Wednesday, April 24, 2024

भारत में प्रीमियम सेगमेंट के फोन-कार की बिक्री में उछाल, एंट्री लेवल प्रोडक्ट के खरीदार घटे

वो चाहे कार, फोन हो या यहां तक कि घरेलू वस्तुओं में साबुन या टूथपेस्ट का मामला हो, प्रीमियम सेगेमेंट की मांग में भारी उछाल है, जबकि इन्हीं कंपनियों के एंट्री लेवल प्रोडक्ट की मांग में बहुसंख्यक आबादी में क्रय शक्ति में कमी के चलते मांग की कमी देखने को मिल रही है। मार्केट और अर्थव्यस्था में यह रुझान इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि कोरोना महामारी काल के बाद की रिकवरी प्रकिया के दौरान असमानता की खाई लगातार चौड़ी ही हो रही है।

कार वाहन सेगमेंट में भारत में मारुती सुजुकी को एंट्री लेवल की कार निर्माता कंपनी के रूप में पहचान है। इसके नए प्रीमियम मॉडल नेक्सा की बिक्री में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 6 लाख बिक्री का लक्ष्य 62% अधिक है। वहीं दूसरी तरफ कंपनी की एंट्री लेवल की बिक्री लगातार घट रही है और इसमें गतिरोध बना हुआ है। लोअर सेगमेंट में टाटा मोटर्स और हुंडई का कारोबार लगभग खत्म होने के कगार पर है।

इसी प्रकार घरेलू सामान के उत्पाद के क्षेत्र में भारत में सबसे बड़े संस्थान हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड ने मार्च तिमाही में जहां 10% लाभ दर्ज किया है। कंपनी का कहना है कि बढ़ती महंगाई के चलते 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तुओं की मांग में 7% गिरावट आई है। निम्न आय वर्ग में भी मांग घटी है। कंपनी के अनुसार, मूल्य वृद्धि के अनुरूप वस्तुओं की मांग और खपत की आदतों में बदलाव देखने को मिल रहा है।

मोबाइल फोन की बिक्री भी इससे अछूती नहीं है। मार्केट रिसर्च कंपनी ‘काउंटरपॉइंट’ की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी-मार्च की तिमाही में अल्ट्रा प्रीमियम ब्रांड्स (45,000 रुपये या अधिक) में 66% की वृद्धि देखने को मिली है, जबकि 20,000-30,000 रुपये के मोबाइल फोन की बिक्री में 33% की कमी आई है। 10,000 से 20,000 रुपये मूल्य के मोबाइल हैण्ड सेट्स की बिक्री 34% तक घटी है। 10,000 रुपये से नीचे के मोबाइल हैंडसेट ब्रांड्स में भी 9% की कमी दर्ज की गई है।

मोबाइल हैंडसेट के मार्केट में एक और रुझान देखने को मिल रहा है। हाल के दिनों में ‘ब्रांड न्यू फोन’ के बजाय ‘रिफर्बिशड फोन’ की ओर रुझान बढ़ा है। फोन रिप्लेसमेंट की समय-सीमा में देरी भी 10,000 रुपये से नीचे के ब्रांड में ग्राहकों की रूचि को घटा रही है। इसके साथ ही एंड्राइड फोन की तुलना में कम फीचर भी एक मुख्य वजह है।

काउंटरपॉइंट के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट प्राचीर सिंह के अनुसार, हर तिमाही के साथ प्रीमियम फोन की ओर ग्राहकों का रुझान बढ़ता जा रहा है। 2022 की पहली तिमाही की तुलना में 2023 की पहली तिमाही में प्रीमियम फोन का मार्केट लगभग दोगुना हो गया है।

कारों की बिक्री में रुझान

मारुती सुजुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मार्केटिंग एंड सेल्स), शशांक श्रीवास्तव के अनुसार, कार मार्केट के क्षेत्र में एक बुनियादी बदलाव देखने को मिल रहा है। यहां पर प्रीमियम ब्रांड और महंगी कारों की तरफ ग्राहकों का झुकाव लगातार बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए मारुती सुजुकी की कारों में पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहकों का अनुपात 45% से बढ़कर 48% हो गया है।

लेकिन यहां पर स्पष्ट रूप से मिड-सिगमेंट की हैट्च और सेडान या एसयूवी में एंट्री लेवल की कारों की ओर रुझान देखने को मिल रहा है। यहां पर पुरानी कार के बदले में नई कार की खरीद में भी भारी कमी देखने को मिल रही है। यह पहले 26% हिस्सा था जो अब घटकर 18% रह गया है। एक से अधिक कार की खरीद में भी उछाल आया है। कोविड पूर्व के 30% की तुलना में इसका अनुपात बढ़कर 36% हो गया है।

श्रीवास्तव के मुताबिक, नेक्सा ब्रांड का प्रदर्शन बेहद असाधारण है। पिछले वर्ष नेक्सा की बिक्री टॉप 4 में थी। इस वर्ष इसके टॉप 2 में आने की प्रबल संभावना है। 26 अप्रैल को मारुती सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने अपने बयान में कहा था कि छोटी कारों की मांग लगातार कम हो रही है, और इस वर्ष भी इसमें किसी प्रकार की वृद्धि की संभावना नहीं है। एक अग्रणी कार निर्माता प्रतिनिधि के बतौर उनका कहना था कि निचली आय वाले लोगों और गैर-शहरी लोगों की आय वृद्धि की रफ्तार कारों के मूल्य वृद्धि के समतुल्य नहीं होना इसकी बड़ी वजह है।

महंगाई का दुष्प्रभाव

एफएमसीजी मार्केट भी इससे अछूता नहीं है, हालांकि कंपनियां भविष्य को लेकर आशान्वित हैं। एचयूएल के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ संजीव मेहता के अनुसार, बाजार में सुधार के लक्षण नजर आ रहे हैं, क्योंकि “नकारात्मक वॉल्यूम में पहले से कमी” आई है। मार्केट इंटेलिजेंस फर्म निएल्सन आईक्यू के मुताबिक, 2022 की आखिरी तिमाही में कुल ग्रोथ धीमी हुई है, क्योंकि ग्रामीण उपभोक्ताओं की ओर से खर्च में कटौती हुई है। विशेषकर पर्सनल केयर उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ा है।

निएल्सन आईक्यू के प्रबंध निदेशक सतीश पिल्लई का कहना है, “पिछले वर्ष उपभोक्ता द्वारा खर्चों में कटौती की मुख्य वजह बढ़ती महंगाई रही, जिसे ग्राहकों के से छोटे पैक की ओर शिफ्ट होने में देखा जा सकता है। वाशिंग पाउडर, कपड़ा धोने का साबुन और नहाने के साबुन जैसी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में भी सर्वव्यापी संकुचन देखने को मिल रही है, और निर्माता कंपनियों की ओर से भारी डिस्काउंट का ऑफर दिया जा रहा है।

अनिश्चितता एवं बढ़ती महंगाई के दौर में गैर-आवश्यक वस्तुओं की खरीद पर सबसे पहले कैंची चलती है, और उस उद्योग से जुड़े लोगों पर इसकी सीधी मार पड़नी स्वाभाविक है। इसके चलते ग्रामीण-शहरी मांग में भारी असंतुलन पैदा होने लगता है। नेइल्सनआईक्यू के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में सुपरमार्केट एवं हाइपरमार्केट के जरिये बिक्री लगातार दूसरी तिमाही में दोहरे अंक को छू रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिक्री अभी भी लड़खड़ा रही है।

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में गैर-कृषि आय पर लोगों की निर्भरता इसकी एक बड़ी वजह है, हालांकि कृषि क्षेत्र में आय स्थिर है।

उपभोक्ता बाजार में आये इस बदलाव के मद्देनजर कार निर्माताओं ने अपने ब्रांड और नीतियों में आवश्यक बदलाव शुरू कर दिए हैं। देश की तीन सबसे प्रमुख कार निर्माताओं में से मारुती सुजुकी, टाटा मोटर्स एवं हुंडई मोटर्स से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि इन सभी कंपनियों ने भी अब छोटी कारों की बजाय प्रीमियम कारों की ओर रुख कर लिया है।

2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक इन तीनों कंपनियों का कार मार्केट में 70% बाजार पर कब्जा है। मारुती सुजुकी के वित्त-वर्ष 2020 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो हम पाते हैं कि 10 लाख रुपये से अधिक मूल्य की कार की बिक्री इसके कुल पोर्टफोलियो का मात्र 2.5% थी, जो अगले दो वर्षों में 2022-23 में बढ़कर 15% पहुंच गई। हुंडई मोटर्स के लिए यह 20% से 40% और टाटा मोटर्स में 20% से 28% का उछाल आया है।

सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मोटर्स (सियाम) के आंकड़े बताते हैं कि स्पोर्ट्स युनिलिटी व्हीकल के नेतृत्व में कार उद्योग आगे बढ़ रहा है, जिसके पास 10 लाख रुपये से ऊपर की कारों का बड़ा हिस्सा है। छोटी और कॉम्पैक्ट कार 2018-19 के अपने शिखर से फिलहाल दूर है।

इसी प्रकार मोपेड की बिक्री भी वर्ष 2018-19 की रिकॉर्ड संख्या से 50% कम है, जबकि मोटरसाइकिल (110सीसी) में करीब 30% की कमी आ चुकी है, जो साफ़ इशारा करती है कि भारत में सस्ती कारों, मोटरसाइकिल या मोबाइल फोन खरीदारों की विशाल आबादी गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही है।

(इंडियन एक्सप्रेस में 1 मई 2023 को प्रकाशित अनिल सासी की खबर से साभार)

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