Thursday, April 25, 2024

मणिपुर: बीजेपी से जुड़े ड्रग माफिया को बचाने के लिए भाजपाई मुख्यमंत्री ने लड़ा दी पूरी जान

भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा पूरी तरह जनता के सामने आ गया है। 2017 के मणिपुर विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस (28) से कम सीटें जीतने के बावजूद भाजपा (21) की सरकार जोड़ घटाकर राज्यपाल की कृपा से बनवा दी गयी अब यही घटियापन भाजपा के लिए बदनामी का सबब बनता जा रहा है। मणिपुर के भाजपाई मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और भाजपा के एक टॉप नेता विवादों में फंस गए हैं। उनके ऊपर छापेमारी में पकड़े गए ड्रग माफिया को छोड़ने के लिए स्टेट नार्कोटिक्स एंड अफेयर ऑफ बॉर्डर ब्यूरो के अधिकारी पर दबाव बनाने का आरोप है। यह आरोप हवाई नहीं है। बल्कि एनएबी की एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस थाउना ओजम बृंदा ने इंफाल हाई कोर्ट में दिए गए शपथपत्र में कहा है।

आरोप है कि जून 2018 में डिपार्टमेंट ने एक छापे मारी के दौरान ड्रग्स बरामद की थीं। इस छापेमारी में पकड़े गए आरोपी को छोड़ने के लिए बीरेन सिंह और भाजपा के नेता ने एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस थाउनाओजम बृंदा के ऊपर दबाव बनाया। इस शपथपत्र के लीक होने के बाद राज्य में बीरेन सिंह पर विपक्ष हमलावर हो गया है।

गौरतलब है कि मणिपुर (2017) में भाजपा ने 60 में से 21 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को 28 सीटें मिलीं। लेकिन भाजपा ने दो स्थानीय दलों नेशनल पीपुल्स पार्टी और नागा पीपुल्स फ्रंट और अपने सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के एक अकेले विधायक को लेकर सरकार का दावा कर दिया। भाजपा की पूर्व सांसद और राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने सरकार बनाने के लिए सबसे पहले भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को आमंत्रित किया और फिर उसी की सरकार बनवा दी।

ड्रग्स रेड के इस मामले में विभाग ने 28 करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स और कैश सीज किया था। इस मामले के मुख्य आरोपी लुखाउसी जू था। शपथपत्र में बताया गया है कि वह चंदेल जिले का एक स्थानीय भाजपा नेता भी था। उसे छोड़ने के लिए सीएम ने अधिकारी पर दबाव बनाया।

बृंदा ने अपने शपथपत्र में कहा है कि एनएबी ने उनके अंडर में इंफाल में कई छापेमारी कीं। गैर कानूनी ड्रग्स के धंधे को लेकर गिरफ्तारियां की गईं। कैश और ड्रग्स भी बरामद किए। इसी कड़ी में 19-20 जून 2018 की रात को उनकी टीम छापेमारी करने गयी। इस छापेमारी में हेरोइन समेत जो ड्रग्स बरामद की गई उनकी इंटरनेशनल मार्केट में कीमत 28 करोड़ 36 लाख 68 हजार रुपये थी।

शपथपत्र में कहा गया है कि इस छापेमारी में जो गिरफ्तारी की गई उससे राजनीति में हलचल मच गई। आरोपी चंदेल जिले के 5 वीं स्वायत्त जिला परिषद का चेयरमैन था। वह कांग्रेस के टिकट पर जून 2015 में चेयरमैन बना था। सितंबर 2015 में वह फिर से चेयरमैन बना और बाद में अप्रैल 2017 में वह भाजपा में शामिल हो गया। बृंदा का आरोप है कि इस गिरफ्तारी के बाद उनके और उनके विभाग पर इस केस को दबाने के लिए बहुत दबाव डाला गया।

बृंदा के अनुसार उस शाम को गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक ने हमें बताया कि लुखोसी झोउ के ड्राइवर के पास ड्रग्स है। जब हम उसकी तलाश में गए, तो लुखोसी झोउ ने कहा कि उसका ड्राइवर गुवाहाटी में है। उसने हमें उसके घर की तलाशी लेने से मना कर दिया। हमने उस शाम व्यापक खोज करके लुखोसी झोउ के ड्राइवर को पकड़ लिया। उसने लुखोसी झोउ के निवास पर ड्रग्स होने की सूचना दी। जब हम वापस गए तो लुखोसी झोउ ने हमें तलाशी लेने से मना कर दिया। एनएबी के स्टाफ और लुखोसी झोउ के साथियों के बीच हाथापाई हुई। हमने आखिरकार उसके घर की तलाशी ली और ड्रग्स बरामद किया।

मार्च 2019 में लुखोसी झोउ को जमानत मिल गई। वह बॉर्डर पार करके म्यांमार भाग गया। 

इस साल फरवरी में उसने इंफाल हाईकोर्ट में सरेंडर किया। बृंदा ने इंफाल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार और जज के खिलाफ भी पिछले महीने शिकायत दर्ज कराई थी। उसने जज के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी लिखा था। इस मामले में उन्हें एक नोटिस मिला, जिसके बाद बृंदा ने अपना शपथपत्र कोर्ट में दिया।

लुखोसी झोउ की गिरफ्तारी को विस्तृत करते हुए थुनाओजम बृंदा ने कहा कि 19 जून, 2018 की रात को नारकोटिक्स और सीमा मामलों की पुलिस (एनएबी) की अगुवाई में उसने सात अन्य लोगों के साथ उसे गिरफ्तार किया था और 4.580 किलोग्राम हेरोइन, 2,80,200 “वर्ल्ड इज योर” टैबलेट, 57.18 लाख रुपये नकद, 95,000 रुपये की पुरानी करेंसी जब्त किया था। जब्ती के तुरंत बाद थुनाओजम बृंदा को राज्य में भाजपा के उपाध्यक्ष मोइरांगथे अशनीकुमार से एक व्हाट्सएप कॉल आया, जिसके फोन पर सीएम ने बात की थी।

बृंदा ने अपने हलफनामे में कहा, “उनके क्वार्टर में ड्रग्स पाए जाने के बाद, उन्होंने मुझे पुलिस महानिदेशक और सीएम को फोन करने की अनुमति देने के लिए कहा, जिसकी मैंने अनुमति नहीं दी थी। तब अशनीकुमार मेरे आवास पर आया, वह गुस्साए मूड में था, उसने मुझे बताया कि गिरफ्तार एडीसी सदस्य चंदेल सीएम की पत्नी ओलिस का दाहिना हाथ है और ओलिस गिरफ्तारी को लेकर गुस्से में है। उन्होंने मुझे बताया कि सीएम ने आदेश दिया था कि झोउ का उसकी पत्नी या बेटे के साथ आदान-प्रदान किया जाए और उन्हें रिहा किया जाए। मैंने उसे बताया कि यह कैसे संभव है क्योंकि नशीली दवाइयां तो उससे जब्त किया गया था न कि उसकी पत्नी या बेटे से। मैंने बताया कि अशनीकुमार मैं उस आदमी को नहीं छोड़ सकती और उसके बाद वह चला गया”।

उन्होंने कहा कि “अशनीकुमार ने उन्हें फिर से कहा कि, वह उस आदमी को छोड़ दे क्योंकि उनके मना करने से सीएम और उनकी पत्नी बहुत क्रोधित हैं। उन्होंने एक बार फिर से उसे छोड़ देने का आदेश दिया। मैंने उनसे कहा कि मैं झोउ को नहीं छोड़ूंगी और जांच और अदालत को एडीसी अध्यक्ष की दोषी का फैसला करने दूंगी, पूरे गवाह के साथ पूरे ऑपरेशन में 150 से अधिक कर्मचारी मौजूद थे। मैंने पूछा कि मैं पूरी टीम और जनता को कैसे जवाब दूंगी, वह फिर से चला गया लेकिन तीसरी बार वापस लौटा और मुझे बताया कि सीएम और ओलिस इस बात पर अड़े थे कि मैं किसी भी हालत में उसे छोड़ दूं”।

हलफनामा में आगे कहा गया है कि मैं एसपी के साथ, एनएबी पुलिस मुख्यालय में महानिदेशक के कमरे में बैठक के लिए गई थी। वहां डीजीपी ने मामले की चार्जशीट के बारे में पूछताछ की। मैंने उनसे कहा कि यह अदालत में पहुंच गया है। उन्होंने हमें बताया कि सीएम साहब चाहते हैं कि चार्जशीट कोर्ट से हटा दी जाए। मैंने डीजी से कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि आरोपपत्र पहले से ही अदालत में है। डीजी ने कहा कि यह सीएम का आदेश है कि इसे कोर्ट से हटा दिया जाए। तब महानिदेशक ने एसपी, एनएबी, और मुझे अदालत से चार्जशीट हटाने का आदेश दिया। उस शाम बाद में, एसपी, एनएबी कार्यालय में वापस आई और मुझे अपने कमरे में बताया कि वह सीएम से मिलने के बाद वापस आए थे और सीएम को इस बात के लिए मना कर दिया गया था कि चार्जशीट अभी भी अदालत से नहीं निकाली गई है।

1 जनवरी, 2019 को, विशेष न्यायाधीश, एनडीपीएस, युक्खम रॉदर ने पुलिस महानिदेशक और सचिव, बार काउंसिल ऑफ मणिपुर को संबोधित एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि इम्फाल पश्चिम के तत्कालीन एसपी और वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रजीत शर्मा कथित तौर पर आए थे। और उनके कार्यालय में विशेष लोक अभियोजक टी बिपिनचंद्र से मुलाकात की और मामले के जांच अधिकारी को झोउ के खिलाफ आरोप पत्र वापस लेने के लिए कहा। बृंदा ने कहा है कि अगले दिन सीएम ने उसे और अन्य पुलिस अधिकारियों को सुबह अपने बंगले पर मिलने के लिए बुलाया था। वहां उन्होंने मुझे यह कहते हुए डांटा कि क्या मैंने तुम्हें वीरता पदक दिया है। मुझे आज भी समझ में नहीं आता है कि हमें उस दिन अपने विधिपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए क्यों फटकार लगाई गई थी।

गौरतलब है कि म्यांमार और थाईलैंड की सीमाएं मणिपुर राज्य से जुड़ी होने के कारण इन देशों से नशे का कारोबार खूब बढ़-चढ़ कर होता है। यही कारण है कि इस राज्य से ड्रग्स, कोकीन जैसे नशे की भारी मात्रा में पकड़े जाने की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि करीब 50 हजार लोग नशे की चपेट में हैं, और इनमें आधे से ज्यादा ड्रग्स, कोकीन के शिकार हैं। मणिपुर में ड्रग तस्करी की स्थिति को केवल एक तथ्य से समझा जा सकता है। वहां सेना के एक कर्नल भी ड्रग तस्करी में पकड़े जा चुके हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles