Thursday, April 18, 2024

उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार में बीजेपी ने तोड़े ड्राइवर बदलने के रिकॉर्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल देहरादून में हुई सभा उत्तराखंड के लिए कोई उम्मीद जगाने वाली सभा नहीं थी। भाजपा के लिए इसका जो भी मायने हो, लेकिन उत्तराखंड के लिए यह निराशाजनक ही रही। जो कुछ प्रधानमंत्री ने कहा वह एक नीरस, उबाऊ बजट भाषण जैसा था। 

गढ़वाली में बोलने का चुनावी पैंतरा इतना घिस-पिट गया है कि प्रधानमंत्री के भाषण के बारह घंटे पहले से सोशल मीडिया पर लोग, शब्दशः घोषणा कर चुके थे कि प्रधानमंत्री ऐसा बोलेंगे ! 

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश की कर्मभूमि है। लेकिन बीते पाँच साल में उनके डबल इंजन ने एक ही कर्म किया और वो कर्म है- मुख्यमंत्री बदलते रहने का। पाँच साल पहले मोदी जी उत्तराखंड में विकास के लिए डबल इंजन की सरकार बनाने का आह्वान कर गए थे। उत्तराखंड ने उनकी बात पर भरोसा किया और उनके डबल इंजन में पाँच साल में केवल ड्राइवर ही बदलते रहे। 

पाँच साल में उपलब्धियों का इस कदर टोटा है कि एक ही सड़क के तीन टुकड़ों का अलग-अलग लोकार्पण प्रधानमंत्री को करना पड़ा ! जिस एक ही सड़क के निर्माण का लोकार्पण प्रधानमंत्री ने किया, वो चार धाम परियोजना वर्षा ऋतु में विनाशकारी सिद्ध हुई। प्रधानमंत्री भूस्खलन के कम होने का दावा करते रहे, लेकिन हकीकत यह है कि बनी-बनाई सड़क को चौड़ा कर, उसे चार धाम परियोजना नाम देने के इस कारनामे में भू स्खलन के सैकड़ों नए स्थल पैदा कर दिये हैं, जहां लोगों ने प्राण भी गँवाये।   

बीते पाँच सालों में रोजगार सृजन के सारे रास्ते बंद कर दिये गये, यहां तक कि पीसीएस की परीक्षा तक नहीं हुई। चुनाव नजदीक देख कर युवाओं की आँखों में धूल झोंकने के लिए अब प्रतियोगी परीक्षाएं करवाई जा रही हैं, जबकि कभी भी चुनावी आचार संहिता लग सकती है। 

उद्योगों से युवाओं को बेरोजगार किया जा रहा है।लेकिन सरकार खामोश बैठी है।  पंतनगर की एचपी फैक्ट्री इसका उदाहरण है। उपनल, संविदा, आउटसोर्सिंग के नाम पर बेरोजगार युवाओं का शोषण हो रहा है और कोढ़ में खाज यह कि राज्य सरकार ने रोजगार कार्यालयों को भी आउटसोर्सिंग एजेंसी बनाने का फैसला ले लिया है।  

नियमितीकरण के लिए उसी परेड ग्राउंड के आसपास पीडबल्यूडी के संविदा इंजीनियर से लेकर कई अन्य बेरोजगार और अर्द्ध बेरोजगार आंदोलनरत हैं। यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री की सभा के चलते इस इलाके में धारा 144 लगा कर ऐसे सारे प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर दिया। इस सरकार का फॉर्मूला रोजगार देना नहीं बल्कि रोजगार की मांग करने वाले के प्रदर्शनों को छुपाना है। 

 आज के अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर छपे विज्ञापन का पाठ एक तरह से प्रधानमंत्री ने भाषण के रूप में कर दिया। उत्तराखंड को विज्ञापन रूपी भाषण और भाषण रूपी विज्ञापन से स्वयं को बाहर निकालना होगा और अपने वास्तविक सवालों पर संघर्ष में उतरना होगा। 

(पीएम के भाषण पर भाकपा माले नेता इन्द्रेश मैखुरी की टिप्पणी।) 

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