गुना में बंधुआ मजदूर को मिट्टी के तेल से जलाकर मार डाला

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मध्य प्रदेश में एक बंधुआ मजदूर को केरोसिन डालकर जलाने की लोमहर्षक घटना सामने आयी है। मामला गुना के उखावद खुर्द गांव का है। घटना को अंजाम मजदूर के मालिक ने दिया है जिसने उसे काफी दिनों से बंधुआ बना कर रखा हुआ था। मामला प्रकाश में आने के बाद इलाके में रोष है। 

विजय सहारिया पुत्र कल्लू सहारिया, उम्र 26 वर्ष, निवासी ग्राम छोटी उखावाद खुर्द, तहसील बमोरी, जिला गुना, मध्यप्रदेश एक बंधुआ मजदूर के रूप में पिछले 3 साल से राधेश्याम पुत्र चिरंजीलाल लोधा के खेत पर खेतिहर मजदूर के रूप में कार्यरत था। राधेश्याम जो कि विजय का मालिक था और वह भी छोटी उखवाद खुर्द गांव में रहता था। राधेश्याम खेत का मालिक था और वह विजय से जबरदस्ती काम लेता था। कल दिनांक 6 नवंबर, 2020 को मजदूर विजय ने अपने मालिक राधेश्याम से निवेदन किया कि वह अपने घर जा रहा है। किंतु राधेश्याम ने विजय को जाने से मना किया। उसके बाद विजय ने राधेश्याम से अपनी मजदूरी मांगी और घर जाने की बात कही। इस बात पर राधेश्याम आग बबूला हो गया और उसने विजय पर मिट्टी का तेल डालकर उसको जला दिया।  बुरी तरह झुलस चुके विजय सहारिया की दिनांक 7 नवंबर, 2020 को गुना के जिला अस्पताल में मौत हो गई। 

मरने से पहले पीड़ित विजय सहारिया ने एक वीडियो में अपना बयान रिकॉर्ड करवाया है। जिसमें उसने अपने मालिक राधेश्याम लोधा द्वारा जलाकर मारने की बात कही है। 

विजय सहारिया बंधुआ मजदूर के परिवार का हो उचित पुनर्वास

बंधुआ मुक्ति मोर्चा, गुना के जिला संयोजक नरेंद्र भदौरिया कहते हैं, “राधेश्याम जिसके यहां विजय सहारिया काम करता था रात के वक्त विजय ने उसके यहां काम पर जाने से मना किया तो फोन करके राधेश्याम ने उसे मंदिर के पास बुलाया और धोखे से मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। इस क्षेत्र में बहुत दबंगई होती है। आदिवासी सहारियों के साथ और राजनीतिकरण के चलते उन दबंगों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। उस शख्स कि इतनी हिम्मत पड़ गई कि वह एक आदमी को बुलाता है और मिट्टी का तेल डालकर उसे जला देता है। ऊपर से पूरा सबूत भी मिटा देता है। और प्रशासन ख़बर लेने तक नहीं आता। हमारी मांग है कि मामले की न्यायिक जांच कराकर दोषी को जेल भेजा जाए और पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपए मुआवज़ा दिया जाए”।   

लंबे समय से मध्यप्रदेश में बंधुआ मजदूरों के लिए संघर्ष कर रहे संगठन बंधुआ मुक्ति मोर्चा एवम् नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरैडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर ने बंधुआ मजदूर विजय सहारिया एवम् उसके परिवारजन को न्याय दिलाने हेतु मामला उठाया है । 

यह जानकारी बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जिला संयोजक नरेंद्र भदौरिया एवम विजय के परिजनों द्वारा केंद्रीय कार्यालय बंधुआ मुक्ति मोर्चा दिल्ली को दी गयी। जानकारी मिलते ही संगठन ने जिलाधिकारी गुना, पुलिस अधीक्षक गुना, प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश सरकार, सचिव भारत सरकार, चेयरपर्सन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली सहित कई अधिकारियों से बंधुआ मजदूर एवम् उसके परिवार के लिए न्याय की गुहार की। लिखित शिकायत पत्र में संगठन ने निम्नलिखित मांग की। 

1. तत्काल मुक्ति प्रमाण पत्र जारी किया जाए । 

2. बंधुआ मजदूर के परिवार को तत्काल सहायता राशि प्रदान की जाए। 

3. बंधुआ मजदूरों की पुनर्वास की योजना 2016 के तहत बंधुआ मजदूर के परिवार का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए। 

4. अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। 

5. विजय द्वारा की गई मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के नियमों के अनुरूप उसके परिवार वालों को भुगतान किया जाए। 

6. तत्काल गुना जिले में बंधुआ मजदूरों का सर्वे करवाया जाए।

मध्यप्रदेश का गुना जिला बंधुआ मजदूरी का गढ़ है

बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना बताते हैं कि “बंधुआ मुक्ति मोर्चा एवम् नेशनल कैंपेन केमटी फॉर इरैडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर ने गुना जिले में लगभग 3 वर्ष पूर्व साढ़े चार सौ बंधुआ मजदूरों का मामला उठाया जिन्हें प्रशासन ने आज तक न्याय नहीं दिया बमोरी तहसील के इन खेतिहर बंधुआ मजदूरों ने जब बंधुआ मुक्ति मोर्चा के सहयोग से ग्वालियर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो प्रशासन की कुछ आंखें खुलीं। प्रशासन ने कुछ बंधुआ मजदूरों को केवल न्यूनतम मजदूरी देकर अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन यह मामला यहीं स्थिर नहीं रहा। मालिकों ने मजदूरों से फिर दिया हुआ पैसा अर्थात भुगतान किया हुआ पैसा वापस यह कह कर ले लिया कि यह तो हमारा कर्ज है।

यह पैसा हमने आपको दिया था। इसलिए इस कर्ज को तो तुम्हें चुकाना पड़ेगा। आज भी गुना जिला के बंधुआ मजदूर न्यूनतम मजदूरी पाकर भी अपनी मजदूरी का अपने स्वयं परिवार के लिए उपयोग नहीं कर पाए और मालिक वर्ग ने इस मजदूरी को फिर से हड़प कर उन्हें दोहरा गुलाम बनाने जैसा अपराध किया है। किंतु प्रशासन एवं सरकार गुलामी के मुद्दे पर मौन है। परंतु बंधुआ मुक्ति मोर्चा संगठन को पूरी उम्मीद है कि ग्वालियर हाई कोर्ट से उन्हें न्याय मिलेगा। संगठन यह भी चेतावनी दे रहा है कि यदि प्रशासन विजय एवं उसके परिवार को राहत देने में एवं पुनर्वास देने में विफल रहा तो संगठन आंदोलन करेगा एवम् जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा भी खटख़टाएगा। 

बंधुआ मुक्ति मोर्चा विजय सहारिया हत्या के केस में बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम 1976, भारतीय दंड संहिता के धारा 302 एवम् अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 तहत न्याय कि मांग कर रहा है।

( जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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