कैब ड्राइवर मॉब लिंचिंग: सारे सुबूतों के बावजूद नहीं पकड़े जा रहे हैं हत्यारे

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दिल्ली के कैब ड्राइवर आफ़ताब आलम की हत्या के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी उनके हत्यारे नहीं पकड़े गए हैं। बावजूद इसके कि लुहारली टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज में उनकी तस्वीरें कैद हैं। टोल नाके के आदमी और पेट्रोल पंप के कर्मचारी हत्यारों से मिल चुके हैं।

बता दें कि 6 सितंबर रविवार को कैब ड्राइवर आफताब आलम की मॉब लिचिंग हुई थी। आफताब के बाद उनके परिवार बेटे साबिर (20) मोहम्मद शाहिद (19) मोहम्मद साजिद (17) हैं। बीबी रेहाना ख़ातून (36) और पिता मोहम्मद ताहिर (65) हैं।

पुलिस हेट क्राइम और मॉब लिंचिंग से अलग नरेटिव सेट करने में लगी हुई है।

बादलपुर स्टेशन पर धारा 302 के तहत हत्या और लूटपाट की धारा 394 और 201 का केस बनाकर दर्ज किया गया है, जबकि ऑडियो कॉल रिकॉर्डिग की बातचीत से ये स्पष्ट हेटक्राइम और मॉब लिचिंग का मामला लग रहा है।

डीसीपी सेंट्रल नोएडा जोन हरीश चंदर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अब तक की जांच में ये बात निकल कर सामने आई है कि ये पूरी तरह से आपराधिक मामला है। इसमें हमें कोई सांप्रदायिक कोण नहीं मिला।” ऑफताब आलम के बेटे मोहम्मद साबिर द्वारा उपलब्ध कराई गई कॉल रिकॉर्डिंग में जय श्री राम बुलवाए जाने के बाबत डीसीपी चंदर कहते हैं, “जय श्रीराम आफ़ताब से नहीं बल्कि सीएनजी स्टेशन पर काम करने वाले एक कर्मचारी से कहने के लिए कहा गया था। इस बात की तस्दीक खुद उक्त कर्मचारी ने की है।”

हरीश चंदर कहते हैं, “जांच से ये बात पता चली है कि हत्यारोपियों ने कैब ड्राइवर आफ़ताब को जय श्रीराम का नारा लगाने को नहीं कहा था, बल्कि ये किसी और से कहा गया था। हमें पता चला कि कैब एक फिलिंग स्टेशन पर रुकी थी। फिलिंग स्टेशन पर काम करने वाले एक कर्मचारी को हाथ में चोट लगी थी। कैब में बैठे यात्रियों ने उस चोट के निशान की ओर इशारा करके उसके बारे में पूछा था। इसे ऑडियो क्लिप में भी सुना जा सकता है। इसके बाद पैसेंजरों ने कर्मचारी से पूछा था कि उसे चोट कैसे लगी। कर्माचारी ने उन्हें बताया कि निशान जन्मजात है। तब यात्रियों ने कुछ अतिरिक्त पैसे देने चाहे जिसे कर्मचारी ने मना कर दिया। इसके बाद कर्मचारी से एक पैसेंजर द्वारा जयश्री राम कहने के बोला गया। जांच अधिकारी को ये बात खुद उक्त कर्मचारी ने बताई है कि इनमें से कुछ भी उक्त कैब ड्राइवर से नहीं कहा गया था। इससे ये साबित होता है कि कैब ड्राइवर की मौत आपराधिक घटना के तहत हुई है। और ये हेट क्राइम का मामला नहीं है।”

पीड़ित के बेटे का बयान
जनचौक से फोनकॉल पर बात करते हुए बेटे मोहम्मद साबिर ने बताया कि बादलपुर थाने में उन्होंने कहा, “एफआईआर के साथ एडीशनल स्टेटमेंट के तौर पर इसे जमा किया जाए। एडीशनल स्टेटमेंट की रिसीविंग नहीं दी है। साबिर का कहना है कि उन्होंने बादलपुर थाना पुलिस को एफआईआर में ऑडियो की सामग्री का उल्लेख करने के लिए कहा था, लेकिन पुलिस ने आश्वासन दिया था कि वे ऑडियो की जांच करेंगे और बाद में इसे जोड़ देंगे। आफताब के रिश्तेदार तबरेज और बेटे साबिर का कहना है कि कैब में सवार हुए आरोपियों ने उनके मजहब पर बातचीत शुरू कर दी थी। आफ़ताब को शराब की भी पेशकश करने की आवाज भी सुनाई दी। हालांकि यह सब बातें एफआईआर में दर्ज नहीं की गईं। पुलिस ने उनसे कहा कि वह आगे इसे बयान में शामिल कर लेंगे। पुलिस ने जो बोला वही एफआईआर में लिखा गया।

पिता की मॉब लिंचिंग वाले दिन को याद करते हुए साबिर जनचौक को बताते हैं, “6 सितंबर रविवार की दोपहर तीन बजे अब्बू बुलंदशहर में अपने एक पुराने ग्राहक को छोड़ने गए थे। उन्होंने शाम करीब सात बजे उन्हें ड्राप किया और वापस घर के लिए रवाना हुए। उन्होंने शाम साढ़े सात बजे के करीब लुहारली टोल प्लाजा से मुझसे बात की और फास्टैग रिचार्ज करने के लिए कहा था, हालांकि रिचार्ज सफल नहीं था और उन्होंने टोल टैक्स के रूप में 120 रुपये का भुगतान किया था।

साबिर आगे बताते हैं, “फिर थोड़ी देर के बाद अब्बू की दोबारा कॉल आई, पर उन्होंने कुछ बोला नहीं उन्हें शायद महसूस हो गया था कि उनके कैब में बैठे लोग कुछ सही नहीं थे, इसलिए उन्होंने मुझे फोन किया और फोनकॉल को चालू रखते हुए उन्होंने मोबाइल फोन अपनी जेब में रख लिया।

साबिर बताते हैं, “दूसरी तरफ मैं उनकी बातचीत सुन रहा था। वो लोग मजहबी बाते कर रहे थे। उन्होंने मेरे अब्बू को शराब पीने के लिए कहा और मना करने पर उनका धर्म पूछा। मैंने 41 मिनट का ऑडियो रिकॉर्ड किया है। 8:39 मिनट पर तीनों व्यक्तियों ने मेरे पिता से ‘जय श्रीराम’ बोलने को कहा। साबिर का कहना है कि उन्हें इसके बाद उनकी कोई बात सुनाई नहीं दी और 11 मिनट बाद रात 7.41 मिनट पर कैब में बैठा उनमें से एक शख्स कहता है, “सांस रुक गई है”। बाद में, अब्बू के मोबाइल फोन की बैट्री खत्म हो गई होगी शायद इससे फोन बंद हो गया।” साबिर ने कहा कि उनके परिवार ने तुरंत मयूर विहार थाने में जाकर पुलिस को सूचित किया।

मोबाइल फोन के अनुसार पुलिस को मेरे अब्बू की लास्ट लोकेशन ग्रेटर नोएडा में बादलपुर थाना क्षेत्र के चिठैहड़ा गांव में दिखी। रात 11 बजे जब हम ग्रेटर नोएडा पहुंचे तो गाड़ी को वहां खड़ा पाया, जबकि मेरे पिताजी वहां नहीं थे। पुलिस ने मुझे बताया कि उन्हें गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया है। जब हम अस्पताल पहुंचे तो मेरे अब्बू की पहले ही मौत हो चुकी थी। उनके सिर और शरीर में चोटें आई थीं।

पुलिस की कहानी पर सवाल
आलम के पिता मोहम्मद ताहिर पुलिस के लूटपाट के तर्क पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “यदि यह लूट का मामला होता तो वे कैब क्यों छोड़कर जाते? वे कार चुरा लेते और उनके शव को सड़क पर फेंक देते। उन्होंने सिर्फ़ मोबाइल फोन चुराया?”

अपराधियों की गिरफ्तारी से पहले ही आखिर पुलिस हेट स्पीच और मॉब लिंचिंग के आरोपों को झुठलाने में क्यों लगी हुई है, जबकि उस रोज़ असल में क्या हुआ था ये बताने के लिए कैब ड्राइवर आफ़ताब आलम ज़िंदा नहीं हैं, जबकि उसके हत्यारे अभी तक पकड़े ही नहीं गए हैं। फिर किस आधार पर पुलिस इस नतीजे पर पहुंच गई कि ये हेट क्राइम का मामला नहीं है? जिस अस्पताल में उन्हें पुलिस भरती करवाने की बात कर रही है, उस अस्पताल में आफ़ताब के भरती करवाने का कोई रिकार्ड ही नहीं है।

पुलिस ने खुद कहा है कि लुहारली टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी की फुटेज में हत्यारे स्पष्ट दिख रहे हैं, फिर उनका चेहरा सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है?

जब ऑडियो कॉल रिकॉर्डिंग में आरोपियों की बातचीत में साफ़ इस्लामोफोबिया, सांप्रदायिक गाली और जय श्रीराम के नारों की बात है तो पुलिस ने यह केस में दर्ज क्यों नहीं किया है? आखिर पुलिस किसे बचाना चाहती है?

कैब चालक प्रकरण में एक ऑडियो वायरल हो रहा था, जिसमें चालक को धार्मिक नारे लगाने के लिए प्रचारित किया गया था। पुलिस ने जांच में सीसीटीवी फुटेज और सीएनजी फिलिंग स्टेशन के फिलिंग बॉय को चिन्हित किया, जिसको धार्मिक नारा लगाने के लिए बोला गया है न कि कैब चालक को, जबकि इसका वीडियो भी संलग्न है।

एक समय था जब इस मुल्क में राम के नाम पर रोटी मिलती थी। एक समय ये है कि राम के नाम पर मौत मिल रही है। एक वो समय था कि राम का नाम निर्भय करता था। एक ये समय है कि राम का नाम आतंक पैदा करता है। राम के नाम पर देश में हो रही हत्याओं का ये सिलसिला कहीं जाकर रुकता नहीं दिख रहा। अब हिंदू सवारियां मुस्लिम कैब ड्राइवर से नाम पूछती हैं। जय श्रीराम का नारा लगाने को कहती हैं न लगाने पर हत्या कर देती हैं। कल को हिंदू छात्र क्लास रूम में मुस्लिम शिक्षक से जय श्रीराम का नारा लगाने को कहेंगे और न लगाने पर उनकी हत्या कर देंगे।

दिल्ली के त्रिलोकपुरी निवासी आफताब (42) रविवार दोपहर करीब तीन बजे गुरुग्राम की युवती को बुलंदशहर लेकर गए थे। सवारी को छोड़ने के बाद रात को वह वापस दिल्ली की तरफ निकले, लेकिन वह घर नहीं पहुंचे। रात करीब 12 बजे पुलिस को गश्त के दौरान आफताब की कार जीटी रोड पर मोहन स्वरूप अस्पताल के पास मिली। कार में आफताब घायल मिले, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

लुहारली टोल पर भी हुआ आरोपियों का विवाद
पुलिस की प्राथमिक पड़ताल में पता चला है कि आरोपी बादलपुर के आसपास के ही निवासी हैं। लुहारली टोल से कैब निकलने के दौरान आरोपियों का टोलकर्मियों से भी विवाद हुआ था। आरोपी खुद को स्थानीय बता रहे थे। टोल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में आरोपियों की तस्वीर दिख रही है।

बादलपुर कोतवाली के एसएसआई दीपक कुमार के मुताबिक कैब चालक के सिर, मुंह और गले में चोट के निशान मिले हैं। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।आफताब की कैब अस्पताल से लगभग डेढ़ सौ मीटर दूर मिली है। कैब में चालक के बराबर वाली सीट पर आफताब थे और सीट बेल्ट भी लगी हुई थी। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि आफताब की हत्या कहीं और की गई और कैब कोई और चलाकर अस्पताल ले जाने के इरादे से वहां लाया था। पुलिस सभी पहलुओं से वारदात का पता लगाने में जुट गई है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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