Tuesday, March 28, 2023

बीबीसी दफ्तरों पर पड़े आईटी सर्वे का मुद्दा: ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने की जयशंकर से बात

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

इसी मुद्दे पर आज ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा, “बीबीसी एक स्वतंत्र संगठन है और सरकार से अलग है। मैंने डॉक्यूमेंटरी नहीं देखी है लेकिन मैंने यूनाइटेड किंगडम और भारत में प्रतिक्रियाएं देखी हैं। डॉ. जयशंकर के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध बहुत मजबूत हैं, ब्रिटेन-भारत के बीच संबंध लगातार मजबूत होते जा रहे हैं।” 

2002 गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत में जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने आए ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने ये मुद्दा उठाया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने बुधवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाक़ात की और इस मुद्दे पर बातचीत की।

बता दें कि पिछले महीने 14 फरवरी को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ़्तरों पर आयकर विभाग ने सर्वे किया था। आयकर विभाग का ये सर्वे क़रीब तीन दिनों तक चला था। आयकर विभाग के अफसरों ने सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए थे और उन्हें दफ्तर छोड़कर घर जाने के लिए कहा था।

इसी मुद्दे पर आज ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा, “बीबीसी एक स्वतंत्र संगठन है और सरकार से अलग है। मैंने डॉक्यूमेंटरी नहीं देखी है लेकिन मैंने यूनाइटेड किंगडम और भारत में प्रतिक्रियाएं देखी हैं। डॉ. जयशंकर के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध बहुत मजबूत हैं, ब्रिटेन-भारत के बीच संबंध लगातार मजबूत होते जा रहे हैं।” 

दरअसल, बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंटरी इंडिया-द मोदी क्वेश्चन के आने के कुछ सप्ताह बाद ही आयकर विभाग ने बीबीसी के ऑफिसों में एक सर्वेक्षण किया था।

बता दें कि बीते दिनों बीबीसी की एक डॉक्यूमेंटरी आई थी, जो 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित थी। केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताते हुए इस डॉक्यूमेंटरी की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद डॉक्यूमेंटरी पर बैन लगाये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद बीबीसी के दफ्तरों पर आयकर विभाग ने तीन दिनों तक सर्वे किया था।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

नवजागरण की परम्परा को आगे बढ़ा रहा दलित साहित्य: शरण कुमार लिम्बाले

मध्यकाल में संतों ने हमें अपने अपने समय की कटु सच्चाईयों से रूबरू कराया और उसका प्रतिरोध किया। ब्रिटिश...

सम्बंधित ख़बरें