Tuesday, April 23, 2024

नीरा राडिया के खिलाफ सीबीआई को कुछ नहीं मिला, 14 मामले में शुरुआती जांच के बाद मामले बंद

चर्चित कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया के खिलाफ बरसों पहले लगाए गए जिन आरोपों ने सियासत से लेकर कारोबारी दुनिया और मीडिया तक में खलबली मचा दी थी, उसकी सीबीआई जांच में कुछ भी नहीं निकला। कल ये बात कथित राडिया टेप कांड की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष कही है। सीबीआई की तरफ से नीरा राडिया को क्लीन चिट दिए जाने का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब जांच एजेंसी को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की कुछ राजनेताओं, व्यापारियों, मीडियाकर्मियों और अन्य लोगों के साथ इंटरसेप्ट की गई बातचीत की जांच के बाद कोई आपराधिक गतिविधि का पता नहीं लगा है। पीठ ने जांच एजेंसी की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। सीबीआई ने नीरा राडिया को 8,000 अलग-अलग टेप बातचीत से संबंधित मामले में क्लीन चिट देते हुए कहा है कि उसने इससे जुड़े 14 मामले में शुरुआती जांच की थी, लेकिन कोई मामला नहीं बनने के बाद पूछताछ बंद कर दी गई।

केंद्र सरकार की जांच एजेंसी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सीबीआई को अपनी बरसों तक चली पड़ताल के दौरान किसी भी आपराधिक गतिविधि का पता नहीं चला है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले में 14 प्रीलिमिनरी इनक्वॉयरी (पीआई) दर्ज की थीं। इन सभी की जांच से जुड़ी सीबीआई की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पहले ही सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी जा चुकी है। भाटी ने बताया कि सीबीआई की जांच में किसी भी आपराधिक गतिविधि का पता नहीं चला है।

सीबीआई ने जानकारी उद्योगपति रतन टाटा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दी है। रतन टाटा ने नीरा राडिया के फोन पर हुई बातचीत की हजारों रिकॉर्डिंग्स को सार्वजनिक किए जाने पर रोक लगाने की मांग की है। उनकी दलील है कि नीरा राडिया के फोन की टैपिंग टैक्स चोरी के आरोपों की जांच के मकसद से की गई थी, लिहाजा उनका इस्तेमाल किसी और मकसद से नहीं किया जाना चाहिए। नीरा राडिया के फोन को 2008 से 2009 के दौरान कथित टैक्स चोरी के आरोपों की जांच के मकसद से टैप किया गया था।

बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा कि सीबीआई को रिकॉर्ड की गई बातचीत की जांच करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने ही दिया था। इस मामले में 14 प्रीलिमिनरी इनक्वॉयरी रजिस्टर की गई थी, जिसकी रिपोर्ट कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपी जा चुकी है। इनमें जांच एजेंसी को कोई भी ऐसी बात नहीं मिली, जिसे आपराधिक कहा जा सके। इसके अलावा अब फोन-टैपिंग के बारे में गाइडलाइन्स भी लागू हो चुकी हैं। भाटी ने यह भी कहा कि प्राइवेसी के मामले में दिए गए अदालत के फैसले के बाद अब इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है।

पीठ ने कहा कि वो इस मामले की अगली सुनवाई दशहरे की छुट्टी के बाद 12 अक्टूबर को करेगी। इस बीच, सीबीआई अपनी अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट फाइल कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में नीरा राडिया के फोन की रिकॉर्डिंग के सामने आने के बाद पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि फोन रिकॉर्डिंग से सरकारी अधिकारियों और प्राइवेट कंपनियों के बीच गहरी साठगांठ का संकेत मिलता है।

याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को सूचित किया कि एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर एक और याचिका है, जिसमें मांग की गई थी कि इन टेपों को जनहित में सार्वजनिक किया जाए। सीपीआईएल की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि राडिया दो सबसे महत्वपूर्ण कंपनियों के लिए एक कॉर्पोरेट लॉबिस्ट थी और जनता आदि को प्रभावित करने के प्रयास किए गए थे, जो सामने आया था।

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की टेप की गई बातचीत पैदा हुए छह मुद्दों की सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राडिया की बातचीत बाहरी उद्देश्यों के लिए सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से निजी उद्यमों द्वारा गहरे द्वेष को प्रकट करती है।

सुप्रीम कोर्ट टाटा की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टेप के लीक होने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह उनके जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का अधिकार शामिल है। उन्होंने तर्क दिया था कि एक कॉरपोरेट लॉबिस्ट के रूप में राडिया का फोन कथित कर चोरी की जांच के लिए टैप किया गया था और टेप का इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है।

राडिया के फोन की निगरानी के हिस्से के रूप में बातचीत को 16 नवंबर, 2007 को वित्त मंत्री को एक शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नौ साल के भीतर राडिया ने 300 करोड़ रुपये का व्यापारिक साम्राज्य बनाया था।

गौरतलब है कि नीरा राडिया टेप केस यूपीए-II सरकार के दौरान बेहद चर्चित मामलों में एक था। इस मामले में सीबीआई ने कहा है कि इसमें कोई भी आपराधिकता नहीं पाई गई है। सीबीआई ने ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है। नीरा राडिया टेप में हुई बातचीत की सीबीआई ने करीब 13 साल तक जांच की। 

नवंबर 2010 में ओपन मैगजीन ने कवर स्टोरी प्रकाशित की थी। इसे नाम दिया था- द एक्स टेप। मैगजीन ने इसमें नीरा राडिया से जुड़े कुछ ऑडियो टेप में हुई बातचीत के अंश प्रकाशित किए थे। इस मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक जगत में भूचाल आ गया। दो दिन बाद ही एक और पत्रिका आउटलुक ने भी कुछ ऑडियो फाइल्स और नीरा राडिया की अहम लोगों से हुई बातचीत छापी। इसमें डीएमके के ए. राजा, कनिमोझी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य तक से हुई बातचीत के कुछ अंश शामिल थे। इन ऑडियो टेप में राडिया और कुछ पत्रकारों के बीच हुई बातचीत भी शामिल थी। जिन पत्रकारों के नाम तब टेपकांड में सामने आए थे, उनमें बरखा दत्त, शंकर अय्यर, शालिनी सिंह, जहांगीर पोचा और वीर सांघवी शामिल थे। राडिया के नेताओं, व्यापारियों और पत्रकारों से हुई इसी बातचीत को राडिया टेप्स नाम दिया गया।

बताया जाता है कि नीरा राडिया के फोन की टैपिंग 2007 से 2009 के बीच की गई थी। इस टैपिंग को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से किया गया था। इसमें नीरा की नेताओं, टॉप बिजनेसमैन और पत्रकारों से बातचीत शामिल थी। हालांकि, आज तक यह साफ नहीं हुआ है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस टैपिंग के लिए निर्देश किससे मिले। इन टेप्स को प्रकाशित करने वाली मैगजीन के कुछ पत्रकारों का दावा था कि आईटी विभाग ने टैपिंग का कदम गृह मंत्रालय के कहने पर उठाया, जबकि एक और धड़े ने बाद में इसके पीछे वित्त मंत्रालय के निर्देशों को वजह बताया।

बताया जाता है कि नीरा राडिया के संपर्क न सिर्फ भाजपा के नेताओं से, बल्कि कांग्रेस और अन्य पार्टियों के बड़े नेताओं से भी रहे। भारत के उड्डयन क्षेत्र में उनका प्रभाव बढ़ने की वजह भाजपा नेता अनंत कुमार को माना जाता है, जो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में एक समय उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे थे। दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश ने 2003 में अपनी पत्रिका ‘लंकेश पत्रिके’ में नीरा राडिया और कर्नाटक से भाजपा नेता अनंत कुमार के कथित संपर्कों का खुलासा भी किया था।

नीरा राडिया के टेप्स बाहर आने के बाद जिस नेता से उनकी बातचीत की सबसे ज्यादा चर्चा थी, वह थे डीएमके के नेता ए. राजा। आरोप थे कि राडिया ने 2009 के आम चुनाव के बाद ए. राजा को टेलिकॉम मंत्री बनाने और डीएमके-कांग्रेस का गठबंधन तय करवाने के लिए लॉबिंग की। हालांकि, ए. राजा से उनके संपर्कों की जांच का आधार था 2G स्पेक्ट्रम केस, जिसे लेकर सीबीआई और ईडी ने राडिया की भूमिका की जांच की। राडिया के जो टेप्स सामने आए थे, उनमें उनकी और ए. राजा के बीच यूपीए-II सरकार के मंत्रिमंडल गठन और डीएमके की सीटों को लेकर बातचीत शामिल थी। इसी मामले में इनकम टैक्स विभाग ने राडिया और कनिमोझी की बातचीत की भी रिकॉर्डिंग की।

अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य और नीरा राडिया के बीच जो बातचीत हुई, वह भी राजा को यूपीए-II में जगह दिलाने से ही जुड़ी थी। टेप्स में नीरा राडिया और भट्टाचार्य के बीच गुलाम नबी आजाद, सुनील, मुकेश और कनी (कनिमोझी) को लेकर चर्चा की बात सामने आई थी।

नीरा राडिया ने शुरुआती दिनों में अपनी पीआर कंपनी वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस शुरू की थी। उनके पीआर कौशल से प्रभावित होकर रतन टाटा ने उन्हें टाटा ग्रुप की कंपनियों के जनसंपर्क को संभालने की जिम्मेदारी दे दी। राडिया की कंपनी ने बाद में नोएसिस स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग सर्विसेज नाम की एक और कंपनी का अधिग्रहण किया और उनके क्लाइंट्स में टाटा के अलावा वेदांता रिसोर्सेज और ओमान सरकार का नाम भी जुड़ा। इसके अलावा राडिया ने यूनिटेक ग्रुप, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और जीएमआर ग्रुप के पीआर का काम संभाला।  2008 में मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के पब्लिक रिलेशन और लॉबिंग का काम राडिया को दिया।

इन टेप्स की जांच के बाद ही 2009 में ए. राजा पर 2जी केस में इस्तीफा देने का दबाव बना। भारत की सीएजी ने तब जांच के बाद अनुमान लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की वजह से सरकार को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ, क्योंकि कई स्पेक्ट्रम अयोग्य कंपनियों को दे दिए गए।

इन टेप्स के सामने आने के बाद नीरा राडिया सिर्फ सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में ही नहीं आईं, बल्कि गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय ने 2013 में राडिया की जनसंचार कंपनी वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस लिमिटेड के खिलाफ कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत मामला दर्ज किया और कंपनी के 11 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव दिया। इतना ही नहीं नीरा राडिया का नाम पनामा पेपर्स में भी आया था। अक्तूबर 2021 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने यस बैंक से जुड़े 300 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी केस में नीरा राडिया से पूछताछ की थी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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