पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने उपमुख्यमंत्री और गृह विभाग के मुखिया सुखजिंदर सिंह रंधावा के दामाद एडवोकेट तरुण वीर सिंह लेहल को एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया है। नोटिफिकेशन के अनुसार लेहल की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर 31 मार्च, 2022 तक की गई है। यानी मौजूदा कांग्रेस सरकार के कार्यकाल तक। यह नियुक्ति उस वक्त की गई है, जब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू एडवोकेट जनरल को बदलने की शर्त के साथ अपनी ही सरकार से भिड़े हुए हैं।
उपमुख्यमंत्री रंधावा के दामाद तरुण वीर सिंह लेहल को एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाए जाने पर विपक्ष राज्य सरकार के खिलाफ हमलावर हो गया है। विपक्ष का कहना है कि पूर्व की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने जो किया, उसी परंपरा को चरणजीत सिंह चन्नी ने आगे बढ़ाया है। कांग्रेस सरकार अपने चेहतों को सरकारी नौकरी से नवाज रही है और आम परिवारों के पढ़े-लिखे बेरोजगार नौजवानों की उपेक्षा की जा रही है।
गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के वक्त कुछ विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरियां दी गई थीं। इस पर बड़ा विवाद खड़ा हुआ था। सरकार और पार्टी के भीतर इसके खिलाफ सबसे ज्यादा बोलने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा ही थे। तब उन्होंने कहा था कि मंत्रियों और विधायकों के बच्चों को नौकरी देने की बजाय, आमजन को पहले दी जानी चाहिए क्योंकि यह उनका अधिकार है। रंधावा के कड़े विरोध के चलते विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा के डीएसपी बनाए गए बेटे ने इस्तीफा दे दिया था।
नवजोत सिंह सिद्धू के बेटे करण सिंह सिद्धू को भी कानून अफसर नियुक्त किया गया था लेकिन विवाद होने पर उन्होंने भी पद त्याग दिया। तब भी रंधावा लॉबी ने एतराज जताया था। विरोध के बावजूद अनेक लाभार्थी पदों पर बने हुए हैं। अब तरुण वीर सिंह लेहल की नियुक्ति के बाद पंजाब सरकार और खास तौर पर उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा पर सवाल उठ रहे हैं। इसलिए भी कि उक्त नियुक्ति राज्य के गृह विभाग ने की है जिसका प्रभार खुद सुखजिंदर सिंह रंधावा के पास है।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि इस नियुक्ति से राज्य सरकार के इस दावे की पोल खुल गई है कि ‘घर घर रोजगार दिया जाएगा, जबकि सब कुछ ताक पर रखकर अपनों में रेवड़ियां बांटी जा रहीं हैं।’ शिअद दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने इस नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इस पद के लिए 16 साल का अनुभव अपरिहार्य है और लेहल के पास वह नहीं है। उन्होंने पूछा कि रंधावा बताएं, उन्होंने किस आधार पर कैप्टन द्वारा विधायकों के बेटों को नौकरी देने का विरोध किया था और अब वह खुद क्या कर रहे हैं?
आम आदमी पार्टी (आप) विधायक और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने तंज कसा कि, “घर घर रोजगार यानी कांग्रेस नेताओं के लिए सुनहरा अवसर! सरकार को उपमुख्यमंत्री व गृह विभाग के मुखिया का दामाद ही इस पोस्ट के लिए मिला? यह सरासर पक्षपात है।” पार्टी के सह प्रभारी राघव चड्ढा ने कहा कि चन्नी सरकार भी कैप्टन सरकार की तरह अपने मंत्रियों के रिश्तेदारों को नौकरी दे रही है। भाजपा महासचिव डॉक्टर सुभाष शर्मा ने भी उपमुख्यमंत्री के दामाद को एएजी बनाए जाने का तीखा विरोध किया है और कहा है कि पार्टी चुनाव में इसे मुद्दा बनाएगी।
अपने दामाद की नियुक्ति के विवाद पर उपमुख्यमंत्री रंधावा का कहना है, “मेरे दामाद को राज्य के एडवोकेट जनरल एपीएस देओल की सिफारिश पर एएजी बनाया गया है और वह इस पद की काबिलियत रखते हैं। यह स्थाई नौकरी नहीं है। विपक्ष बात का बतंगड़ बना रहा है।”
सुखजिंदर सिंह रंधावा जो भी कहें, लेकिन उनके दामाद की नियुक्ति ने पंजाब में बवाल तो खड़ा कर ही दिया है। कांग्रेस के भीतर ही दबे स्वर में विरोध हो रहा है। पार्टी के एक विधायक के अनुसार, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर संभल कर चलना चाहिए। उपमुख्यमंत्री के दामाद को एडिशनल एडवोकेट जनरल लगाकर उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह की परंपरा को आगे बढ़ाया है जिन्होंने तमाम विरोध के बावजूद मंत्रियों और विधायकों के बेटों को नौकरी से नवाजा।
जो हो, तय है कि विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाएगा और यह मामला तूल पकड़ेगा।
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)