Friday, April 19, 2024

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर वरवर राव की अस्थाई जमानत तीन महीने बढ़ाई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को तेलुगु कवि और भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद के आरोपी पी वरवर राव को स्थायी मेडिकल बेल देने से इनकार कर दिया। हालांकि अदालत ने उनके मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए अस्थायी जमानत की अवधि तीन महीने बढ़ा दी और मुकदमे में तेजी लाने के निर्देश जारी किए। कोर्ट ने उन्हें तेलंगाना में उनके घर पर रहने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया।

जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस जीए सनप की खंडपीठ ने दो रिट याचिकाओं और राव द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर अपनी बीमारियों और मुंबई में किराए पर रहने की उच्च लागत को देखते हुए जमानत या स्थायी जमानत के विस्तार के लिए आदेश पारित किया। खंडपीठ ने अपने फैसले का ऑपरेटिव भाग सुनाया, “स्थायी जमानत की मांग करने वाली याचिका खारिज की जाती है। अस्थायी जमानत तीन महीने के लिए बढ़ा दी जाती है। हैदराबाद में रहने की अनुमति नहीं दी जाती है। जमानत की अस्थायी अवधि केवल मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए बढ़ाई जाती है”।

खंडपीठ ने यह भी कहा कि उसने पड़ोसी नवी मुंबई में स्थित तलोजा जेल में चिकित्सा सुविधाओं की कमी और वहां साफ-सफाई की खराब स्थिति पर राव के वकील आनंद ग्रोवर के कई दावे सही पाए। अत: उसने महाराष्ट्र के कारागार महानिरीक्षक को खासतौर से तलोजा जेल में ऐसी सुविधाओं की स्थिति पर ‘स्पष्ट’ रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।खंडपीठ ने आईजी को इस साल 30 अप्रैल तक रिपोर्ट अदालत को सौंपने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि आईजी कारागार यह सुनिश्चित करें कि अब से कैदियों को राज्य भर की जेलों में अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं पर शिकायत करने की वजह न मिले। खंडपीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत से एल्गार परिषद मामले में सुनवाई तेज करने और दैनिक आधार पर सुनवाई करने को कहा।

एक फरवरी, 2021 को हाईकोर्ट ने 82 वर्षीय कवि को कड़ी शर्तों के साथ छह महीने के लिए जमानत दे दी थी। इन शर्तों में एक यह थी कि राव को मुंबई में विशेष एनआईए कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को छोड़ने की इजाजत नहीं होगी। पीठ ने पाया कि वृद्ध का निरंतर कारावास उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। अदालत ने उन्हें अस्थायी जमानत देते हुए कहा था कि मानवीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए तलोजा जेल अस्पताल में अधिक उम्र और अपर्याप्त सुविधाओं को देखते हुए हमारी राय है कि यह राहत देने के लिए एक वास्तविक और उपयुक्त मामला है। अन्यथा हम मानवाधिकारों के रक्षक के रूप में हमारे संवैधानिक कर्तव्य और अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार के उल्लंघन के उत्तरदायी होंगे।

राव के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने तर्क दिया कि अपने पहले से मौजूद न्यूरोलॉजिकल मुद्दों के साथ राव मस्तिष्क के उस हिस्से में धमनी रुकावटों के कारण लैकुनर इंफार्क्ट्स (मृत मस्तिष्क ऊतक) से पीड़ित हैं, जो मस्तिष्क के बुद्धि, स्मृति और दृश्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित है। वह पार्किंसंस के शुरुआती लक्षण भी प्रदर्शित कर रहा है। अपनी याचिका में राव ने कहा कि उनका दामाद एक न्यूरोसर्जन है। उसका अपना नर्सिंग होम है। उनकी सबसे बड़ी बेटी तेलंगाना सरकार में नेत्र रोग अधिकारी है। साथ ही उनकी पोती ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में उनकी तीन बेटियां और पोती चौबीसों घंटे उन्हें सहायता प्रदान करेंगे।

ग्रोवर ने आगे आशंका व्यक्त की कि अगर राव को जेल में रखा गया तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है। बॉम्बे हाईकोर्ट में एनआईए के एसपी विक्रम खलाटे द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि तलोजा सेंट्रल जेल “सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधाएं” प्रदान करता है, इसलिए तेलुगु कवि को आत्मसमर्पण करना चाहिए। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने प्रस्तुत किया कि राव के हैदराबाद में रहने के अनुरोध पर पहले की पीठ ने विचार किया है, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। शुरुआत में उन्हें छह महीने का समय दिया गया था, जो अगस्त, 2021 में खत्म हो गया। उन्होंने एक निजी अस्पताल से राव के स्वास्थ्य पर नवीनतम सारांश रिपोर्ट पर भी भरोसा करते हुए कहा कि उनकी हालत स्थिर है।

दरअसल एनआईए ने राव और 14 अन्य कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्हें मुख्य रूप से उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से प्राप्त पत्रों/ईमेल के आधार पर कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। एक आपराधिक साजिश के हिस्से के रूप में एनआईए ने आरोप लगाया कि एल्गार परिषद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में किया गया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम में भड़काऊ भाषणों ने अगले दिन भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा को बढ़ाया। आरोपियों ने दावा किया कि उनमें से अधिकांश ने इस कार्यक्रम में भाग नहीं लिया या एफआईआर में उनका नाम नहीं है।

इस मामले में केवल एक अन्य आरोपी वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। 13 अन्य अभी भी महाराष्ट्र की जेलों में बंद हैं। फादर स्टेन स्वामी की पिछले साल पांच जुलाई को अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर जमानत का इंतजार कर रहे थे। अन्य आरोपी विचाराधीन कैदी के तौर पर जेल में बंद हैं।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।