महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ वसूली के आरोपों की जांच के लिए पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की अर्जी पर बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान परमबीर सिंह के वकील विक्रम नानकानी ने सीबीआई को जांच सौंपने की मांग की तो चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने एफआईआर की अनुपस्थिति में गृह मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश देने के लिए अपनी असहमति व्यक्त की है।
चीफ जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कहा कि आप चाहते हैं कि बिना सहमति के हम इसकी जांच का सीधे आदेश दे दें? वह भी बिना किसी एफआईआर के। उन्होंने पूछा कि हमें एक ऐसा मामला बताएं जिसमें एफआईआर नहीं हुई हो और वह केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया हो। खंडपीठ ने दलीलों के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार देर शाम इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अध्यक्षता में हाई लेवल कमेटी बनाई। यह कमेटी अगले 6 महीने में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस मामले में दो चीजों को देख रहे हैं, क्या यह जनहित याचिका सुनवाई के योग्य है और क्या अदालत बिना एफआईआर के कोई आदेश दे सकती है? अगर आप हमसे कोई अंतरिम राहत चाहते हैं तो आपको इन बिंदुओं पर हमें संतुष्ट करना होगा। आप एक पुलिस अधिकारी हैं तो आपके लिए कानून का पालन जरूरी नहीं है क्या? पुलिस अधिकारी, मंत्री और राजनेता क्या कानून से ऊपर हैं? अपने आप को कानून से ऊपर समझने की भूल न करें। अगर आपके सामने कोई गुनाह हो रहा है और आप एफआईआर दर्ज नहीं करवाते, इसका मतलब आप अपना फर्ज नहीं निभा रहे हैं।
परमबीर के वकील: नानकानी ने सुनवाई के दौरान पूर्व कमिश्नर इंटेलीजेंस रश्मि शुक्ला द्वारा महानिदेशक पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने डीजी द्वारा एडिशनल होम सेक्रेटरी को लिखे पत्र को भी अदालत में पढ़ा। नानकानी ने कहा कि यह आरोप मुंबई पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी द्वारा लगाए गए हैं। निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंपा ही जाना चाहिए।
महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि ऐसी अर्जियां सुनवाई लायक नहीं होतीं। मैं इस संबंध में आपको कुछ जजमेंट दिखाऊंगा। हमें इस संबंध में कानून से चलना चाहिए। मीडिया में जिन आरोपों की चर्चा है हम उन्हें साफ करना चाहते हैं।
परमबीर सिंह का कहना है कि गृह मंत्री देशमुख ने निलंबित एपीआई सचिव वझे को 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था। परमबीर सिंह का दावा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी ये बात बताई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। परमबीर ने अपने ट्रांसफर के आदेश को भी चुनौती दी है। उनका कहना है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अफसर रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट की जांच की जानी चाहिए। परमबीर का दावा है कि गृह मंत्री देशमुख सचिन वझे के साथ अपने बंगले पर लगातार बैठक कर रहे थे। इसी दौरान 100 करोड़ कलेक्शन का टारगेट दिया गया था। परमबीर ने देशमुख के बंगले के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने की मांग भी की है।
महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह को मुंबई के पुलिस कमिश्नर पद से हटाकर होमगार्ड का डीजी बनाया है। उन पर सचिन वझे को प्रोटेक्शन देने का आरोप है। कारोबारी मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो में विस्फोटक मिलने के मामले में वझे को गिरफ्तार किया गया है।
दरअसल अपने ‘लेटर बम’ से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल लाने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमजीत सिंह बॉम्बे हाई-कोर्ट में गए तो इसलिए थे कि गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच हो, लेकिन वह खुद ही कोर्ट में ऐसे फंसे कि जवाब देते तक नहीं बना। कोर्ट ने यह तक पूछ दिया कि क्या आप कानून के ऊपर हैं? हाई-कोर्ट ने फटकार लगाई कि आप जैसा एक सीनियर पुलिस अफसर तक तय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा। जज ने पूछा कि आपने देशमुख के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करवाई? अगर शिकायत नहीं दर्ज होती तो मैजिस्ट्रेट के पास जाते, आप हाईकोर्ट को मैजिस्ट्रेट कोर्ट में नहीं बदल सकते। सिंह के वकील को अदालत में जवाब देते नहीं बना।
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर एक स्कॉर्पियों में जिलेटिन की रॉड मिलने, स्कॉर्पियो मालिक की बाद में हत्या होने और इस सिलसिले में पुलिस अधिकारी सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद परमजीत सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर की कुर्सी गंवानी पड़ी। ट्रांसफर होने के बाद परमबीर ने सीएम उद्धव ठाकरे को लिखे खत में आरोप लगाया कि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने वझे को हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली का टारगेट दिया था। उनके इस ‘लेटर बम’ से ऐसा सियासी विस्फोट हुआ कि उद्धव सरकार के भविष्य को लेकर ही तमाम तरह की अटकलें लग रही हैं। कथित ‘वसूली कांड’ की सीबीआई जांच के लिए परमबीर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन कोर्ट ने उन्हे हाई-कोर्ट भेज दिया।
दरअसल मुंबई में मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी एक कार बरामद हुई थी. जिसकी जांच शुरू हुई तो आरोप मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के चीफ सचिन वझे पर लगे। वझे की गिरफ्तारी हुई। इस मामले के सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार की जमकर आलोचना हुई। इस आलोचना के बीच सरकार ने एक्शन लेते हुए मुंबई के पुलिस कमिश्नर पर काबिज परमबीर सिंह को हटा दिया।
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