जंग’ का मंजर पहली बार दरपेश हुआ है। अब यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राज्य कांग्रेस में बड़ा कद रखने वाले प्रताप सिंह बाजवा की खुली बगावत साफ बताती है कि आने वाले दिनों में कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुश्किलें यकीनन बढ़ेंगीं। इसलिए भी कि पंजाब में तो उनका अपना खेमा है ही, आला कमान के कुछ असरदार लोगों का हाथ भी उन पर है।
दरअसल, 2013 में प्रताप सिंह बाजवा ने जब राज्य कांग्रेस की लुंज-पुंज इकाई की कमान बतौर प्रधान हाथों में ली तो कैप्टन अमरिंदर सिंह धड़े ने उनके खिलाफ पहले दिन से ही मोर्चा खोल दिया। पहले तो कैप्टन ने पर्दे के पीछे रह कर खेमेबाजी को हवा दी और बाद में खुलेआम बाजवा के खिलाफ मोर्चा लगा लिया। अंततः 2015 में कैप्टन, प्रताप सिंह बाजवा को हटाकर ही माने और खुद प्रधान बन गए। बाजवा के साथ उनके करीबी लोग भी हाशिए पर डाल दिए गए। लेकिन प्रताप सिंह बाजवा के कद, कांग्रेस हाईकमान के कुछ असरदार लोगों से रिश्तों और कलह रोकने के लिए आखिरकार उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। उनके कुछ लोगों को भी ‘एडजस्ट’ किया गया। पर बाद में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके सीधे इशारे पर पंजाब की अफसरशाही ने प्रताप सिंह बाजवा और उनके खेमे की खुली अवहेलना शुरू कर दी।
बाजवा ने आलाकमान से कई बार शिकायत की तो दिल्ली से मुख्यमंत्री को आगाह किया गया लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह बेपरवाह बने रहे। उन्होंने अपमानित करने की हद तक अपनी ही पार्टी के राज्यसभा सांसद की उपेक्षा का सिलसिला जारी रखा और अंततः प्रताप सिंह बाजवा ने अब खुली बगावत की राह अख्तियार कर ली।
आलोचनात्मक टिका-टिप्पणियों के बाद एक विशेष टीवी इंटरव्यू में प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर काफी तीखे सवाल खड़े करते हुए पंजाब को ‘कैप्टनमुक्त कांग्रेस’ बनाने की बात जोर देकर कह डाली। इससे पंजाब कांग्रेस में जबरदस्त बवाल मच गया। जवाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह का लगभग समूचा मंत्रिमंडल प्रताप सिंह बाजवा के खिलाफ खड़ा हो गया। चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री की अगुवाई में हुई मंत्रिमंडल बैठक में कई मंत्रियों ने बाजवा की कड़ी निंदा करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर करने की बात कही। यहां तक कहा कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा विपक्ष के साथ मिलकर कैप्टन सरकार को गिराना चाहते हैं। वह महत्वाकांक्षा के साथ-साथ बाकायदा सियासी साजिश के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ सक्रिय हैं। ऐसा पहली बार है कि मंत्रिमंडल की बैठक में अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद के खिलाफ इस किस्म की बातें की जाएं।
खैर, उधर प्रताप सिंह बाजवा अपने अमरिंदर विरोधी रुख पर न केवल कायम हैं बल्कि उन्होंने अपने तेवर और कड़े कर लिए हैं। वह कहते हैं, “मैं अपनी कही हर बात पर कायम हूं और मुख्यमंत्री से खुली बहस के लिए तैयार हूं। किसी से डरने वाला नहीं।” तय है कि बाजवा-कैप्टन की नई जंग नए गुल खिलाएगी और यकीनन कांग्रेस को बड़ा नुकसान भी देगी।
(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल जालंधर में रहते हैं।)