Saturday, April 20, 2024

कमल शुक्ला हमला: बादल सरोज ने भूपेश बघेल से पूछा- राज किसका है, माफिया का या आपका?

“आज कांकेर में देश के जाने-माने पत्रकार कमल शुक्ला पर हुआ हमला स्तब्ध और बहुत विचलित करने वाली खबर है। यह इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ में आज भी राज काज भ्रष्ट नौकरशाह, अपराधी नेता और गुंडों के हाथ में है तथा इस बात का सबूत भी कि मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस माफिया गिरोह को नाथने में या तो पूरी तरह असफल हुए हैं या फिर उन्होंने उनके साथ सहअस्तित्व कायम कर लिया है।”

इन शब्दों के साथ दी गई अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में लोकजतन के सम्पादक और अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने इस घटना को छत्तीसगढ़ के लिए शर्मनाक और पत्रकारिता को डराने-धमकाने में असफल रहने पर उन्हें मार डालने तक की कायराना हरकतों का नमूना बताया है। 

बादल सरोज के अनुसार पिछले 15 दिनों से पूरी दुनिया जानती थी कि कैबिनेट का दर्जा पाए, मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक अपराधी के संरक्षण में चलने वाले कुछ गुंडे और लॉकडाउन में भ्रष्टाचार करने तथा राहत सामग्री में घोटाला करने वाले कांकेर कलेक्टर द्वारा कमल शुक्ला को धमकी दी जा रही है। इस धमकी के प्रमाण तक मौजूद थे, लेकिन इसके बावजूद उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई न होना और खुद कमल शुक्ला को कांकेर के पुलिस थाने में पुलिस की मौजूदगी में कनपटी पर पिस्तौल रखकर मारते हुए खींचकर थाने के बाहर लाना और गले में पेचकस भोंककर  कर जान लेने की कोशिश करना प्रशासन और क़ानून व्यवस्था के पूरी तरह धराशायी हो जाने का उदाहरण  है। यह छत्तीसगढ़ की जनता द्वारा 2018 में दिए गए जनादेश के बाद प्रदेश में कुछ भी न बदलने का भी प्रतीक है।  

उल्लेखनीय है कि कमल शुक्ला देश के जाने-माने, जुझारू और ईमानदार पत्रकार हैं। भूमकाल समाचार के सम्पादक कमल शुक्ला को इसी वर्ष प्रतिष्ठित लोक जतन सम्मान से भी जुलाई में सम्मानित  किया गया था। वे बस्तर के आदिवासियों को हर तरह की हिंसा से बचाने, फर्जी मुठभेड़ों के विरुद्ध लड़ने वाले तथा सलवा जुडूम से लेकर आज तक उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले निर्भीक पत्रकार हैं। मौजूदा स्थिति नेता-नौकरशाह-गुंडा गिरोह द्वारा लॉकडाउन की राहत सामग्री में हुए घोटाले और भ्रष्ट कलेक्टर की पत्रकारों के खिलाफ बदजुबानी से शुरू हुयी थी, जो रेत माफिया और जंगल को लूटने वाले नेता, नौकरशाह और गुंडों के गिरोह को बेनकाब करने वाले सम्मानित पत्रकार कमल शुक्ला पर हमले तक पहुँची है।

बादल सरोज ने कमल शुक्ला के पूरे इलाज की तत्काल व्यवस्था किये जाने  के साथ ही उक्त कैबिनेट दर्जे वाले अपराधियों के सरगना तथा कलेक्टर कांकेर की गिरफ्तारी, पुलिस अधिकारियों के निलंबन और दोषियों को उदाहरण योग्य सजा देने की मांग की है। उन्होंने इस मामले में माकपा राज्य सचिव संजय पराते द्वारा उठायी गयी सभी मांगों का भी समर्थन किया है।  

लोकजतन सम्पादक ने मुख्यमंत्री पूछा है कि 2018 के चुनाव में उन्होंने पत्रकार संरक्षण क़ानून लाने का जो वादा किया था, उसका क्या हुआ?

इस बीच, PUCL की छत्तीसगढ़ इकाई कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला और अन्य पत्रकारों पर राजनीतिक रूप से समर्थित गुंडों द्वारा किये गये घातक हमले की कड़ी निन्दा की है, और इन आरोपियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्यवाही की मांग की है। संगठन ने कहा कि यह याद रखना चाहिये कि कमल शुक्ला के नेतृत्व में संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून के लिये एक प्रभावशाली आन्दोलन किया था, और कांग्रेस पार्टी ने वादा भी किया था कि वे पत्रकार सुरक्षा कानून को पारित करेंगे। यह बहुत बड़ी विडम्बना की बात है कि कांग्रेस पार्टी के सत्ता ग्रहण करने के लगभग एक साल बाद भी यह कानून नहीं बना है, और आज उन्हीं कमल शुक्ला पर इसी पार्टी के समर्थित तत्वों द्वारा भयानक हिंसा की जा रही है।

दरअसल, आज दोपहर, कांकेर में नदी किनारे स्थित होटल से एक पत्रकार सतीश यादव को सरकार समर्थित गुंडे मार-मार कर 200 मीटर दूर पुलिस थाने ले गये जहाँ उनके साथ और भी मारपीट हुई। इस के विरोध में कमल शुक्ला और 20-25 अन्य पत्रकार कांकेर थाने पहुँचे । वहाँ उसी समय लगभग 300 से अधिक असामाजिक तत्व एकत्रित हो गये और थाना परिसर के भीतर एवं उसके ठीक बाहर पुलिस के समक्ष उन्होंने कमल शुक्ला व अन्य पत्रकारों से भीषण मारपीट की। दिन दहाड़े खुलेआम पुलिस की मौजूदगी में ऐसी हिंसा करना दर्शाता है कि हमलावरों को सरकारी प्रशासन और पुलिस से पूर्ण संरक्षण प्राप्त था।

पीयूसीएल के पदाधिकारियों का कहना है कि कमल शुक्ला अपने लेखों द्वारा लगातार सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और अवैध रेत खनन का खुलासा कर रहे थे। उन्हें इस से पहले भी जान से मारने की धमकियां मिली हैं । उन पर यह कोई सहज, स्वतःस्फूर्त हमला नहीं था, अपितु एक सुनियोजित, पूर्वरचित था। इस प्रहार से उनके सिर और गर्दन पर गम्भीर चोटें आई हैं । कमल शुक्ला एवं अन्य लोगों ने बताया कि हमलावरों में कांकेर विधायक के प्रतिनिधि गफूर मेमन, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जितेन ठाकुर, वर्तमान नगर पालिका के उपाध्यक्ष मकबूल खान और गणेश तिवारी शामिल हैं।

इस घटना के संदर्भ में पीयूसीएल ने निम्न मांगें की है-

  1. कांकेर प्रशासन तुरन्त कमल शुक्ला, सतीश यादव और अन्य पत्रकारों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे
  2. इस हमले की पूर्ण निष्पक्ष जाँच की जाये और हमलावरों को कड़ी सज़ा दी जाये
  3. कांकेर पुलिस थाने की निष्क्रियता और पक्षपाती रवैये पर एक जाँच कमेटी बिठाई जाये
  4. एक प्रभावी विधेयक – छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून – शीघ्र पारित किया जाये

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