भारत के बारे में पूरी दुनिया में मशहूर हो गया है कि यहां कानून बाद में बनते हैं, पर उनसे बच निकलने के रास्ते पहले से ही खोज लिए जाते हैं, अथवा यह कहा जा सकता है कि उसमें इतने झोल छोड़ दिए जाते हैं कि उनका दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है। इसी तरह का एक कानून है दलबदल विरोधी कानून, जिसकी नयी परिभाषाएं लिखी जा रही हैं। दलबदल कानून के इसी तरह के दुरुपयोग पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने येदियुरप्पा की भाजपा सरकार को जोर का झटका दिया है।
विधान परिषद के भाजपा सदस्य एएच विश्वनाथ को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि दलबदल कानून के तहत सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए मनोनीत एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता। चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक और जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने वकील एएस हरीश की याचिका पर उक्त आदेश पारित किया है। याचिका में कहा गया था कि विश्वनाथ को संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत मई-2021 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य घोषित किया गया है।
खंडपीठ से अन्य दो विधान पार्षदों आर शंकर और एमटीबी नागराज को अदालत से राहत मिल गई है। खंडपीठ ने कहा कि दोनों के विधान परिषद में निर्वाचित होने के कारण उनकी अयोग्यता अब लागू नहीं होगी, जबकि विश्वनाथ को नामांकित किया गया था। अर्जी पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि पहली नजर में यह तय नहीं होता है कि आर शंकर और एन नागराज अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं। हम मानते हैं कि एएच विश्वनाथ अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं।
पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वनाथ को अयोग्य ठहराए जाने के तथ्य को ध्यान में रखना होगा। खंडपीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सिफारिश किए जाने की स्थिति में राज्यपाल को विश्वनाथ को अयोग्य घोषित किए जाने के तथ्य पर विचार करना होगा। आवेदक वकील ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ, शंकर और नागराज को पिछले दरवाजे से विधान परिषद में प्रवेश दिया गया है, ताकि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सके, जबकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से अपनी-अपनी सीटों से उपचुनाव में हार गए थे। याचिका में दावा किया गया है कि शंकर ने तो उपचुनाव में हिस्सा भी नहीं लिया।
दरअसल एमएलसी विश्वनाथ, शंकर और नागराज उन 17 विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एचडी कुमारस्वामी नीत तत्कालीन जद (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी। शंकर और नागराज कांग्रेस के जबकि विश्वनाथ जद (एस) के टिकट पर चुनाव जीते थे।
अयोग्य ठहराए जाने के बाद तीनों भाजपा में शामिल हो गए। दिसंबर 2019 में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़े विश्वनाथ हार गए थे, जिसके बाद उन्हें मनोनीत एमएलसी बनाया गया, ताकि उन्हें मंत्री बनाकर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा अपना वादा पूरा कर सकें। येदियुरप्पा ने कहा था कि भाजपा सरकार बनाने में मदद करने वाले विधायकों को मंत्री पद दिया जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)