पहले पंजाब की मालवा ‘पट्टी को कैंसर बेल्ट’ कहा जाता था और अब समूचा पंजाब कैंसर की जद में है। कैंसर का ज्यादा कहर महिलाओं और बच्चों पर टूट रहा है। बहुतेरे कैंसर याफ्ता ऐसे भी हैं जो महंगे इलाज के अभाव में बेमौत मर रहे हैं और उनकी भी संख्या कम नहीं जिन्हें आखरी स्तर आने पर कैंसर का पता चलता है। तब तक यह जानलेवा बीमारी कैंसर रोगियों को शमशान पहुंचा देती है।
सूबे के राज्य स्तरीय कैंसर संस्थान अमृतसर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार इसी साल के डेढ़ महीने में पंजाब में कैंसर के 2,200 नए मामले सामने आए हैं और यह आंकड़ा बेहद चौका देने वाला है।
राष्ट्रीय कैंसर रजिस्टर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में लगभग 40 हजार कैंसर के मामले सामने आए हैं। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश, पंजाब के पड़ोसी राज्य हैं और वहां के लोग भी बहुधा कैंसर के इलाज के लिए पंजाब और चंडीगढ़ का रुख करते हैं।
हरियाणा में 30 हजार से ज्यादा और हिमाचल में लगभग 9 हजार लोग कैंसर की पीड़ा भोग रहे हैं। पंजाब-हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में तकरीबन 11 सौ कैंसर मरीज हैं।
पंजाब में सबसे पहले कैंसर का ज्यादा कहर मालवा में बरपा। बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर साहिब, फिरोजपुर, फाजिल्का और अबोहर के शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में लगभग तीन दशक पहले कैंसर ने दस्तक दी थी। गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक मालवा में लगभग 2 लाख लोग कैंसर के चलते मौत के हवाले हो चुके हैं।
मालवा के ज्यादातर लोग राजस्थान जाकर कैंसर का इलाज करवाते हैं क्योंकि वहां इलाज की सुविधा लगभग मुफ्त या बहुत कम खर्चीली है। बठिंडा रेलवे जंक्शन से कैंसर पीड़ितों के लिए हफ्ते में एक बार एक विशेष ट्रेन चलती है। रेल विभाग में उस ट्रेन का नाम बेशक जो हो लेकिन पंजाब के लोग उसे ‘कैंसर एक्सप्रेस’ कहते हैं।
पंजाब सरकार ने सन 2010 में एक सर्वेक्षण करवाया था और पाया था कि मालवा अंचल के गांवों में कैंसर का भस्मासुर सबसे ज्यादा फैल रहा है और वजह है प्रदूषित पानी। उसके बाद भी कई सरकारी रिपोर्ट्स आईं लेकिन आंकड़ोंबाजी पर थोड़ी-बहुत बहस के बाद जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। सरकारी राहत कवायद बन कर रह गई और भ्रष्टाचार भी उसे लीलता रहा। यह आलम अब भी जारी है।
फर्क आया तो बस इतना कि कैंसर रफ्ता-रफ्ता पंजाब के एक से दूसरे कोने तक फैल रहा है। राज्य कैंसर संस्थान, अमृतसर के प्रमुख डॉ राजीव देवगन बताते हैं कि इसी संस्थान में रोज लगभग 70 से 80 मरीज कैंसर के उपचार के लिए आते हैं। इससे ज्यादा पीजीआई, चंडीगढ़ या अन्य बड़े निजी अस्पतालों का रुख करते हैं।
डॉ देवगन के मुताबिक महिलाओं और बच्चों में कैंसर की अलामत कमोबेश अधिक पाई जा रही है। पंजाब में हर साल करीब 50 बच्चे ट्यूमर और ब्लड कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। वहीं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, फूड पाइप और बच्चेदानी तथा सर्वाइकल का कैंसर सबसे ज्यादा पाया जा रहा है। जबकि पुरुषों में मुंह और गले के अलावा फेफड़ों में कैंसर के मामले आम हैं। लीवर कैंसर के मामले भी कम नहीं हैं।
हासिल जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से पंजाब के दो बड़े सरकारी कैंसर संस्थानों को 95.59 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इसके तहत राज्य स्तरीय कैंसर संस्थान, अमृतसर को 68.766 करोड़ और सरकारी अस्पताल फाजिल्का को 26.826 करोड़ रुपए की सहायता दी जा रही है।
इस बाबत पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ बलबीर सिंह से बातचीत करने की कोशिश नाकामयाब रही। उन्होंने फोन नहीं उठाया। अलबत्ता शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल कहते हैं कि पंजाब में कैंसर महामारी बनकर फैल चुका है। हमने विशेष प्रयास किए थे लेकिन अधूरे रह गए और अब भगवंत मान सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
राज्यसभा सांसद और पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सींचेवाल के अनुसार, “यह बहुत गंभीर मामला है। धरती के नीचे पानी बेहद ज्यादा प्रदूषित हो चुका है और कैंसर की मुख्य वजह बन रहा है। मैंने राज्यसभा में भी यह मुद्दा उठाया था और केंद्रीय मंत्रियों से भी मिला था।”
लुधियाना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अरुण मित्रा का कहना है कि हालात काबू न किए गए तो आने वाले वक्त में पंजाब में हर चौथे घर में कैंसर का मरीज मिलेगा। मॉडिफाइड जीवन शैली और कीटनाशक की वजह से भी कैंसर फैल रहा है।
जो हो, राज्य में कैंसर बेतहाशा फैल रहा है और इसके लिए युद्ध स्तर पर कोई नीति बनाने की जरूरत है।
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)
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